भुज के एक कॉलेज में सामने आयी शर्मनाक घटना, माहवारी की चेकिंग के लिए शिक्षिकाओं ने उतरवाये 68 लड़कियों के कपड़े

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भुज। एक ओर जहां सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक माहवारी को लेकर जागरूकता फैलाई जा रही है, वहीं आज भी कई जगह इसे एक टैबू माना जाता है। गुजरात के भुज में एक गर्ल्स हॉस्टल की 68 लड़कियों को माहवारी होने का ‘सबूत’ देने के लिए महिला अध्यापिकाओं के सामने कपड़े उतारने पड़े।

घटना सामने आने के बाद कच्छ यूनिवर्सिटी प्रशासन ने आनन-फानन में एक पांच सदस्यीय जांच कमेटी बनाई गई है, जिसकी रिपोर्ट आने पर आगे कार्रवाई की जाएगी। गुरुवार को कमेटी की अध्यक्ष प्रभारी वाइस चांसलर दर्शना ढोलकिया ने दो अन्य महिला प्रफेसरों के साथ कॉलेज का दौरा किया। ढोलकिया ने कहा, ‘हम लड़कियों से और कॉलेज प्रशासन से एक-एक कर बात करेंगे और उसके बाद कार्रवाई करेंगे।’ 

यह शर्मनाक घटना सहजानंद गर्ल्स इंस्टीट्यूट की है। घटना सामने आने के बाद इसकी चौतरफा आलोचना हो रही है। एक लड़की ने कहा, ‘यह पूरी तरह से मानसिक टॉर्चर है और हमारे पास इसे बताने के लिए शब्द नहीं हैं।’ उसने बताया कि कुल 68 लड़कियों को इस प्रिंसिपल के सामने इस टेस्ट से गुजरना पड़ा। 

खुले में इस्तेमाल किया सैनिटरी पैड मिलने से शुरू हुआ विवाद 

दरअसल पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब सोमवार को हॉस्टल के गार्डन में एक इस्तेमाल किया हुआ सैनिटरी पैड पड़ा मिला। कॉलेज वॉर्डन को शक हुआ कि यह हॉस्टल की ही किसी लड़की ने किया होगा और इसे वॉशरूम की खिड़की से फेंका होगा। कॉलेज प्रशासन ने माहवारी को लेकर बनाए गए नियम-कायदों के उल्लंघन के ‘असली दोषी’ को ढूंढने के लिए तलाश शुरू कर दी। 

बाथरूम में बुलाकर एक-एक लड़की के कपड़े उतरवाए 

प्रिंसिपल रीता रानीगा ने सभी लड़कियों को कॉमन एरिया में बुलाया और हॉस्टल के नियमों और स्वामीनारायण संप्रदाय के नियमों के बारे में जमकर लेक्चर दिया। उन्होंने लड़कियों से कहा कि वह खुद ही बता दें कि किसने सैनिटरी पैड फेंका था। दो लड़कियां सामने भी आ गईं। हालांकि रीता और अन्य महिला प्रोफेसर इससे संतुष्ट नहीं हुईं तो उन्होंने एक-एक कर लड़कियों को बाथरूम में बुलाकर अपने सामने उनके कपड़े उतरवाए। 

एक दूसरी छात्रा ने बताया कि ‘प्रिंसिपल, हॉस्टल रेक्टर और ट्रस्टी माहवारी के मसले पर हमें नियमित रूप से तंग करते हैं’।

लड़कियों के माता-पिता कर रहे हैं एफआईआर की तैयारी 

एक लड़की के पिता ने कहा, ‘हम भी स्वामीनारायण संप्रदाय के अनुयायी हैं। सभी नियम मानते हैं, मगर मेरी बेटी को इस तरह टॉर्चर करना बिल्कुल सही नहीं है। मुझे जब इस बारे में पता चला तो मैंने उससे बात की और उसने रोते हुए बस यही कहा कि मैं उसे यहां से ले चलूं।’ घटना से नाराज लड़कियों के मां-बाप अब कॉलेज प्रशासन और प्रिंसिपल रीता के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने पर विचार कर रहे हैं।

एक छात्रा ने बताया कि यूनिवर्सिटी की एक्जीक्यूटिव कौंसिल के सदस्य प्रवीन पिंडोरिया ने छात्राओं से कहा कि वे कानून कार्यवाही में जाने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन उससे पहले उन्हें हॉस्टल खाली करना होगा।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पिंडोरिया ने उनसे एक पत्र पर भी हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया जिसमें लिखा था कि वहां इस तरह की कोई घटना नहीं घटी। 

माहवारी में लड़कियों को अलग-थलग करने का है नियम 

बता दें कि माहवारी को लेकर हॉस्टल ने कड़े नियम बना रखे हैं। नियम के मुताबिक, जिस लड़की को पीरियड्स होंगे वह हॉस्टल में नहीं रहेगी। उसके लिए हॉस्टल के बेसमेंट में रहने की जगह बनी है। साथ ही वह लोगों से घुलेगी-मिलेगी नहीं। न ही किचन और पूजा स्थल में प्रवेश करेगी। इतना ही नहीं, इस दौरान उनके बर्तन भी अलग होंगे और पीरियड्स खत्म होने के बाद उन्हें धोकर रखना होगा। इसके अलावा पीरियड्स के दौरान लड़कियों को क्लास में सबसे पीछे बैठने का निर्देश है। 

(कुछ इनपुट एनबीटी से लिए गए हैं।)

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