उत्तराखंड से हिमाचल तक 2013 जैसा मंजर-10 की मौत, 51 हुए लापता

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देहरादून। 31 जुलाई की दोपहर से लेकर आधी रात तक उत्तराखंड के केदारनाथ से लेकर हिमाचल के मणिकर्ण तक एक बार फिर 2013 जैसा मंजर नजर आया। भारी बारिश के कारण कई जगह सड़कें पूरी तरह से बह गई, कहीं नदी-नालों में उफान आने से आसपास के लोगों को हटाना पड़ा, कहीं बादल फटने से लोगों के घर मलबे में दब गये, तो कहीं सड़कों पर खड़ी गाड़ियां बह गईं। इस दौरान उत्तराखंड में कम से कम 10 लोगों की मौत हो जाने की पुष्टि हो चुकी है, कुछ लोग अब भी लापता बताये जाते हैं। हिमाचल प्रदेश में शिमला और कुल्लू जिले में 54 लोगों की मौत हो गई है या वे लापता हैं।

उत्तराखंड में टिहरी जिले के जखन्याली गांव में बीती रात पहाड़ी नाले में अचानक उफान आ जाने से तीन लोगों की मलबे में दबने से मौत हो गई है। इस गांव की नौताड़ नामक जिस बस्ती में यह घटना हुई, उसी जगह पर ठीक 10 साल पहले 2014 में 31 जुलाई की रात को भी इसी तरह की घटना हुई थी, और 6 लोगों की मौत हो गई है। पूरे राज्य के साथ ही इस क्षेत्र में भी 31 जुलाई की दोपहर से ही बारिश हो रही थी। शाम होते-होते बारिश तेज हो गई। इसी दौरान घनसाल ब्लॉक के जखन्याली गांव की नौताड़ बस्ती से होकर गुजरने वाले बरसाती नाले में अचानक उफान आ गया। समझा जाता है कि ऊपरी क्षेत्र में बादल फटने के कारण नाले में उफान आया।

इस उफान में आये मलबे से नौताड़ का एक घर पूरी तरह से दब गया। आसपास के लोग रात को ही मौके पर पहुंच गये। 5 किमी दूर ब्लॉक मुख्यालय से एसडीआरएफ और पुलिस की टीम में नौताड़ पहुंच गई। मलबे में से एक दंपति के शव बरामद हुए, जबकि उनका 28 वर्षीय बेटा गंभीर रूप से जख्मी मिला। उसे रात को ही ऋषिकेश के एम्स भेजा गया, लेकिन गांव से कुछ दूर पहुंचते ही उसकी भी मौत हो गई। टिहरी के घनसाली ब्लॉक के ही तिनगढ़ तोली गांव में एक हफ्ते पहले भी मलबे से दबकर एक मां-बेटी की मौत हो गई थी। जबकि गांव के 15 घर क्षतिग्रस्त हो गये थे। इन घरों में रहने वालों को समय रहते निकाल दिया गया था।

उधर केदारनाथ मार्ग पर हालात लगभग 2013 जैसे पैदा हो गये। इससे इस क्षेत्र में तीर्थयात्री बुरी तरह से घबरा गये। बताया जाता है कि केदारनाथ पैदल मार्ग पर रामबाड़ा और भीमबली के बीच देर शाम बादल फट गया। जिससे भारी मात्रा में मलबा मंदाकिनी की ओर बहने लगा। इस मलबे के कारण पैदल मार्ग कई जगह पर बह गया, और दो पुल टूट गये। इससे तीर्थयात्री जहां के तहां फंस गये। सुबह एसडीआरएफ की टीम ने पहाड़ को काटकर वैकल्पिक मार्ग बनाने का काम शुरू कर दिया है।

हालांकि इस रास्ते के बनने में अभी एक या दो दिन लगने की संभावना है। मलबे का पानी इतने उफान पर था कि नीचे गौरीकुंड में बाजार खाली करवाना पड़ा। उससे नीचे सोनप्रयाग में भी मंदाकिनी नदी के पास बना पार्किंग रात के अंधेरे में खाली करवाया गया। पुलिस के अनुसार सोनप्रयाग से करीब एक किमी आगे गौरीकुंड की तरफ सड़क का एक बड़ा हिस्सा पूरी तरह से वॉशआउट हो गया है। यहां फिलहाल पैदल आने-जाने लायक भी सड़क नहीं बची है।

सोनप्रयाग में मौजूद केदारनाथ क्षेत्र के पूर्व विधायक मनोज रावत ने जनचौक का बताया कि स्थिति काफी खराब है। हालांकि उन्होंने इस बात पर संतोष जताया कि इस क्षेत्र में किसी तरह की कोई जनहानि नहीं हुई है। मनोज रावत के अनुसार वे कांग्रेस की केदारनाथ प्रतिष्ठा यात्रा में शामिल हैं। यात्रा आज सुबह गुप्तकाशी से रवाना हुई। सोनप्रयाग में सड़क टूट जाने की खबर मिलने के बाद वे वाहन से यहां पहुंचे थे। फिलहाल आगे पता नहीं कैसी स्थिति होगी, लेकिन सोनप्रयाग में सड़क जिस तरह से बह गई है, उसे देखकर नहीं लगता कि यह सड़क, अगले दो दिन में आने-जाने लायक हो पाएगी। उन्होंने कहा कि ऊपर की ओर फंसे तीर्थयात्री जंगल में कई किमी चलकर सोनप्रयाग पहुंच रहे हैं।

रुद्रप्रयाग जिले के सोनप्रयाग में नेशनल हाईवे का कई मीटर हिस्सा वॉश आउट हो गया।

बारिश के कारण हरिद्वार जिले में चार लोगों की मौत हो गई। रुड़की के भोरी डेरा गांव में एक घर की छत और दीवार ढहने से दो बच्चों की मौत हो गई, जबकि रुड़की टैक्सी स्टैंड पर करंट फैलने से दो लोग मारे गये। हल्द्वानी और बागेश्वर में दो लोग नदी में बहकर लापता हो गये हैं।

हिमाचल प्रदेश में भी इस दौरान तबाही का सिलसिला जारी है। शिमला जिले के रामपुर और कुल्लू के मणिकर्ण, चंबा और मंडी में बादल फटने से तबाही होने के समाचार हैं। बताया जाता है कि इन दोनों घटनाओं में कई लोग लापता हैं। रामपुर के समेज गांव में सबसे ज्यादा तबाही हुई। यहां 36 लोग लापता बताये जा रहे हैं। एक व्यक्ति का शव बरामद हुआ है। गांव का स्कूल और कई घर में क्षतिग्रस्त हो गये हैं या पूरी तरह मलबे में दब गये हैं। मंडी के चौहारघाटी में 3 मकान मलबे की चपेट में आ गये हैं, जिससे 11 लोग लापता हैं। इस घटना में भी अब तक एक व्यक्ति का शव मिला है। कुल्लू के बागीपुल में भी बादल फटने के कारण 10 लोग लापता बताये जा रहे हैं। मनाली में सब्जी मंडी की बहुमंजिला इमारत गिरने की खबर है। इसके अलावा कुल्लू-चंडीगढ़ मार्ग भी बंद हो गया है। राज्यभर में ज्यादातर सड़कें भारी बारिश के बाद बंद हो गई हैं।

हिमाचल प्रदेश में कम बारिश, ज्यादा नुकसान

एक-दूसरे के पड़ोसी, दोनों हिमालयी राज्यों उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की आपदा की दृष्टि से तुलना करें तो एक समान भौगोलिक स्थिति और एक जैसी जलवायु होने के बावजूद, पिछले कुछ सालों से हिमाचल प्रदेश में प्रकृति का कहर कुछ ज्यादा नजर आ रहा है। 2023 में जब हिमाचल प्रदेश मानसून के सीजन में पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया था, और कई जगहों पर भारी नुकसान हो रहा था तो तब उत्तराखंड में कोई बहुत बड़ी घटना नहीं हुई थी। इस साल भी ऐसा ही हो रहा है।

हिमाचल प्रदेश में अब तक उत्तराखंड के मुकाबले कम बारिश दर्ज की गई है, जबकि नुकसान ज्यादा हुआ है। पिछले 24 घंटे के दौरान उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में लगभग बराबर बारिश हुई। उत्तराखंड में 37.8 मिमी और हिमाचल प्रदेश में 37.7 मिमी हालांकि इन दोनों राज्यों में इस दौरान होने वाली सामान्य बारिश की तुलना करें, तो उत्तराखंड में 31 जुलाई की सुबह से पहली अगस्त की सुबह तक सामान्य से 145 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई, जबकि हिमाचल प्रदेश में सामान्य से 305 प्रतिशत ज्यादा बारिश दर्ज की गई।

इस पूरे सीजन में यानी 1 जून की सुबह से 1 अगस्त की सुबह तक हुई बारिश के आंकड़ों में उत्तराखंड की तुलना में हिमाचल प्रदेश काफी पीछे है। हिमाचल प्रदेश में इस दौरान 266.6 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य से 27 प्रतिशत कम है, जबकि उत्तराखंड में 609.1 मिमी बारिश हो चुकी है, जो लगभग सामान्य है। हिमाचल प्रदेश के सभी 12 जिलों में अब तक सामान्य से कम बारिश हुई है।

किन्नौर जिले में सामान्य से 49 प्रतिशत और लाहौल-स्पीति में सामान्य से 79 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई है। हिमाचल प्रदेश के 12 जिलों में एक भी ऐसा जिला नहीं है, जहां सामान्य या सामान्य से ज्यादा बारिश दर्ज की गई हो। बिलासपुर में अब तक सामान्य से 23 प्रतिशत कम, चम्बा में 32 प्रतिशत कम, हमीरपुर में 27 प्रतिशत कम, कांगड़ा में 5 प्रतिशत कम, किन्नौर में 49 प्रतिशत कम, कुल्लू में 20 प्रतिशत कम, लाहौल-स्पीति में 79 प्रतिशत कम, मंडी में 11 प्रतिशत कम, शिमला में 9 प्रतिशत कम, सिरमौर में 34 प्रतिशत कम, सोलन में 33 प्रतिशत कम और ऊना में 39 प्रतिशत कम बारिश हुई है।

उत्तराखंड में जिलावार बारिश के आंकड़े बताते हैं कि यहां मानसून सीजन में अब तक हिमाचल प्रदेश की तुलना में नुकसान कम हुआ हो, लेकिन बारिश हिमाचल प्रदेश से बेहतर हुई है। राज्य के 13 में से 6 जिलों में सामान्य से कम और 5 जिलों में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है। 1 जून की सुबह से 1 अगस्त की सुबह तक उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में सामान्य से 1 प्रतिशत ज्यादा, चमोली में 47 प्रतिशत ज्यादा, चम्पावत में 13 प्रतिशत ज्यादा, देहरादून में 21 प्रतिशत ज्यादा, पौड़ी में 46 प्रतिशत कम, टिहरी में 3 प्रतिशत कम, हरिद्वार में 16 प्रतिशत कम, नैनीताल में 14 प्रतिशत कम, पिथौरागढ़ में 4 प्रतिशत ज्यादा, रुद्रप्रयाग में 17 प्रतिशत कम, ऊधमसिंह नगर में 11 प्रतिशत ज्यादा और उत्तरकाशी में सामान्य से 33 प्रतिशत कम बारिश हुई है। उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में मौसम विभाग की वेबसाइट पर सामान्य से 180 प्रतिशत ज्यादा बारिश दर्ज की गई है।

पूछने पर मौसम विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बागेश्वर में अभी कुछ साल पहले सामा में एक नया वेदर स्टेशन स्थापित किया गया है। यह क्षेत्र ज्यादा बारिश वाला है। फिलहाल बागेश्वर का जो आंकड़ा प्रदर्शित किया जा रहा है, उसमें सामा में होने वाली बारिश भी शामिल है, लेकिन बारिश का जो औसत स्तर है, उसमें सामा में होने वाली बारिश शामिल नहीं है, क्योंकि यह स्तर कई सालों की बारिश के आंकड़ों के आधार पर निकाला जाता है। ऐसे में फिलहाल बागेश्वर मेें बारिश सामान्य से बहुत ज्यादा प्रदर्शित हो रही है। कुछ वर्षों बाद जब औसत या सामान्य बारिश का स्तर तय करते वक्त सामां स्टेशन की आंकड़ों को भी शामिल किया जाएगा, तब यह स्तर कम हो जाएगा। 

(त्रिलोचन भट्ट वरिष्ठ पत्रकार हैं और उत्तराखंड में रहते हैं।)

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