Friday, March 24, 2023

बीएचयू: छात्रों के हमलावरों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर विरोध-प्रदर्शन

भुवाल यादव
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बनारस। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय आजकल जाति व धर्म को लेकर खूब चर्चा में है। ऐसे में तो विश्वविद्यालय के कुलगीत में बनारस को सर्वविद्या और विश्वविद्या की राजधानी अंकित किया गया है और लोग मानते भी हैं लेकिन पिछले एक पखवाड़े से जिस तरह से विश्वविद्यालय परिसर में घटनाएं घट रही हैं, उनसे यह साबित हो रहा है कि सर्वविद्या और विश्वविद्या की राजधानी बनारस को किसी संप्रदायिक शक्ति की नजर लग गयी है। ऐसा नहीं है कि ऐसी घटनाएं बनारस में घटित नहीं होती हैं। इसके पहले भी ऐसी कई घटनाएं घट चुकी हैं। बीएचयू के ही डॉक्टर फिरोज के मामले को शायद आप भूले नहीं होंगे।

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कल लंका गेट पर छात्र और नागरिकों के विरोध-प्रदर्शन का ताल्लुक विगत एक पखवाड़े से भगतसिंह छात्र मोर्चा के सदस्यों के साथ की जा रही मारपीट, अपरहण व दी जा रही धमकी के खिलाफ था। चूंकि मामला यह है कि भगतसिंह छात्र मोर्चा द्वारा विगत आंबेडकर जयंती की पूर्व संध्या पर 13 अप्रैल को एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, जिसमे ब्राह्मणवाद मुर्दाबाद के तख्ती और नारे लगे थे। उक्त कार्यक्रम के बाद संगठन के एक सदस्य को अपराधी व लंपट छात्र कॉल और मैसेज करके आंबेडकर जयंती क्यों मनाया गया? ब्राह्मणवाद मुर्दाबाद के नारे क्यों लगे? जैसे अनेक आरोप लगाकर मार देने की धमकी दी गयी। प्रदर्शन में शामिल बीसीएम के छात्रों ने आरोप लगाया कि उक्त धमकी के संदर्भ में बीएचयू प्रशासन को लिखित तहरीर दी गयी, लेकिन कोई कार्यवाही ना करने की वजह से 22 को योगेश (बीए द्वितीय वर्ष) को मारा-पीटा गया। फिर 23 अप्रैल को अमन (बीए द्वितीय वर्ष) का अपहरण करके बिरला छात्रावास ले जाकर मारा-पीटा गया। उक्त दोनों घटनाओं की तहरीर बीएचयू और जिला प्रशासन को दिया गया, पर काफी भाग दौड़ के बाद भी अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं किया गया।

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भगतसिंह छात्र मोर्चा को बदनाम करने की साज़िश

बीसीएम के सदस्य और विश्वविद्यालय की छात्रा आकांक्षा आजाद ने कहा कि परसों 27/04/2022 की रात को भगतसिंह छात्र मोर्चा को बदनाम करने की साज़िश में बीएचयू की दीवारों पर भगतसिंह छात्र मोर्चा के नाम से “कश्मीर तो झांकी है पूरा भारत बाकी है, BCM ने ठाना है BHU को ब्राह्मण मुक्त बनाना है, ब्राह्मणों तेरी क़ब्र खुदेगी बीएचयू की धरती से” जैसे उकसाऊ नारे लिखे गए। हम इन नारों का खण्डन एक सुर में करते हैं। उक्त नारों से बीसीएम का कोई लेना-देना नहीं है। बीसीएम जो कुछ भी करता है, वह छात्र व जनसमर्थन के सहयोग से करता है और ताल ठोंक कर करता है एवं दिन में करता है।

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विरोधियों की साजिश के तहत लिखे गए नारे

विरोध-प्रदर्शन में शामिल दिशा छात्र संगठन के सदस्य और बीएचयू भाषा विज्ञान के प्रथम वर्ष के छात्र अमित ने कहा कि यह दौर फासीवाद का दौर है। इस दौर में हम सबको एकजुट होने की जरूरत है, तभी इस तरह के दमन के खिलाफ लड़ सकेंगे। बीसीएम के समर्थन में आयी ऐपवा से कुसुम वर्मा ने ब्राह्मणवाद को समझाते हुए कहा कि ब्राह्मणवाद का मतलब गैर बराबरी से है। खुद को जन्म से ऊंच और दूसरों को नीचा समझना है। भगतसिंह छात्र मोर्चा के सचिव अनुपम ने पुलिस और विश्वविद्यालय प्रशासन के रवैये पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि जब कभी किसी छात्र के साथ अनहोनी होती है तो वह पुलिस के पास न्याय की उम्मीद में जाता है, पर जब पुलिस ही उसे भगा दे तो न्याय की उम्मीद किससे किया जायेगा, यह सोचने वाली बात है। हमारे साथियों के साथ मारपीट होने के कई दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस प्रशासन आजतक हमारा एफआईआर दर्ज नहीं किया है; लेकिन जब हम आंदोलन करते हैं, प्रोटेस्ट करते हैं तो पुलिस अधिकारी दौड़ कर कार्यकम रोकने आते हैं और आन्दोलनकारियों पर एफआईआर कर देते हैं। जब भी कोई गरीब पुलिस स्टेशन जाता है तो उसे दुत्कार कर भगाया जाता है। वहीं पुलिस अमीरों को सलाम ठोकती है। पुलिस प्रशासन को चेतावनी देते हुए अनुपम ने कहा कि अगर हमारी एफआईआर दर्ज नहीं की गयी तो हम बड़े आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।

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कल प्रदर्शन के बाद प्रशासन को दिया गया ज्ञापन

बीसीएम के पूर्व सचिव रितेश विद्यार्थी ने कहा कि अगर पुलिस प्रशासन कोई कार्यवाही नहीं कर सकता तो हमें लिखित दे दे कि पुलिस प्रशासन अपराधी व लम्पट प्रवृत्ति के छात्रों पर कार्रवाई करने में अक्षम है। इस देश का हर नागरिक अपनी सुरक्षा के लिए सक्षम है। आखिर क्यों पुलिस गुण्डों-बदमाशों पर कार्यवाही करने से पीछे हट रही है, पुलिस प्रशासन पर भी सवालिया निशान है। छात्रों ने कार्यक्रम के अंत में विश्वविद्यालय परिसर में घटित होने वाली घटनाओं एवं उक्त मामले में जल्द से जल्द कार्यवाही करने की अपील करते हुए पुलिस उपायुक्त के नाम एसीपी भेलूपुर को एक ज्ञापन दिया। कार्यक्रम का संचालक आकांक्षा आज़ाद ने किया। उक्त प्रदर्शन ऐपवा, बीसीएम, दिशा, एसएफआई, पीएस4 कम्युनिस्ट फ्रंट, सीजेपी, प्रलेस, ऑटो यूनियन, ऑल इंडिया सेक्युलर फोरम द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।

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योगेश पर हमले के बाद दिया गया ज्ञापन

रोज़ा इफ्तार के आयोजन के खिलाफ एबीवीपी का हनुमान चालीसा पाठ

एक ओर जहां जाति को लेकर शुरू हुई घटनाओं के खिलाफ छात्र और नागरिकों द्वारा शाम पांच बजे लंका गेट पर विरोध प्रदर्शन किया गया, वहीं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय परिसर में धर्म का मामला भी टाइट रहा। बिगत एक-दो रोज पहले विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित रोज़ा इफ्तार के खिलाफ एबीवीपी ने कल कुलपति आवास के सामने हनुमान चालीसा का पाठ किया।

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वीसी के आवास के सामने हनुमान चलीसा का पाठ करते एबीवीपी के छात्र।

हनुमान चालीसा में शामिल अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पदाधिकारियों ने कहा कि जब बीएचयू में रोजा इफ्तार हो सकता है तो हनुमान चालीसा का पाठ भी होगा। ‌बिगत शाम को भी रोजा इफ्तार के आयोजन एवं उसमें कुलपति प्रो सुधीर कुमार जैन के शामिल होने के खिलाफ कुलपति का पूतला फूंका गया था।

(बनारस से भुवाल यादव की रिपोर्ट।)

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