Friday, April 19, 2024

छः महीने के भीतर भागलपुर के बिहपुर पुलिस लॉकअप में दूसरी हत्या

भागलपुर जिला के बिहपुर थाना क्षेत्र के झंडापुर ओपी में पुलिस पर दलित नौजवान विभूति रविदास को पीट-पीटकर हत्या करने का आरोप लगा है। पुलिस मामले की लीपापोती में लगी है और मामले को आत्महत्या बता रही है।

विभूति रविदास मैट्रिक पास नौजवान था। बचपन से अपने रिटायर्ड फौजी दादा अर्जुन दास का दुलारा पोता रहा है। 2017 में दादाजी की मौत के बाद घर की आर्थिक हालत खराब हो गई। पिता शंभू दास मुम्बई में राजमिस्त्री का काम करने लगते हैं और बेटा ड्राइवरी। यहां छः बच्चे और एक सास का ख्याल रखने के लिए माता पुष्पा देवी है। छोटा सा घर ईंट-छत का है। पांच भाई में विभूति सबसे बड़ा है। एक बहन खुशी कुमारी है, जिसने अभी मैट्रिक पास किया है। बहन, भाई, मां, दादी की ख़ुशी के लिए विभूति कभी डीजे बजाने चला जाता था तो कभी चार पहिया का ड्राइवर बन जाता था, लेकिन 23 को शाम में जिंदा निकला विभूति रविदास की मौत की खबर आई।

पड़ोस के ही फुलो मंडल उर्फ चंद्रशेखर सिंह आजाद की स्कॉर्पियो गाड़ी संख्या-BR10-PB/5542 जिसका ये दो महीने से ड्राइवर था, आज गाड़ी लेकर बारात के लिए भेजा गया था। थाली में रोटी-सब्ज़ी, नमक-प्याज का चार कौर खाया ही था कि फुलो मंडल का बेटा सुमन मंडल और रोहित ने आकर कहा कि जल्दी जाइये बारात लेकर आपको जाना है, इंतजार कर रहा है। बाबू बोले हैं आपको जल्दी निकलने के लिए। आधा पेट खाकर ही विभूति रविदास खरीक प्रखंड के ध्रुवगंज से बारात लेकर बिहपुर प्रखंड के मड़वा गांव चला गया।

रास्ते में घात लगाए बदमाशों ने गाड़ी सहित उसका अपहरण कर लिया। बदमाशों ने बेगूसराय जिले के साहेबपुर कमाल के पास उसका मुंह बांधकर बाहर फेंक दिया। इसके बाद बदमाश गाड़ी लेकर फरार हो गए। विभूति रविदास ने मोबाइल से उक्त बातों की जानकारी 23-24 अप्रैल की रात 2:50 बजे गाड़ी मालिक ललन कुमार (FIR के अनुसार) जानकारी दे देता है। उसने बताया कि मुझे पांच व्यक्ति ने मिलकर गाड़ी सहित हथियार के बल पर जमालपुर स्कूल के पास से अगवा कर साहेबपुर कमाल पेट्रोल पंप के समीप छोड़ दिया एवं पांचों व्यक्ति गाड़ी लेकर भाग गए। ललन कुमार आगे FIR में कहता है कि मुझे पूर्ण विश्वास है कि विभूति कुमार उर्फ मनीष कुमार ने ही अपने पांच साथियों के साथ मिलकर गाड़ी पचाने की नीयत से गायब कर दी।

पुलिस सूचना के आधार पर 24 अप्रैल की सुबह झंडापुर चौक से विभूति रविदास को गिरफ्तार कर ओपी लाती है। पूछताछ के लिए गौरीपुर गांव इसके घर और फूलो मंडल के घर तक आती है और वापस झंडापुर ओपी हाजत में बंद कर देती है। 25 अप्रैल को मां अपने बेटे विभूति से मिलने झंडापुर ओपी गई। वहां पुलिस ने डांट-फटकार,  गाली गलौच करते हुए थोड़ी देर में ही भगा दिया। 27 अप्रैल को सुबह फिर मां-भाई और पड़ोस की एक-दो महिला जाती हैं। वहां झंडापुर पुलिस फिर इन लोगों को डांट-फटकार कर भगा देती है। पुलिस कहती है कि दो घंटे के बाद आना तब विभूति से मुलाकात हो जाएगी।

विभूति की मां झंडापुर गांव में ही रिश्तेदार के यहां चली जाती हैं। दो घंटे बाद फिर झंडापुर ओपी आती हैं तो पुलिस उन्हें बताती है कि तुम्हारा बेटा ठीक-ठाक है, पर वो नौगछिया अस्पताल में चेकअप कराने गया है। थोड़ी देर बाद आना। पुलिस ने सीधे-साधे दलित-बहुजन परिवार को तीन दिनों तक बहलाए रखा। मां-भाई का दिल घबराने लगा। उन्हें पुलिस के रवैए से लगा जरूर कुछ गड़बड़ है। तब सब लोग जहां हो सका फोन से जानकारी देने लगे। उनके नौगछिया अनुमंडल अस्पताल पहुंचने पर पता चलता है कि विभूति तो रात में ही मर गया है। शव बाहर रखा हुआ है।

परिजनों ने देखा कि मृत शरीर के अंग-अंग पर बेरहमी से मारने के निशान हैं। नाक से खून बह रहा है। गुप्तांग तक में मारपीट के निशान हैं। अगर आप जख्म देख सकेंगे तो कह देंगे कि ये पुलिस आदमखोर हो गयी है। हथेली हो या तलवा कलेजा हो या पीठ नाक, कान, आँख से लेकर सभी जगह सिर्फ पीटने के निशान और जख्म थे। वह कोई प्रोफेशनल बदमाश नहीं था। एक 20 वर्षीय मासूम नौजवान था, जिसके हजारों सपने थे। इसी बिहपुर पुलिस ने 24 अक्तूबर 2020 को बिहपुर थाना मुख्यालय में इसी तरह पीट-पीटकर आशुतोष पाठक की हत्या कर दी थी, पर आरोपी आज भी फरार है।

अभी तक झंडापुर ओपी के प्रभारी और ड्युटी पर तैनात पुलिस को न्यायिक हिरासत में क्यों नही लिया गया है। क्या उसके भी भागने का इंतजार हो रहा है! सामाजिक न्याय आंदोलन, बिहार के संयोजक व बहुजन स्टूडेंट्स यूनियन, बिहार के संरक्षक गौतम कुमार प्रीतम ने कहा कि नौगछिया पुलिस, दलाल और चाटुकार के इशारे पर काम करती है। सड़क पर अवैध वसूली से लेकर तमाम तरह के गलत काम करते रहते हैं। अब यह कमजोर निसहाय को पैर की जूती समझते हुए मार-मारकर जान ले रहे हैं। प्रीतम ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अविलंब इन सभी आरोपी पुलिस वालों को निलंबित कर न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेजें। पीड़ित परिवार के बयान पर दफा 302 सहित एससी एक्ट व अन्य धारा लगाते हुए एफआईआर दर्ज हो। दस लाख मुआवज़ा के साथ-साथ सरकार सभी बहन-भाई की पढ़ाई की गारंटी करे और सुरक्षा की गारंटी करे।

घटना के बाद पुलिस-प्रशासन के साथ ही क्षेत्र के समाजसेवी भी पहुंच गए। प्रखंड विकास पदाधिकारी, अंचलाधिकारी ने उपस्थित लोगों से बातचीत कर मांग पर चर्चा की, लेकिन वार्ता सफल नहीं हुई। उच्च और सक्षम अधिकारीगण आए। इसमें एसडीएम, डीएसपी नौगछिया ने पीड़ित परिवार के पक्ष से सोशलिस्ट नेता गौतम कुमार प्रीतम, कॉ. बिन्देश्वरी मंडल, राजद नेता मोईन राईन, सामाजिक कार्यकर्ता चंदन कुमार, नसीब रविदास, अजय रविदास, बहुजन स्टूडेंट्स यूनियन, बिहार के दीपक पासवान,  दीपक रविदास से वार्ता हुई। इसमें मांग की गई कि आरोपी दारोगा हरिकिशोर सिंह सहित संलिप्त सभी पुलिस को दफा 302 और 120 सहित एससी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कर स्पीडी ट्रायल चलाकर जल्द-से-जल्द सजा की गारंटी हो। पीड़ित परिवार को 25 लाख लाभ मिले, परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी की गारंटी हो, केस का अनुसंधान न्यायिक मजिस्ट्रेट या जिला मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में हो।

इधर दलित-बहुजन समाज सहित अन्य लोगों में पुलिस और सरकार के प्रति काफ़ी गुस्सा और नाराज़गी है। लोग कह रहे हैं पुलिस आदमखोर बन गई है। (वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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