Wednesday, April 24, 2024

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनी फरीदाबाद स्थित मजदूर कॉलोनी बसने से पहले ही उजड़ने को है अभिशप्त

चरण सिंह

नई दिल्ली/फरीदाबाद। विकास के मामले में अपने को नंबर वन बताने वाले हरियाणा के फरीदाबाद जिले में एक कालोनी ऐसी भी है जिसमें सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बंधुआ मजदूरों को पुनर्वासित किया गया है। इस कालोनी में न पेयजल की समुचित व्यवस्था है और न ही शौचालय की। सीवर डाल तो दिए गए हैं पर इस्तेमाल लायक नहीं हैं। बिजली के खम्भे तो हैं पर कनेक्शन नहीं मिले हैं। उल्टे 31 मजदूरों के खिलाफ बिजली चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराकर भारी जुर्माना जरूर लगा दिया गया है । यह स्थिति तब है जब विश्व बैंक भी हमारे देश की बिजली व्यवस्था की तारीफ कर रहा है।

कॉलोनी में गंदगी का आलम यह है कि हमेशा किसी बड़ी बीमारी की आशंका बनी रहती है। शासन और प्रशासन के गैर जिम्मेदाराना रवैये के चलते यहां पर रह रहे लोगों को आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है। इस कालोनी में रेजिडेंस वेलफेयर एसोसिएशन भी बन चुकी है जो अब यहां की समस्याओं के लिए संघर्ष  करने का दावा कर रही है। मजदूर आंदोलन के अगुआ के रूप में सोशल एक्टिविस्ट स्वामी अग्निवेश का नाम भी इस कालोनी से जुड़ा है। 

80 के दशक में जारी मजदूरों के संघर्ष के दबाव के नतीजे में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर  हरियाणा सरकार ने फरीदाबाद के सेक्टर-43 पार्ट-2 में छह एकड़ जमीन पर दयानन्द ग्रीन फील्ड नाम से आधी अधूरी कॉलोनी बनाई और फिर पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा। इस कालोनी में 523 मकान बनने थे, जिनमें से 365 मकान ही बने हैं। 2014 में 267 मजदूरों को मकान देकर पुनर्वासित करा दिया गया। 97 मकानों का एलाटमेंट नहीं हो पाया है। आसियाने की आस में पात्र मजदूर दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। कभी उन्हें स्वामी अग्निवेश की चौखट पर माथा टेकना पड़ता है तो कभी जिला प्रशासन के सामने गिड़गिड़ाना पड़ता है।

दयानंद कालोनी।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार कालोनी में अस्पताल और स्कूल भी बनना है। पार्क की जगह है पर शासन-प्रशासन की अनदेखी के चलते खाली पड़ी जमीन पर झाड़-फूस खड़ा है, जिसके चलते किसी अनहोनी का खतरा मड़राता रहता है। खाली पड़े मकानों की वजह से वहां पर असामाजिक तत्वों को आना शुरू हो गया है। पास में ही गंदे नालों को भी इस कालोनी की जमीन का हिस्सा बताया जा रहा है। जो अब सूख चुका है।

समस्याओं का निदान न होने पर अब कालोनी के लोग सरकार के साथ ही स्वामी अग्निवेश को भी कोस रहे हैं। हाल ही में कालोनी में जिला प्रशासन की ओर से एक सर्वे हुआ है, जिसमें यह बात सामने निकल कर आई है कि स्वामी अग्निवेश ने फरीदाबाद डीसी को एक पत्र लिखकर किराये पर दिए गए या फिर बंद बड़े मकानों को कैंसिल कराने को कहा है। बताया जा रहा है कि इससे पहले उन्होंने मजदूरों को चेताया भी था कि वो लोग अपने कमरों को न तो किराये पर दें और न ही बंद रखें, नहीं तो उनके मकान कैंसिल कराकर दूसरे मजदूरों को दे दिए जाएंगे। बताया यह भी जा रहा है कि जिस बंधुआ मुक्ति मोर्चा के स्वामी अग्निवेश अध्यक्ष हैं, उस संगठन ने मकान दिलाने के लिए 250 मजदूरों से सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ने के नाम पर 500-500 रुपए चंदे के रूप में लिए हैं। 

बताया जाता है कि अस्सी के दशक में जब फरीदाबाद में पहाड़ियों पर पत्थर खदान का काम होता था तो स्वामी अग्निवेश ने खदानों में काम करने वाले मजदूरों को बंधुआ मजदूर बताकर खदान मालिकों पर मजदूरों का शोषण करने का आरोप लगाया था। उन्होंने उन मजदूरों को साथ लेकर बंधुआ मुक्ति मोर्चा के माध्यम से पत्थर खदान मालिकों के खिलाफ लम्बी लड़ाई लड़ी। लड़ाई सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक चली। इसमें मजदूरों को बड़ी कुर्बानी भी देनी पड़ी। उन्हें कई बार खदान मालिकों के कहर का सामना करना पड़ा। इस रास्ते में कई मजदूरों ने दम भी तोड़ दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हरियाणा सरकार के तत्कालीन श्रम मंत्रालय, बंधुआ मुक्ति मोर्चा और पत्थर खदान मालिकों की एक राय होने के बाद कालोनी का निर्माण हुआ।

धनराशि की व्यवस्था हरियाणा सरकार और खदान मालिकों ने की। उस समय पत्थर खनन का काम करने वालों में एचएमएल, करतार भड़ाना, अवतार भड़ाना के साथ ही कई अन्य लोग शामिल थे। इस आंदोलन के बाद हरियाणा सरकार ने वहां पर पत्थर खनन के काम पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया। वहां काम करने वाले मजदूर आजकल  बड़खल डेरा, अनखिर डेरा, मोहन डेरा, सदानंद बस्ती, दयालनगर, गदाखोर डेरा, ध्रुव डेरा, पाली जोन, महालक्ष्मी डेरा, मेहतरु डेरा में रह रहे हैं। इन्हीं मजदूरों में से पात्र लोगों को दयानन्द कालोनी में मकान मिले हैं और आगे भी मिलने हैं।

दयानंद कालोनी।

कालोनी में व्याप्त समस्याओं पर स्वामी अग्निवेश का कहना है कि इस संदर्भ में वह हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मिलकर पत्र दे चुके हैं तथा बाद में दो बार फोन पर भी यहां की समस्यायों को हल कराने का निवेदन कर चुके हैं पर उनकी सरकार का रवैया मजदूर विरोधी बना हुआ है। स्वामी अग्निवेश ने गत दिनों हरियाणा सरकार को गरीब दलित शोषित बंधुआ मजदूर विरोधी बताते हुए मानवाधिकार आयोग को अविलंब उचित आदेश जारी करने और मजदूरों को उनका संवैधानिक एवं मानवाधिकार दिलाने के लिए एक पत्र भी लिखने का दावा किया है।

एमसीएफ के तत्कालीन मेयर सूबेदार सुमन ने बताया कि उन्होंने ही प्रस्ताव पारित कराकर इस कालोनी के लिए कार्पोरेशन से जमीन अलाट कराई थी। जब बनाने के लिए धनराशि की बात आई तो उन्होंने सुझाव दिया कि जिन लोगों ने मजदूरों को बंधुआ बना रखा था वे ही धनराशि की व्यवस्था करें। उनका कहना था कि बाद में पता चला कि इन लोगों का सेटलमेंट हो गया है। वह भी मानते हैं कि कालोनी में रह रहे मजदूर बड़ी दयनीय हालत में हैं। 

ग्रीन फील्ड कालोनी की रेजिडेंस वेलफेयर एसोसिएशन के प्रधान अर्जुन सिंह का कहना है कि उनकी समस्याओं के प्रति न तो हरियाणा सरकार गंभीर है और न ही स्वामी अग्निवेश। स्वामी अग्निवेश पर आरोप लगाते हुए अर्जुन सिंह ने कहा कि उन्होंने अपने सिपहसालारों से मजदूरों को ठगने का काम किया है। अब उन्हें बंधुआ मुक्ति मोर्चा संगठन की कोई आवश्यकता नहीं है। अपनी-अपनी लड़ाई अब वे खुद ही लड़ लेंगे। उनका कहना है कि स्वामी जी को कालोनी में बिजली, पानी की समस्या नहीं दिखाई दे रही है। सुप्रीम कोर्ट का वह आदेश नहीं दिखाई दे रहा है, जिसमें कालोनी में स्कूल और अस्पताल बनना है। जो मकान मजदूरों को अलाट होने हैं उन पर उनका कोई ध्यान नहीं है। उन्हें तो बस किसी तरह से ये जो मकान उन्हें मिले हैं, उन्हें कैंसिल कराना है।

अब कालोनी के लोग मिलकर कालोनी का विकास कराएंगे। समस्याओं को लेकर बड़ा आंदोलन किया जाएगा।  उनका कहना था कि वैसे भी स्वामी जी ने कहा था कि अब उन्होंने उन लोगों को आशियाना दिलवा दिया है। आप लोग अपना संगठन बनाकर कालोनी की समस्याओं को हल कराएं।  अर्जुन सिंह का कहना था कि पहले वे लोग खनन माफिया के बंधुआ थे तो आज इस कुव्यवस्था के हो गए हैं। जब भी वह बिजली विभाग के अधिकारियों से मिलते हैं तो कालोनी में बिजली की समुचित व्यवस्था के लिए बिजली बोर्ड 25 लाख रुपए दिलावने की बात करता है। वे लोग डीसी से मिलने साथ ही मुख्यमंत्री विंडो तक अपना रोना रो चुके हैं पर कोई उनकी पीड़ा सुनने को तैयार नहीं।   

कालोनी के मुख्य सलाहकार ने बताया कि हरियाणा सरकार गरीबों के लिए काम करने की बात तो कर रही है पर गरीबों के प्रति उसके मन में कोई हमदर्दी नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छता अभियान चलाया है। दूर-दराज गांवों तक घर-घर में शौचालय बनवाने की बात की जा रही पर एनसीआर में पड़ने वाली दयानन्द कालोनी में शौचालय की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। प्रधानमंत्री योजना के तहत गरीबों को मकान देने की बात की तो जा रही है पर जो मकान गरीबों को मिले हैं वे किस हालत में हैं और लोग इनमें किस तरह से रह रहे हैं, इस ओर किसी का ध्यान नहीं है।

कालोनी निर्माण का आदेश देने का काम जस्टिस पीएन भगवती ने किया था। जिनका गत दिनों निधन हो चुका है। कालोनी और डेरों के मजदूर मिलकर पीएन भगवती के परिजनों को कालोनी में बुलाकर श्रद्धांजलि सभा करने की तैयारी कर रहे हैं। कालोनी और इसकी हालत देखकर प्रश्न उठता है कि जब कालोनी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनी कालोनी की समस्याओं के प्रति भी सरकार गंभीर नहीं है तो फिर  किसकी समस्याएं सुनी जा रही होंगी। यदि कालोनी के लिए पूरी धनराशि की व्यवस्था नहीं हुई तो फिर कालोनी का निर्माण कैसे शुरू हुआ और यदि व्यवस्था पूरी नहीं थी तो फिर बिना बुनियादी सुविधाओं के कालोनी आधी-अधूरी क्यों बनाई गई। कौन लोग हैं जिनकी वजह से कालोनी जर्जर हालत में है और इसमें रह रहे मजदूर दयनीय हालत में रह रहे हैं।

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles