दन्तेवाड़ा। छत्तीसगढ़ में बस्तर के तहत आने वाले दन्तेवाड़ा जिले के गुमियापाल गांव के 6 ग्रामीण पिछले 6 दिनों से नक्सलियों के चंगुल में हैं। पुलिस मुखबिरी के शक में नक्सलियों ने इन ग्रामीणों का अपहरण कर लिया है। परिजन अपनों को छुड़ाने के लिए जंगल-जंगल की खाक छान रहे हैं। लेकिन उनकी सुध न तो स्थानीय प्रशासन ले रहा है और न ही सरकार!
सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी का कहना है कि आदिवासियों की जान कितनी सस्ती है यह घटना उसका खुला प्रमाण है। उन्होंने बताया कि अभी तक किसी की भी तरफ से इन ग्रामीणों को छुड़ाने की पहल नहीं हुई है। पुलिस प्रशासन का कहना है कि पहले एफआईआर दर्ज हो उसके बाद ही वह कोई पहल कर पाएगी। सोनी ने कहा कि मैं नक्सलियों से ग्रामीणों को तत्काल रिहा करने की अपील करती हूं। उनका कहना है कि इन ग्रामीणों की जगह अगर कोई दूसरा होता तो प्रशासन और सरकार अब तक जमीन-आसमान एक कर दिए होते। लेकिन 6 दिन बीतने को हो रहा है। पूरा प्रशासन सोया हुआ है।
नक्सलियों के चंगुल में आए लोगों में गुमियापाल पटेल पारा से किरण कुंजाम पिता बुधराम, हुंगा मिडयामि पिता भीमा, लालू मिडयामि पिता पाकलू, लालू उर्फ भीमा मिडयामि पिता पोदीया, हुंगा माण्डावी पिता पांडू, भीमा वंजामी पिता जोगा शामिल हैं। इन सभी को 11 अगस्त को रात नौ से दस बजे के बीच नक्सली अपहृत कर ले गए।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक नक्सलियों ने पुलिस मुखबिरी के शक में इन सभी ग्रामीणों को अगवा किया है। और इनको वे पिछले 6 दिनों से अपने साथ जंगलों में घुमा रहे हैं। घटना के बाद से ही पूरे गांव में दहशत का माहौल है और ग्रामीण लगातार किसी अनहोनी की आशंका में डूबे हैं। ग्रामीणों को शक है कि कहीं नक्सली उनके परिजनों की हत्या न कर दें। इसी का नतीजा है कि हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने या फिर प्रशासन की पहल का इंतजार करने की बजाय अपहृत लोगों के छह परिजन उन्हें ढूंढने के लिए जंगलों की तरफ चल दिए हैं।
एनकाउंटर के बाद बौखलाए नक्सली
कहा जा रहा है कि नक्सली संगठन जेडीएससी (JDSC) के सचिव तथा 10 लाख रुपये के ईनामी नक्सली विनोद की 5 लाख ईनामी बेटी मंगली पुलिस मुठभेड़ (Police encounter) में मार दी गई थी। लोगों की मानें तो नक्सली कमांडर विनोद खुद गांवों में पहुंचा हुआ था और उसने ग्रामीणों से बातचीत की थी। ग्रामीणों के साथ मारपीट की भी बात सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि बलांगिर एरिया कमेटी का नक्सली प्रदीप गुमियापाल रविवार को पहुंचा था और पूछताछ के लिए ग्रामीणों को अपने साथ ले गया।
दन्तेवाड़ा के एसपी अभिषेक पल्लव ने बताया कि ग्रामीण अभी पुलिस तक नहीं पहुंचे हैं। हम पूरी घटना पर नजर बनाए हुए हैं। एकाएक फोर्स के मूवमेंट से ग्रामीणों की जान को खतरा बढ़ सकता है। इसलिए हम सोच समझकर ग्रामीणों को रिहा करवाने की रणनीति बना रहे हैं।
(बस्तर से जनचौक संवाददाता तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।)