Friday, March 29, 2024

समस्तीपुर बर्बर कांड के पीछे संघी: माले जांच दल

पटना। समस्तीपुर के आधारपुर पंचायत के चकनिजाम में दिनांक 21 जून की सुबह वार्ड सदस्य श्रवण यादव की हत्या के बाद अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ बर्बर हमला, मॉब लिंचिंग, आगजनी, लूटपाट, महिलाओं के साथ बर्बरता की सारी हदों को पार कर देने वाले उन्माद के पीछे भाजपा व संघ गिरोह का हाथ था। विदित हो कि इस हत्या का आरोप वार्ड पार्षद व उपमुखिया मो. हसनैन पर लगा था। हिंदू पुत्र नामक संगठन से जुड़े लोगों ने भीड़ को अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हिंसा के लिए प्रेरित किया। माले जांच दल ने घटनास्थल का दौरा करके इस सच्चाई को सामने लाया है। प्रेस कांफ्रेंस कर जांच दल ने पूरी घटना का सिलसिलेवार ब्यौरा दिया।

जांच दल के मुताबिक श्रवण यादव की हत्या के बाद 21 जून को लगभग दो घंटे तक लोग रोड जाम कर हत्या के आरोपी हसनैन की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे। लेकिन बगल के गांव बाघी के हिंदू पुत्र के नेता बलराम सिंह कुशवाहा, बीजेपी व आरएसएस के नेता धीरेन्द्र कुमार धीरज, मोतीपुर-आधारपुर के बीजेपी के सहकारिता विभाग के कार्यकारी अध्यक्ष कृष्ण कुमार गुप्ता के उकसावे पर आंदोलनकारी भीड़ में तब्दील हो गए और संगठित होकर मो. हसनैन के परिजनों के ऊपर हमला बोल दिया।

जांच दल का कहना था कि संघियों के कहने पर मुखिया विश्वनाथ राय ने कुछ घंटों में आधारपुर, बाघी, ताजपुर, भेरूखरा, दियरूआ समेत कई गांवों से जमा हो चुकी हजारों की भीड़ को हमले के लिए उकसाया। वे कह रहे थे कि मुस्लिमों को सबक सिखाना है। मो. हसनैन के परिवार का एक भी आदमी जिंदा नहीं रहना चाहिए। उसके बाद भीड़ पुलिस की मौजदूगी में मो. हसनैन समेत उनके दोनों भाई नूर मोहम्मद व नूर आलम के घर पर हमला बोल दिया।

उन्होंने बताया कि भीड़ ने मो. हसनैन की 35 वर्षीय शिक्षिका पत्नी सनावर खातून को घसीटते व मारते-पीटते घर से बाहर निकाला। उनकी दो बेटियों चाहत परवीन व इबरत परवीन, बड़े भाई 60 वर्षीय नूर आलम, मो. हसनैन के भतीजे व नूर आलम के लड़के मो. अनवर को दौड़ा-दौड़ा कर पीटना शुरू किया। इन पांच लोगों को भीड़ पीटते हुए श्रवण यादव के घर के पास ले गई और वहीं पर पूरी भीड़ के सामने सनवर खातून के शरीर के सारे कपड़े उतार डाले, सर का बाल नोच लिया और बेहद क्रूरता से पीटते हुए उनके गुप्तांग में रॉड डालकर उनकी हत्या कर दी। भीड़ ने मो. अनवर की भी पीट-पीट कर हत्या कर दी।

सबसे दुर्भाग्यूपर्ण यह है कि यह सब कुछ पुलिस की मौजदूगी में हुआ। ऐसा महसूस हुआ कि प्रशासन ने दंगाइयों को कुछ भी करने की छूट दे रखी थी। मो. हसनैन की बेटियों के शरीर पर तलवार, फरसा, काता से वार के निशान पाए गए। दूसरी तरफ भीड़ का एक दूसरा हिस्सा उनके घरों को लूटने के बाद आग लगाने का काम रहा था। लाखों की संपति लूट ली गई। चांदी, जेवरात, कीमती बर्तन, सामान लूटने के बाद एक कार व दो मोटरसाइकिल में आग लगा दी गई। यह सब जानकारी मो. हसनैन की बड़ी बेटी नुसरत परवीन ने दी जो पूरे घटनाक्रम को छुपकर देख रही थी। भीड़ उसे भी ढूंढ रही थी। लेकिन वह बाल-बाल बच गई।

माले नेतओं ने कहा कि इस वीभत्स कांड में अभी तक किसी भी अपराधी की गिरफ्तारी नहीं किया जाना बेहद आश्चर्यजनक है। मॉब लिंचिंग के उकसाने वाले अपराधियों में सब के नाम भी एफआईआर में नहीं है। अपराधी बिना किसी संकोच के खुले में घूम रहे हैं। ऐसा लगता है कि उन्हें किसी का डर नहीं।

भाकपा-माले जांच दल ने मो. हसनैन के परिजनों के साथ-साथ श्रवण यादव के परिजनों से भी मुलाकात की। जांच दल ने आग लगा दिए गए घरों, नाला विवाद के स्थान, श्रवण यादव को गोली मारने वाली जगह का भी दौरा किया और आसपास के लोगों से बातचीत की। जांच दल ने पाया कि उक्त घटना के पहले गांव में किसी भी प्रकार का सांप्रदायिक विद्वेष नहीं था। मो. हसनैन व श्रवण यादव के बीच नाला को लेकर दिनांक 20 जून को झड़प व हाथापाई हुई थी। इसी के बाद श्रवण यादव की हत्या कर दी गई थी। उसके बाद पूरे मामले को अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ मोड़ दिया गया और इस बर्बर घटना को अंजाम दिया गया। कुल मिलाकर इस घटना में दो लोगों की हत्या की जा चुकी है और तीन लोग बुरी तरह जख्मी हैं।

भाकपा-माले जांच दल का मानना है कि कानून व्यवस्था को तोड़ने व भीड़ हिंसा के लिए उकसाने वाले भाजपा-संघ व हिंदू पुत्र के सभी लोगों के नाम एफआईआर दर्ज हो, भीड़ को हिंसा के लिए छूट देने वाले स्थानीय थाना प्रभारी को बर्खास्त किया जाए और महिलाओं पर हिंसा रोकने में असफल जिले के डीएम व एसपी को जबावदेह ठहराते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। इस वीभत्स घटना के खिलाफ आगामी 3 जुलाई भाकपा-माले, इंसाफ मंच व ऐपवा की ओर से प्रतिवाद किया जाएगा।

जांच दल ने दरभंगा बम ब्लास्ट घटना की भी जांच की। उसने कहा कि विस्फोट बहुत मामूली था, उसकी जांच होनी चाहिए, लेकिन इस प्रकार की हर घटना को ‘आतंकवाद’ से जोड़ना पूरी तरह गलत है। जांच दल में भाकपा-माले विधायक बीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता, अगिआंव विधायक मनोज मंजिल, ऐपवा महासचिव मीना तिवारी, इंसाफ मंच के सूरज सिंह, आफताब आलम, माले नेता सुरेन्द्र सिंह, ऐपवा की वंदना सिंह व आइसा नेता पप्पू कुमार शामिल थे।
(प्रेस विज्ञप्ति परआधारित।)

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