Tuesday, May 30, 2023

विजिलेंस जांच में सनसनीखेज खुलासा: ड्रग डीलर समेत 17 संदिग्धों को वानखेड़े ने छोड़ दिया था

नई दिल्ली। कॉरडेलिया क्रूज पर छापा मारने वाले आईआरएस अफसर समीर वानखेड़े के खिलाफ विजिलेंस जांच में सनसनीखेज खुलासे हुए हैं। उनके खिलाफ बैठायी गयी डिपार्टमेंटल विजिलेंस जांच में पता चला है कि मामले में उन्होंने एक ड्रग डीलर समेत 17 आरोपियों को छोड़ दिया था। आपको बता दें कि यह रेड एनसीबी के नेतृत्व में मारी गयी थी। जांच में पाया गया कि एनसीबी अधिकारियों ने इस तरह की भ्रम पैदा करने की कोशिश की जैसे स्वतंत्र गवाह केपी गोसावी एक एनसीबी अधिकारी हो। बाद में गोसावी ने एक्टर शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को छोड़ने के बदले परिवार से 18 करोड़ रुपये मांगे थे। आप को बता दें कि इस जांच रिपोर्ट के आने के बाद वानखेड़े के मामले को सीबीआई को सौंप दिया गया है।

जांच में आगे पाया गया है कि वानखेड़े अपनी विदेश यात्राओं की कोई तार्किक जवाब नहीं दे पाए और इसके साथ ही उससे संबंधित खर्चों की भी वह सही जानकारी नहीं दे सके। विभाग को बगैर बताए वह एक प्राइवेट कंपनी को महंगी घड़ियां बेचने का काम कर रहे थे।

एनसीबी मुंबई जोन का मुखिया रहते 2 अक्तूबर, 2021 को उन्होंने मुंबई के समुद्र तट पर खड़ी जहाज पर अपनी अफसरों की टीम के साथ रेड डाली थी। एनसीबी ने उस दौरान 13 ग्राम कोकीन, 5 ग्राम मेफेड्रोन, 21 ग्राम गांजा, एमडीएमए की 22 गोलियां बरामद करने का दावा किया था। इसके साथ ही छापे में 1.33 लीख रुपये भी मिलने की बात कही गयी थी। टीम ने आर्यन समेत 17 लोगों को गिरफ्तार किया था।

 एनसीबी की विजिलेंस जांच में पाया गया कि “02.10.2021 को कुछ संदिग्धों के नाम पहले सूचना नोट ‘आई-नोट’ से हटा दिया गया था। और प्रक्रिया को सूट करने के लिहाज से बदलाव के जरिये कुछ दूसरे आरोपियों के नाम शामिल कर लिए गए थे। शुरुआती आई-नोट में कुल 27 नाम शामिल थे।जबकि बदले गए आई-नोट में केवल 10 नाम थे।” 

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि एनसीबी अधिकारियों के साथ ऊपर दर्ज किए गए नामों की छानबीन की गयी थी लेकिन उसका कोई दस्तावेजीकरण नहीं किया गया। कुछ संदिग्ध लोगों को वगैर डाक्यूमेंट में दर्ज किए छोड़ दिया गया था।

इसमें आगे कहा गया है कि सिद्धार्थ शाह नाम के एक शख्स को जिस पर अरबाज मर्चेंट को चरस सप्लाई करने का आरोप लगा था, एनसीबी के इन अधिकारियों ने छोड़ दिया था। जबकि शाह ने इस बात को स्वीकार किया था कि चरस खरीदने के लिए अरबाज ने ही उसे पैसा दिया था। इसके साथ ही उसके चैट में यह बात सामने आयी कि वह खुद भी नशीले पदार्थों का सेवन करता था।

जांच में आगे पाया गया कि आरोपियों को एक निजी वाहन में एनसीबी दफ्तर लाया गया और वह गाड़ी किसी और की नहीं बल्कि स्वतंत्र गवाह केपी गोसावी की थी। ऐसा लगता है कि स्वतंत्र गवाह गोसावी की आरोपियों के इर्द-गिर्द मौजूदगी के जरिये जानबूझ कर यह भ्रम पैदा करने की कोशिश की गयी कि गोसावी एक एनसीबी अफसर हैं। जबकि आरोपियों को हैंडल करने के लिए एनसीबी के स्टाफ के लोग मौजूद थे….गोसावी को आरोपियों के साथ रहने की इजाजत दी गयी यहां तक कि रेड के बाद उसे एनसीबी दफ्तर तक आने दिया गया जो एक स्वतंत्र गवाही के नियमों के खिलाफ है। इस तरह से केपी गोसावी ने मौका पाकर सेल्फी लिया और एक आरोपी का बयान भी रिकार्ड कर लिया।

जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि यही वह स्थिति थी जिसने केपी गोसावी को अपने एक सहयोगी सनविले डिसूजा के साथ आर्यन खान के परिवार को बच्चे के पास नशीला पदार्थ होने की बात को साबित करने की धमकी देकर 25 करोड़ रुपये की वसूली का षड्यंत्र रचा । बाद में 18 करोड़ रुपये की रकम पर सहमति बनी। घूस के तौर पर 50 लाख रुपये की टोकन राशि केपी गोसावी और डिसूजा द्वारा ली गयी लेकिन बाद में इस रकम का एक हिस्सा उन्हें लौटा दिया गया।

जोनल डायरेक्टर वानखेड़े ने सुपरवाइजर अफसर की हैसियत में केपी गोसावी और प्रभाकर सेल को आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही में स्वतंत्र गवाह के तौर पर दर्ज करने का निर्देश दिया था। इसके साथ ही तत्कालीन एनसीबी सुपरिटेंडेंट वीवी सिंह को निर्देश दिया कि वो आरोपियों को केपी गोसावी को हैंडल करने दें जिससे इस बात का लोगों को एहसास हो कि आरोपियों की कस्टडी केपी गोसावी को मिली है। 

(जनचौक ब्यूरो की रिपोर्ट।)

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