बारिश का दूसरा दौर उत्तराखंड पर भारी

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स्थाई आपदा वाले उत्तराखंड राज्य पर इस मानसून सीजन की तेज बारिश का दूसरा दौर भारी पड़ रहा है। तेज बारिश के पहले दौर में सड़क मार्ग ही ज्यादातर बाधित हुए थे और खासकर चारधाम यात्रा मार्ग, जिन्हें ऑल वेदर रोड के नाम पर चौड़ा किया गया है। चारधाम मार्ग पर कुछ जगहों पर पहाड़ी से मलबा गिरने के कारण कुछ लोगों को मौत भी हो गई थी। लेकिन, बारिश के दूसरे दौर में गंगा, यमुना, अलकनन्दा, मंदाकिनी, भागीरथी, भिलंगना सहित सभी छोटी-बड़ी नदियां उफान पर हैं और पहाड़ियों के दरकने का सिलसिला तेज हो गया है। इस बार सबसे ज्यादा नुकसान टिहरी जिले में हुआ है। इसके अलावा बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री में भी नदियों का जलस्तर बढ़ा हुआ है और तीर्थयात्रियों को नदियों से दूर रहने की सलाह दी गई है।

बारिश के इस दूसरे दौर में टिहरी जिले में हुई दो अलग-अलग घटनाओं में दो महिलाओं और उनकी बेटियों की मौत हो गई है। भिलंगना ब्लॉक के तोली गांव में शुक्रवार की रात तेज बारिश के दौरान, गांव के ऊपर की पहाड़ी दरक गई। पहाड़ी का मलबा कई घरों के ऊपर गिर गया। ज्यादातर लोगों ने भारी बारिश और रात के अंधेरे के बावजूद भागकर जान बचाई, लेकिन 36 साल की सरिता देवी और उनकी 15 साल की बेटी अंकिता बाहर नहीं भाग पाईं और मलबे में दब गईं। एसडीआरएफ ने सुबह किसी तरह टूट-फूटे रास्तों से गांव पहुंचकर राहत अभियान चलाया और मां-बेटी के शव मलबे से बाहर निकाले। भिलंगना क्षेत्र में कई दूसरी जगहों पर भी बारिश के कारण नुकसान हुआ है। गांव तक पहुंचने वाली सड़कें कई जगहों से टूट गई हैं। पुलिया भी ध्वस्त हो गई है। गांव का जूनियर हाई स्कूल भी क्षतिग्रस्त और असुरक्षित हो गया है। यहां स्कूल की छुट्टी कर दी गई है।

तोली गांव जहां मलबे में दबकर मां और बेटी की मौत हो गई

भिलंगना के साथ ही बूढ़ाकेदार क्षेत्र में भी शु़क्रवार और शनिवार को बारिश के कारण भारी तबाही हुई। बूढ़ाकेदार में देखते ही देखते सड़क के किनारे की कुछ दुकानें भरभराकर नदी में समां गई। बूढ़ाकेदार से करीब 6 किमी दूर झाला पुल के पास एक मां और बेटी धर्मगंगा में बह गईं। बताया जाता है कि नेपाली मूल का मजदूर पप्पू बहादुर नदी के पास झोपड़ी में अपने परिवार के साथ रहता था। शुक्रवार आधी रात के आसपास तेज बारिश के बीच धर्मगंगा का जल स्तर बढ़ गया। पप्पू बहादुर और उसके परिवार के एक अन्य सदस्य रमेश बहादुर ने भागकर जान बचाई, लेकिन पप्पू बहादुर की पत्नी 32 साल की जया और 7 साल की बेटी मोनिका नदी में बह गईं। शनिवार को दिनभर धर्मगंगा में उनकी तलाश की गई, लेकिन कहीं भी उनका पता नहीं चल पाया।

घनसाली ब्लॉक का तिनगढ़ गांव शनिवार को गांव के ऊपर से आये भारी मलबे के कारण तिनकों की तरह ढह गया। इस गांव में करीब 15 मकान टूट गये या मलबे में दब गये। गांव में हुए भूस्खलन का एक वीडिया सोशल मीडिया पर आया है। इस वीडियो में साफ देखा जा रहा है गांव के ठीक ऊपर से भारी मात्रा में मलबा आ रहा है और घरों से टकराकर वहां धुएं का एक गुबार उठ रहा है। तिनगढ़ के मामले में अच्छी बात यह रही कि पहले ही गांव के ऊपर भूस्खलन शुरू होने का पता चल गया था और प्रशासन ने गांव को पूरी तरह से खाली करवा दिया था। इन घरों में रहने वाले लोगों को गांव के सरकारी स्कूल में शिफ्ट कर दिया गया था। इससे यहां कोई जनहानि नहीं हुई।

बदरीनाथ धाम एक बार फिर से तेज बारिश के बीच यहां हो रहे स्मार्ट धाम कार्यों का दंश झेल रहा है। अलकनन्दा का जल स्तर बढ़ जाने से यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया गया है। इस सीजन में यह दूसरा मौका है, जब बदरीनाथ में जलस्तर खतरनाक स्तर तक बढ़ गया है। बदरीनाथ में इस तरह की आशंका पहले से जताई जा रही थी। बदरीनाथ में पिछले दो सालों से स्मार्ट धाम बनाने की प्रक्रिया चल रही है। इसके लिए यहां भारी तोड़फोड़ की गई है। बड़ी संख्या में भवनों को तोड़ दिया गया है। इसके अलावा अलकनन्दा के किनारे रिवर फ्रंट नाम से भी एक प्रोजेक्ट निर्माणाधीन है। खास बात यह है कि इस तोड़फोड़ में जो भी मलबा निकल रहा है, उसे सीधे अलकनन्दा में डंप किया जा रहा है। पिछले वर्ष सितम्बर में जनचौक ने बदरीनाथ में हो रहे निर्माण कार्यों का रियलिटी चेक किया था। इस दौरान कई दुकानदारों और पंडा-पुरोहितों से भी बात की थी। सभी ने आशंका जताई थी कि जिस तरह से सारा का सारा मलबा अलकनन्दा में डंप किया जा रहा है, उससे अलकनन्दा का स्तर बढ़ेगा और बरसात के दिनों में बदरीनाथ खतरे में आएगा। पिछली बारिश में बदरीनाथ में निर्माण कार्यों के लिए बनाया गया अस्थाई पुल बह गया था।

अलकनन्दा का जल स्तर बढ़ने से श्रीनगर के पास एक पुल पानी में डूब गया है। इससे टिहरी जिले के कोटली, बांसी भरदार क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा पूरी तरह से कट गया है। दरअसल श्रीनगर डैम में पानी निर्धारित स्तर से ज्यादा भर दिया गया है। इससे पुल डूबने के साथ ही इस क्षेत्र का मल्यासू महादेव मंदिर लगभग पूरी तरह से पानी में डूब गया है। श्रीनगर में रह रहे एक्टिविस्ट मुकेश सेमवाल ने बताया कि डैम में ज्यादा पानी भर गया है। नियमानुसार ऐसी स्थिति में डैम से पानी छोड़ दिया जाता है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं किया गया है। जिससे मल्यासू महादेव मंदिर और मल्यासू पुल पूरी तरह से डूब गये हैं।

ज्यादातर सड़कें बंद

उत्तराखंड में पिछले तीन दिनों से हो रही तेज बारिश के कारण ज्यादातर सड़कें बंद हो गई हैं। ग्रामीण सड़कों के साथ ही राष्ट्रीय राजमार्ग भी बार-बार बाधित हो रहे हैं। ऑल वेदर रोड के नाम पर पहाड़ों को बेतरतीब तरीके से खोदे जाने के कारण ऐसी स्थिति पैदा हुई है। इन दिनों बड़ी संख्या में कांवड़िये चारधाम मार्ग पर हैं। पहले कांवड़िये हरिद्वार से गंगाजल लेकर वापस अपने घरों को लौट जाते थे। लेकिन हाल के वर्षों में, केदारनाथ, बदरीनाथ और गंगोत्री तक कांवड़िये पहुंच रहे हैं। भारी बारिश के बीच पहाड़ से गिरने वाले बोल्डर और मलबा कांवड़ियों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। केदारनाथ जा रहे रहे कांवड़ियों का एक दल शनिवार को सोनप्रयाग के पास उस समय बाल-बाल बच गया, जब पहाड़ी से भारी-भरकम मलबा सड़का पर आ गया। कांवड़ियों ने भागकर जान बचाई। कई दूसरी जगहों पर भी इस तरह के हादसे होने की आशंका बनी हुई है।

कुछ जिलों में अब भी कम बारिश

उत्तराखंड में बारिश बेशक तबाही मचा रही हो, लेकिन इसके बावजूद कुछ जिलों में अब भी सामान्य से कम बारिश हुई है। हालांकि दूसरे दौर की तेज बारिश के कारण कुछ अन्य जिलों में अब बारिश का औसत सामान्य या सामान्य से कुछ ज्यादा तक पहुंच गया है। पहले दौर की तेज बारिश के बाद राज्य में बारिश का औसत सामान्य से 4 प्रतिशत कम दर्ज किया गया था, जो दूसरे दौर की बारिश के बाद अब सामान्य की सीमा तक पहुंच गया है। मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार राज्य में अब तक 534.5 मिमी बारिश हुई है, जो सामान्य स्तर 536.1 से थोड़ा ही कम है। लेकिन कुछ जिलों में अब भी सामान्य से बहुत कम बारिश हुई है। पौड़ी की स्थिति सबसे खराब है, यहां अब तक सामान्य से 44 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई है। यहां पहली जून से 27 जुलाई तक सामान्य रूप से 518.9 मिमी बारिश होती है, लेकिन इस बार केवल 291.7 मिमी बारिश हुई है। इसी तरह सीमावर्ती उत्तरकाशी जिले में भी सामान्य से काफी कम बारिश हुई है। इस जिले में 27 जुलाई तक 537.3 मिमी बारिश होती है, लेकिन इस बार 319.5 मिमी बारिश हुई है, यानी सामान्य से 41 प्रतिशत कम। टिहरी जिले में जहां शुक्रवार की रात भारी बारिश हुई, वहां भी शनिवार सुबह तक सामान्य से 6 प्रतिशत कम बारिश हुई थी। हरिद्वार, नैनीताल और रुद्रप्रयाग में भी अब तक बारिश का औसत सामान्य से कम है।

(त्रिलोचन भट्ट वरिष्ठ पत्रकार हैं औऱ उत्तराखंड में रहते हैं।)

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