सुप्रीम कोर्ट से दया की भीख मांग रहा पत्नी को जिंदा दफ़नाने वाला स्वयंभू स्वामी श्रद्धानंद

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80 वर्षीय स्वामी श्रद्धानंद उर्फ मुरली मनोहर मिश्रा ने अपनी दया याचिका पर शीघ्र निर्णय के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। स्वामी श्रद्धानंद अपनी मैसूर राजघराने के पूर्व दीवान की पोती शाकिरा खलीली की हत्या के लिए दोषी ठहराए जाने के बाद लगभग 30 वर्षों से जेल में बंद हैं। श्रद्धानंद अपनी पत्नी शाकिरा खलीली की हत्या के आरोप में 1994 से उम्रकैद की सजा काट रहा है।

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की खंडपीठ के समक्ष यह मामला आज यानी 24 जनवरी को सूचीबद्ध किया गया, जिसने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज (केंद्र की ओर से) के अनुरोध पर इसे स्थगित कर दिया और उन्हें निर्देश प्राप्त करने के लिए 2 सप्ताह का समय दिया।

स्वामी श्रद्धानंद की ओर से तर्क दिया गया कि स्वयंभू धर्मगुरु 30 वर्षों से अधिक समय से एक भी दिन पैरोल के बिना लगातार जेल में हैं। उन्होंने आगे आग्रह किया कि श्रद्धानंद विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हैं। वर्तमान याचिका इसलिए दायर की गई, जिससे दया याचिका पर जल्द से जल्द निर्णय लिया जा सके।

जस्टिस गवई ने जब यह टिप्पणी की कि यह न्यायालय के समक्ष श्रद्धानंद की 7वीं या 8वीं याचिका है तो ठाकुर ने स्पष्ट किया कि ऐसा नहीं है। उन्होंने पहले दायर याचिकाओं का विवरण दिया। इनमें शामिल हैं – (i) श्रद्धानंद को आजीवन कारावास (बिना किसी छूट के) देने वाले फैसले पर पुनर्विचार के लिए दायर की गई पुनर्विचार याचिका, (ii) 2014 में पैरोल और अमेजन प्राइम की डॉक्यूसीरीज ‘डांसिंग ऑन द ग्रेव’ (खलीली की हत्या से संबंधित) पर रोक लगाने की मांग करने वाली रिट याचिका, जिस पर विचार नहीं किया गया। अंततः उसे वापस ले लिया गया, और (iii) पैरोल की मांग करने वाली अन्य रिट याचिका जिसे सितंबर, 2024 में खारिज कर दिया गया।

ऊपर उल्लिखित कार्यवाही में से एक के दौरान, सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया कि श्रद्धानंद ने संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत भारत के राष्ट्रपति के समक्ष क्षमा के लिए अभ्यावेदन किया।

वकील की बात सुनने के बाद जस्टिस गवई ने टिप्पणी की, “आपको (श्रद्धानंद) इस न्यायालय को धन्यवाद देना चाहिए कि उस समय आप बच गए।” न्यायाधीश ने यह भी कहा कि श्रद्धानंद का मामला ही “मध्य मार्ग कानून” का मूल था – यानी बिना किसी छूट के आजीवन कारावास से लेकर मृत्यु तक की सजा (पारंपरिक आजीवन कारावास और मृत्यु दंड के बीच का एक मध्य मार्ग)।

राजीव गांधी मर्डर केस की दोषी नलिनी श्रीहरन की रिहाई के बाद कातिल बाबा श्रद्धानंद ने देश की सबसे बड़ी अदालत से रिहाई की गुहार लगाई है। 80 साल का उसने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई अपनी याचिका में कहा कि जिस तरह राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा किया गया है, उसे भी 30 साल कैद में रहने के बाद अब जेल से रिहा किया जाय।

शाकिरा खलीली नाम की वो लड़की बेहद खूबसूरत और स्टाइलिश थी। वो मैसूर राजघराने के दीवान की बेटी और सर मिर्जा इस्मायल की पोती थी। लिहाजा, उसका अंदाज भी राजसी था। कमसिन उम्र में ही उसका रिश्ता तय हो गया था और कुछ साल बाद उसकी शादी एक आईएफएस अफसर अकबर मिर्जा खलीली के साथ हो गई थी। अकबर ऑस्ट्रेलिया में भारत के हाई कमिश्नर रह चुके थे और एक दमदार शख्सियत के मालिक थे। वक्त जैसे पंख लगा कर उड़ रहा था। उनकी शादी को 25 साल का अरसा बीत गया। दोनों की 4 बेटियां थीं। उनकी जिंदगी खुशहाल तरीके से बीत रही थी।

शादी के 25 साल बाद शाकिरा की जिंदगी में उस वक्त अचानक एक नया मोड आ गया, जब उसकी मुलाकात एक पार्टी में मुरली मनोहर मिश्रा नाम के शख्स से हुई। दरअसल, मिश्रा भी राज परिवार के घर में काम करता था। उसे संपत्ति और कर के बारे में अच्छी जानकारी थी। ना जाने उसने शाकिरा पर क्या जादू सा कर दिया था कि वो उस पर फिदा हो गई थी।

शाकिरा को हमेशा इस बात का मलाल रहता था कि उसका कोई बेटा नहीं है।उसे चार बेटियां होने के बावजूद एक बेटे की कमी खलने लगी थी। यही वो दौर था, जब मुरली मनोहर मिश्रा ने अध्यात्म का रास्ता अपना लिया था और वो अब स्वामी श्रद्धानंद बन चुका था। ये उसकी नई पहचान थी। शाकिरा भी बेटे की चाहत में उसके पास जा पहुंची। वो अक्सर स्वामी श्रद्धानंद से मिलने जाती थी। वो श्रद्धानंद को पसंद करने लगी थी। मामला केवल एक तरफा नहीं था।मुरली मनोहर उर्फ श्रद्धानंद भी शाकिरा पर मरने लगा था। दोनों के बीच इश्क परवान चढ़ रहा था। इसी प्यार में पड़कर शाकिरा खलील ने एक दिन अपने पति अकबर मिर्जा को तलाक देने के फैसला कर लिया। उसने अकबर को तलाक दिया और और साल 1986 में स्वामी श्रद्धानंद के साथ शादी कर ली। यही नहीं शादी के बाद शाकिरा और श्रद्धानंद यानी मुरली मनोहर बेंगलुरु में जाकर रहने लगे थे।

शाकिरा और स्वामी श्रद्धानंद की शादी से उसकी बेटियां खुश नहीं थीं। उन्हें ये रिश्ता बिल्कुल पसंद नहीं आया और तीन बेटियों ने अपने पिता के साथ रहने का फैसला किया। जबकि एक बेटी सबा ने अपनी मां के साथ रहने का फैसला किया। सबा को मॉडलिंग करने का शौक था। लिहाजा वो मुंबई जाकर अपना शौक पूरा करना चाहती थी। उसकी मां ने उसे मुंबई भेज दिया। वो कभी-कभी अपनी मां से मिलने के लिए बेंगलुरु आ जाया करती थी।

स्वामी श्रद्धानंद और शाकिरा का रिश्ता ठीक चल रहा था। उनकी शादी को करीब पांच साल का वक्त बीत चुका था। लेकिन अचानक एक दिन शाकिरा कहीं लापता हो गई। उसकी बेटी सबा उसे मुंबई से लगातार फोन कर रही थी। उसने स्वामी श्रद्धानंद को भी फोन किया और उससे अपनी मां के बारे में पूछा। लेकिन श्रद्धानंद उससे बहाने बनाने लगा। वो उसे ठीक से कुछ बता नहीं रहा था। इस बात से सबा परेशान थी।

शाकिरा से बात ना होने की वजह से सबा बेहद परेशान थी। उसे मां की चिंता होने लगी थी। जब उसे कुछ पता नहीं चला तो वो सीधे मुंबई से बेंगलुरु अपनी मां के घर आ गई। जहां उसे पता चला कि उसकी मां कहीं गायब हो चुकी है। वो इस बात से काफी दुखी थी। सबा और श्रद्धानंद पूरे नौ महीने तक उसे तलाश करते रहे. इसी दौरान एक दिन स्वामी श्रद्धानंद ने सबा को बताया कि उसकी मां का पता चल गया है। वो प्रेग्नेंट है और अमेरिका के रूजवेल्ट हॉस्पिटल जांच के लिए गई है।यह जानकर सबा ने फौरन रूजवेल्ट हॉस्पिटल में संपर्क किया, लेकिन वहां शाकिरा नाम की कोई पेशंट नहीं थी।

स्वामी श्रद्धानंद की झूठी कहानी ने सबा के दिमाग में शक का बीज बो दिया था। सबा यह जान चुकी थी कि स्वामी श्रद्धानंद उसकी मां के बारे में झूठ बोल रहा है और वो उससे कुछ छिपा रहा है।उसे इस बात की भी हैरानी थी कि इतने महीने बीत जाने के बाद भी श्रद्धानंद ने शाकिरा के गुम हो जाने की शिकायत पुलिस से क्यों नहीं की? लिहाजा सबा ने ने पुलिस के पास जाकर सारी कहानी बयां की और अपनी मां की गुमशुदगी दर्ज कराई।

पुलिस ने शक के आधार पर शाकिरा के करीबी लोगों की एक लिस्ट पूछताछ के लिए तैयार की गई, जिसमें सबसे पहला नाम था उसके पति स्वामी श्रद्धानंद का। क्योंकि पुलिस को पहला शक स्वामी पर ही था।पुलिस ने उसे पूछताछ के लिए तलब किया और उससे सवाल जवाब किए गए।लेकिन पुलिस की परेशानी यह थी कि स्वामी श्रद्धानंद का रसूख आड़े आ रहा था। पुलिस उसके साथ सख्त लहजे में पेश नहीं आ रही थी।

पुलिस काफी छानबीन कर चुकी थी। लेकिन पुलिस के हाथ फिर भी खाली थे। शाकिरा का कोई सुराग पुलिस के हाथ नहीं आ रहा था।बात केस बंद करने तक जा पहुंची थी।इसी बीच एक रात बेंगलुरु क्राइम ब्रांच का एक सिपाही किसी के साथ एक शराब के ठेके पर बैठा हुआ था। उसी दौरान उसने नशे में धुत एक शख्स को कहते हुए सुना कि पुलिस जिस शाकिरा को तलाश कर रही है, वो अब इस दुनिया में ही नहीं है।

सिपाही ने फौरन उस शराबी को दबोच लिया और उसे थाने ले जाकर उससे पूछताछ की तो पता चला कि वो शख्स स्वामी श्रद्धानंद का नौकर था। थाने पहुंचने के कुछ देर बाद उसका नशा काफूर हो चुका था। उसने पुलिस को बताया कि शाकिरा अब जिंदा नहीं है। क्योंकि स्वामी श्रद्धानंद ने उसे जिंदा ही एक ताबूत में बंद करके जमीन में दफना दिया था। यह बात सुनकर पुलिस भी हैरान रह गई।

पुलिस ने छानबीन को आगे बढ़ाया तो पचा चला कि श्रद्धानंद उर्फ मुरली मनोहर मिश्रा ने अपनी पत्नी शाकिरा को 28 अप्रैल 1991 के दिन पहले नशीला पदार्थ देकर बेहोश कर दिया था और फिर उसे एक ताबूत में डालकर अपने बंगले में ही गड्ढा खोद कर जिंदा दफना दिया था। इसके बाद पुलिस ने स्वामी श्रद्धानंद को गिरफ्तार कर लिया. बाद में अदालत ने उसे अपनी पत्नी शाकिरा के कत्ल का दोषी करार दे दिया था. तभी से वो जेल में बंद है ।और उम्रकैद की सजा काट रहा है।

पूछताछ के दौरान श्रद्धानंद के नौकर ने बताया था कि स्वामी ने शाकिरा से उसकी संपत्ति और दौलत के लिए शादी की थी। लेकिन शाकिरा वो सारी संपत्ति अपी बेटियों में बराबर बांटना चाहती थी। इसलिए श्रद्धानंद ने शाकिरा को मारने की साजिश रची थी और 28 अप्रैल 1991 को उसने इस साजिश का अंजाम दे डाला। उसने जहां ताबूत में शाकिरा को जिंदा दफनाया था, वहां पर टाइल्स लगवा दिए थे, ताकि किसी को शक ना हो. इसके बाद वो तीन साल तक उसी जगह पर पार्टी करता रहा। लोग वहीं शाकिरा की कब्र पर नाचा करते थे। यही वजह है कि ये मर्डर मिस्ट्री पूरे देश में ‘डान्सिंग ऑन ग्रेव’ के नाम से जानी जाती है।

स्वयंभू संत स्वामी श्रद्धानंद उर्फ मुरली मनोहर मिश्रा, 83 साल की उम्र में एमपी के सागर जिले में अपनी पत्नी शकीरा को जिंदा दफनाने के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। वह अपना शेष जीवन जेल की दीवारों के बाहर जीना चाहता है, उसने दलील दी है कि जेल में उसका व्यवहार अच्छा रहा है। श्रद्धानंद की पत्नी शकीरा मैसूर राजघराने के पूर्व दीवान सर मिर्जा इस्माइल की पोती थी।

इतने वर्षों में श्रद्धानंद से मिलने जेल में सिर्फ उनके भाई गए, जो सागर यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे। सूत्रों ने बताया कि वह भी आखिरी बार दो साल पहले आए थे। श्रद्धानंद ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर अच्छे आचरण के आधार पर रिहाई की गुहार लगाई है। उसे 38 बुजुर्ग कैदियों के साथ एक बैरक में रखा गया है। श्रद्धानंद को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी हैं और वह अधिकांश समय अध्यापन और आध्यात्मिक प्रवचन देने में बिताता है। उन्होंने कहा कि वह आध्यात्मिक किताबें और सामाचर पंत्र मांगते रहता है, जो हम उन्हें जेल मैनुअल के अनुसार प्रदान करते हैं।

शाकिरा खलीली की हत्या काफी समय तक मीडिया में सुर्खियां बनी थीं। शाकिरा ने भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी अकबर खलीली को तलाक देकर 1986 में श्रद्धानंद उर्फ मुरली मनोहर मिश्रा से शादी की थी। शकीरा उस वक्त 600 करोड़ रुपये की संपत्ति की मालकिन थी। उनकी चार बेटियां थीं, इसके बावजूद बेटे की चाहत में श्रद्धानंद से शादी की थी। 50 की उम्र में मां की शादी से उनकी बेटियां नाराज थीं। तीन बेटियों ने शाकिरा से अपना रिश्ता तोड़ लिया था। साथ ही परिवार के दूसरे लोग भी शाकिरा से अलग हो गए थे।

जांच में यह पाया गया कि श्रद्धानंद ने शाकिरा की संपत्तियों की पावर ऑफ अटॉर्नी और एक वसीयत अपने नाम करा लिया था, उसके बाद उसकी हत्या कर दी। साल 2000 में ट्रायल कोर्ट ने उसे फांसी की सजा सुनाई। 2005 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी फांसी की सजा को बरकरार रखा था। इसके बाद श्रद्धानंद ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। 2007 में यह केस डबल बेंच के पास चला गया। 2008 में सुप्रीम कोर्ट मौत की सजा को आजीवान कारावास में बदल दिया। वहीं, इसके बाद से श्रद्धानंद संपत्ति के लिए कानूनी लड़ाई भी लड़ रहा है।

श्रद्धानंद उर्फ मुरली मनोहर मिश्रा रामपुर के नवाब की संपत्ति की देखभाल करता था। वहीं, शाकिरा 1983 में रामपुर नवाब के बुलावे पर दिल्ली गई थी। यहीं पर उनकी मुलाकात श्रद्धानंद से हुई थी। शाकिरा उन दिनों लैंड सीलिंग कानूनों को लेकर परेशान थी। श्रद्धानंद इन मामलों का अच्छा जानकार था। इसके बाद वह शाकिरा की मदद से बेंगलुरु पहुंच गया और उसकी संपत्ति देखकर अवाक रह गया। फिर श्रद्धानंद और शाकिरा की नजदीकियां बढ़ने लगी। इस दौरान श्रद्धानंद को पता चला कि शाकिरा को बेटे की चाहत है। इसके बाद उसने शाकिरा को बहकाना शुरू कर दिया और 1985 में पति से तलाक करवा दिया। फिर 1986 में उससे शादी कर ली।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं)

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