Thursday, March 28, 2024

रोहित वेमुला पार्ट 2 : क्या जातिगत भेदभाव ने ली आईआईटी छात्र की जान?

”उसने कहा था कि कि जब उसके दोस्तों को पता चला कि वो अनुसूचित जाति से है तो उन्होंने उससे बात करनी बंद कर दी। उसने ये भी कहा कि ऐसे छात्रों को संस्थान (IIT Bombay) में जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ता है। ऐसा कई तरीके से किया जाता है। कई बार रैगिंग में भी ऐसा होता है। पढ़ाई में भी इस तरह का भेदभाव होता है। कई बार जब हम अपने सीनियर्स से बात करते हैं तो वे कोई जवाब तक नहीं देते।”

ये कहना है रमेश भाई सोलंकी का । 47 साल के रमेश भाई दर्शन के पिता हैं। वही दर्शन जिसकी बुधवार को आईआईटी (मुंबई ) के कैंपस में संदिग्ध मौत हो गई थी। कहा जा रहा है कि हॉस्टल की आठवीं मंज़िल से कूदकर उसने खुदकुशी कर ली  थी। एक ओर जहां पुलिस का कहना है कि दर्शन के कमरे से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला। तो वहीं दर्शन के परिवार का आरोप है कि कैंपस में उसके भेदभाव हुआ,जिसने उसे अपनी जान लेने पर मजबूर किया। 

द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में रमेश ने बताया कि  घटना से कुछ मिनट पहले ही दर्शन ने उन्हें फोन किया था। वो घर आना चाहता था। वो कहते हैं कि 11 फरवरी को दर्शन के एक्ज़ाम खत्म हुए थे और वो बहुत खुश था। वो अपने दोस्तों के साथ ट्रिप पर जाना चाहता था और इसीलिए मैंने उसकी मां के अकाउंट में तीन हज़ार रुपये जमा करवाए थे, उसके पास अपना एटीएम कार्ड नहीं था और वो  अपनी मां के एटीएम को ही इस्तेमाल करता था।

पेशे से प्लंबिंग का काम करने वाले रमेश  इस बात से बेहद खुश थे कि बेटा आईआईटी में पढ़ रहा था। परिवार जब सेशन शुरू होने के बाद  कैंपस में हुए ओरिंटेशन सेशन से वापस आया तो दिल में ये सुकून था कि  कैंपस में सब छात्रों के बीच समानता है और कोई दिक्कत होने पर छात्र कैंपस में मौजूद फोरम के पास जाकर शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। 

लेकिन अब उनके लिए ये यकीन करना मुश्किल है कि दर्शन ने आत्महत्या कर ली है । उसकी बहन जाह्नवी कहती हैं कि दर्शन ने कई बार उससे कैंपस में जाति की वजह से होने वाले भेदभाव का ज़िक्र किया था। वो कहती हैं ”उसने बताया कि रिजर्व्ड कैटेगरी से आने की वजह से  कैंपस में उसके जैसे छात्रों को ठीक निगाह से नहीं देखा जाता था।”

परिवार इस हादसे से पूरी तरह टूट गया है, सिर्फ ग्यारवीं तक पढ़े रमेशभाई के सपनें चकनाचूर हो गए हैं। घरवाले अब याद कर रहे हैं कि किस तरह दर्शन रात-दिन पढ़ाई में ही लगा रहता था। उसके चाचा हरीशभाई कहते हैं कि वो 14 जनवरी को  दर्शन को कैंपस से घर वापस लेने गए थे,तो उसने अपनी चाची से कहा था कि दूसरे छात्र उसे ये कहकर बेइज्जत करते थे कि वो फ्री में कैसे पढ़ाई कर रहा है ? जबकि उन्हें महंगी फीस भरनी पड़ती है। बकौल हरीशभाई दर्शन ने उन्हें बताया कि “बड़े घर के लोगों को अच्छा नहीं लगता और जलन होती है कि हमारे जैसे घरों के लोग वहां फ्री में पढ़ रहे हैं।” 

हालांकि इस मामले को लेकर अब छात्र संगठन आक्रोशित हो गए हैं । मामले को लेकर अबेंडकर पेरियार फुले स्टडी सर्किल ने IIT BOMBAY के SC-ST सेल से रिपोर्ट मांगी है। ये मांग कर रहे हैं कि बीते सालों में सेल की ओर से कैंपस में किए गए सभी सर्वों को पब्लिक किया जाए। 

हालांकि संस्थान ने मंगलवार को कहा कि किसी भी तरह के भेदभाव को लेकर उसकी नीति ज़ीरो टॉलरेंस वाली रही है। साथ ही इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर  सुभाशीष चौधरी के इस्तीफे की मांग की जा रही है। द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार APPSC ने आरोप लगाया है कि चौधरी को कैंपस में हो रही ऐसी घटनाओं के बारे में जानकारी थी, लेकिन वो संस्थान को दलित, बहुजन और आदिवासी छात्रों के लिए एक सुरक्षित जगह बनाने में विफल रहे। APPSC ने ये भी कहा कि दर्शन की आत्महत्या को रोकने के  लिए संस्थान ने समय पर कार्रवाई नहीं की ।

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