उत्पीड़न के हर रूप के खिलाफ रोहित वेमुला बन गए हैं संघर्ष के प्रेरणा स्रोत

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आज ही के दिन, यानी 17 जनवरी को ही, 2016 में हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के शोध छात्र रोहित वेमुला की सांस्थानिक हत्या की गई थी। यह हत्या एक दिन में नहीं हुई थी, बल्कि कई महीनों के शोषण और उत्पीड़न का परिणाम थी। रोहित वेमुला जोकि अंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन से जुड़े हुए थे, लगातार दलित अधिकारों के लिए HCU परिसर में काम कर रहे थे। ज़ाहिर तौर पर उनके यह काम दक्षिणपंथी ताकतों को बर्दाश्त नहीं होने वाले थे। उनसे उनका छात्रावास खाली कराया गया, उनकी छात्रवृत्ति रोक दी गई, मोटे शब्दों में कहें तो उनके उच्च शिक्षा ग्रहण करने के सपने को चकनाचूर कर दिया गया। अंत में उन्होंने तंग आकर खुदकुशी का रास्ता अख्तियार किया, जोकि असल में ‘सांस्थानिक हत्या’ थी। ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) की लखनऊ इकाई के आयोजन में यह बातें कही गईं।

आइसा ने 2016 में हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के शोध छात्र रोहित वेमुला की सांस्थानिक हत्या को याद करते हुए स्मृति दिवस के रूप में मनाया। आइसा ने अपने राष्ट्रव्यापी आह्वान के तहत लखनऊ के लालकुआं स्थित अपने कार्यालय पर इस सभा का आयोजन किया। रोहित वेमुला की शहादत को याद करते हुए संगठन ने कहा कि आज के दौर में जब यह हमले और भी बढ़ गए हैं, पायल तड़वी का उदाहरण हम सबने देखा, तब ऐसे में हमारे कंधों पर रोहित के सपनों को पूरा करने का दायित्व और बढ़ जाता है। आइसा इस दायित्व को बखूबी समझता है और इसे निभाने के लिए प्रतिबद्ध है।

इस मौके पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पिछले तीन वर्षों में दलितों के उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं का ज़िक्र करते हुए आइसा नेता शिवम सफीर ने कहा, “योगी सरकार चुनकर आने के बाद से ही अपनी विचारधारा के मुताबिक दलित विरोधी काम कर रही है। इसी कड़ी में हमारे साथी नितिन राज को पांचवीं बार जेल भेज दिया गया है, जोकि सरासर अन्याय है। नितिन राज का अपराध बस इतना था कि उन्होंने असंवैधानिक CAA-NRC के खिलाफ अपना प्रतिरोध दर्ज कराया था। हमें नितिन राज की रिहाई और ऐसे हर दमन के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद करनी होगी और संघर्ष को तेज करना होगा।”

सभा को संबोधित करते हुए ऐपवा नेता मीना सिंह ने कहा, “जाति आधारित हिंसा और उत्पीड़न की सबसे चरम अभिव्यक्ति दलित महिलाओं पर हो रही हिंसा और बलात्कार की घटनाओं में देखने को मिल रही है। हमारे सामने हाथरस का उदाहरण है, जिसमें खुले तौर पर तथाकथित उच्च जाति के लोगों द्वारा दलित लड़की का बलात्कार किया जाता है, एवं मृत्यु के पश्चात पुलिस प्रशासन समेत पूरी सरकार उनके बचाव में लग जाती है। ऐसी घटनाएं इस सरकार की दलित विरोधी-महिला विरोधी नीतियों की स्पष्ट शिनाख्त करती हैं। हमें रोहित वेमुला को याद करते हुए उनके संघर्षों को आगे बढ़ाना होगा।”

सभा का संचालन आइसा नेता आयुष श्रीवास्तव ने किया। इस मौके पर मुख्य रूप से आइसा से आयुष श्रीवास्तव, रॉबिन सिंह, तुषार सिंह, अतुल, राम कृष्ण यादव, यश चंदोला, आदर्श, अमन, भाकपा (माले) राज्य स्थायी समिति के सदस्य राधेश्याम मौर्य, ऐपवा लखनऊ जिला संयोजिका मीना सिंह, इनौस के लखनऊ जिला संयोजक राजीव गुप्ता, दुर्गेश कुमार, माले नेता एडवोकेट मोहम्मद क़ामिल आदि मौजूद रहे।

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