Friday, April 19, 2024

शाहाबाद डेरी को संघ की प्रयोगशाला नहीं बनने देंगे, सामाजिक संगठनों ने निकाला मार्च!

नई दिल्ली। शाहाबाद डेरी में साक्षी की बर्बर हत्या के बाद इलाक़े में उन्माद भड़काने वाली हिन्दुत्ववादियों के विरोध में मार्च निकाला गया। विगत 28 मई को शाहाबाद डेरी में 16 वर्षीय साक्षी की हुई बर्बर हत्या की घटना ने पूरी मानवता को शर्मसार कर दिया। यह घटना हमारे सामने कई सवाल खड़े करती है। हमारे समाज में इतनी नफ़रत और पाशविकता कहां से पैदा हो रही है कि आपस में मतभेद होने पर लोग एक-दूसरे का क़त्ल कर देते हैं। इस घटना में आरोपी साहिल ने साक्षी को चाकू से गोद-गोद कर मारने की कोशिश की और उसके बाद पत्थर से उसपर वार करता रहा।

इस भयावह हत्याकाण्ड की जड़ें कहां है? हमें इस बर्बरता के जड़ों कि पड़ताल करनी होगी क्योंकि जब तक हम इन घटनाओं के कारणों को नहीं समझेंगे तब तक यह समस्याएं घटित होती रहेंगी। अगर नज़र उठा कर देखें तो पता चलता है कि ऐसी घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। हमारे इलाक़े में ही आये दिन हत्या और बलात्कार के मामले सामने आते रहते हैं। स्त्री-विरोधी घटनाओं और ऐसी पाशविक घटनाओं में पिछले 9-10 सालों में बहुत अधिक बढ़ोतरी हुई है।

शाहाबाद डेरी की बात करे तो यह घटना अनायास ही नहीं हो गयी। पूरे इलाक़े में नशाखोरी- छेड़खानी बड़े पैमाने पर फैली हुई है। हर नुक्कड़ चौराहे पर लम्पट महिलाओं को छेड़ते हैं। साहिल भी उनमें से एक था। बहुत से लम्पट तो भाजपा-आम आदमी पार्टी से भी जुड़े होते हैं। इन पार्टियों के तमाम नेता इन गुण्डों को शह देते हैं ताकि चुनाव के समय इनका इस्तेमाल कर सकें। इलाके में इस तरह की यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी कई बार बच्चियों व स्त्रियों से बलात्कार के मामले सामने आ चुके हैं। कुछ वर्ष पहले पांच वर्ष की बच्ची मुस्कान के साथ भी बलात्कार और हत्या की घटना सामने आयी थी। भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी द्वारा प्रदर्शन करने और इलाके के लोगों के एकजुट होने के बाद ही इसपर कारवाई हुई।

एक रिपोर्ट बताती है कि हमारे देश में हर घण्टे तीन महिलाओं के साथ बलात्कार के मामले दर्ज होते हैं। तमाम केन्द्र शासित प्रदेशों में सबसे अधिक महिलाओं के खिलाफ अपराध दिल्ली में दर्ज हुए हैं। दिल्ली पुलिस द्वारा जारी डाटा के आधार पर व द हिन्दू में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक देश की राजधानी दिल्ली में 2021 के पहले छः महीने में महिलाओं के खिलाफ़ होने वाले अपराध में 63.3% की बढ़ोतरी हुई है। वहीं देश भर में स्त्री विरोधी अपराधों की जैसे बाढ़ आ गयी है। ये वो आंकड़े हैं जिनकी शिकायत दर्ज हो पाती है, जबकि सच्चाई इससे कहीं अधिक भयावह है क्योंकि अधिकांश मामलों में तो शिकायत भी नहीं दर्ज हो पाती है।

आख़िर इस बढ़ती दरिंदगी के पीछे क्या कारण हैं?

हमारे समाज के पोर पोर में समायी पितृसत्तामक मानसिकता औरतों को पैर की जूती, उपभोग की वस्तु, पुरुष की दासी और बच्चा पैदा करने की मशीन समझती है। इसके साथ ही मुनाफ़ाखोर व्यवस्था ने हर चीज़ की तरह स्त्रियों को भी खरीदे बेचे जा सकने वाले माल में तब्दील कर दिया है। विज्ञापनों व फ़िल्मी दुनिया ने औरतों को बिकाऊ वस्तु बनाने के काम बहुत तेजी से किया है। वहीं बेरोजगारी, नशा, मूल्यहीन शिक्षा, आसानी से उपलब्ध अश्लील सामग्री आदि न केवल युवाओं को बल्कि पूरे समाज को बर्बाद कर रहीं हैं, स्त्री-विरोधी मानसिकता को खाद्य-पानी देने का काम कर रहीं हैं और साहिल जैसे युवाओं के रुग्ण और पाशविक मानसिकता का कारण बनती है।

भाजपा के केन्द्र में आने के बाद से बलात्कार और हत्या की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हुई है। उन्नाव से लेकर कठुआ तक की घटनाओं में हमने देखा कि बलात्कारियों को सरकार का संरक्षण प्राप्त होता है। यह वो सरकार है जो बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के नाम पर बेटियों के साथ अपराध करने वालों को बचाती और संरक्षण देती है जिससे कि स्त्री-विरोधी तत्वों को खूब शह मिलता है। और अभी यही लोग हैं जो हमारे इलाक़े में साक्षी कि हत्या को धार्मिक रंग देने कि कोशिश कर रहे हैं।

कपिल मिश्रा जैसे नेता जिनका हमारी जिन्दगी की असल समस्याओं पर कभी कोई बयान नहीं आता, पर आज इस मसले पर हिन्दू-मुसलमान करके अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने का काम करने में तुरन्त जुट गये। भाजपा और संघ परिवार गोदी मीडिया के अपने भोपू के जरिये इस घटना को साम्प्रदायिक रंग देने कि पूरी कोशिश कर रहे हैं। लेकिन, यह मत भूलिए कि ऐसे घिनौने अपराध का कोई धर्म नहीं होता। ऐसे अपराधी यह व्यवस्था पैदा करती है न कि कोई धर्म निर्भया काण्ड को अंजाम देने वालो ने अपने अपने धर्म की वजह से इस घटना को अंजाम नहीं दिया बल्कि उनकी पाशविक मानसिकता के कारण ऐसा बर्बर अपराध उन्होंने किया।

साहिल ने जो किया उसके पीछे भी यही पाशविक मानसिकता है। इसलिए लव जिहाद के नाम पर हमें अपने जीवन के असल मुद्दों से भटकाने की भाजपा और आरएसएस की साजिश को समझने की ज़रूरत है। अगर लव जिहाद इतना ही बड़ा मसला है तो भाजपा को अपनी पार्टी से लव जिहाद करने वालो को निकालना चाहिए। भाजपा नेता शाहनवाज़ हुसैन की शादी हिन्दू स्त्री रेणु शर्मा से हुई। भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने हिन्दू महिला सीमा से शादी की। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की बेटी की शादी एक मुस्लिम आदमी नदीम हैदर से हुई है। अगर लव जिहाद इतना ही बड़ा मसला है तो कायदे से संघ और भाजपा को सबसे पहले अपनी पार्टी में इन लोगों पर कारवाई करनी चाहिए। पर ये सब जानते हैं कि यह मसला सिर्फ लोगों को हिन्दू मुस्लिम ने नाम पर लड़ाने के लिये ही होता है।

बर्बर स्त्री-विरोधी मानसिकता को खाद-पानी देने वाली इस व्यवस्था और इसकी रक्षक इन सरकारों के असल चेहरे को पहचानिये। आप खुद सोचिए अपने इलाके में हम सब मिलकर रहते हैं, पर ऐसे वक्त में भाजपा-विश्व हिन्दू परिषद के लोग आकर हमारे बीच दंगे करवाने की कोशिश करते हैं। जब भी दंगे होते हैं कभी भाजपा या आरएसएस के लोग नहीं मरते, बल्कि मरने वाले हमेशा गरीब लोग ही होते हैं। इसलिए इस समय अपने इलाके में एकजुट होकर ऐसे माहौल खराब करने वाले लोगो को हमें खदेड़ना होगा।

भारत की क्रान्तिकारी मजदूर पार्टी (RWPI) की तरफ़ से हम यह मांग करते हैं कि साक्षी के हत्यारे को सख्त से सख्त सजा हो। मगर सिर्फ अपराधी को सजा देने से वह घटनाएं ख़त्म नहीं होंगी। हम इसको बढ़ावा देने वाली पूंजीवादी-पितृसत्तात्मक मानसिकता के खिलाफ़ उठ खड़ा होना होगा और लम्बी लड़ाई कि शुरुआत करनी होगी। हम आपका आह्वान करते हैं कि बढ़ रहे स्त्री-विरोधी अपराधों के खिलाफ उठ खड़े हों अन्यथा कल बहुत देर हो जायेगी जब समाज में फैली यह आग हमारे घरों को तबाह कर देगी।

( भारत की क्रान्तिकारी मजदूर पार्टी के प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

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