नई दिल्ली। एआईकेएससीसी ने कहा है कि भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की देश के किसानों की समस्या हल करने में चौतरफा विफलता अब सामने आ गयी है। उसने कहा कि न तो सुप्रीम कोर्ट की किसान विरोधी 3 कानून को लेकर गतिरोध को हल करने मे कोई भूमिका है और न हो सकती है। इन कानूनों को भाजपा ने अम्बानी, अडानी व अन्य कारपोरेट घरानों के दबाव में, किसानों के हित के विरूद्ध बनाने का राजनीतिक फैसला लिया है, और वही इसे हल कर सकती है। सच यह है कि भाजपा नेतृत्व कारपोरेट के निर्देशों के विरूद्ध जाने में कायरता का परिचय दे रहा है।
इस बीच किसान लगातार दिल्ली के चारों ओर उसे घेर रहे हैं और जल्दी ही सभी सीमाएं बन्द कर दी जाएंगी। ये किसान यहां भाजपा सरकार को यह बताने आए हैं कि संसद ने गलत कानून बनाए हैं। इनसे किसान खेतों से उजड़ जाएंगे, खेती का प्रारूप बदल जाएगा, खाने की सुरक्षा घट जाएगी, किसानों पर कर्ज बढ़ जाएगा, इससे आत्महत्याएं व भूख से मौतें बढ़ जाएंगी और जल, वन तथा पारिस्थितिकी का संतुलन बिगड़ जाएगा।
वार्ता में गतिरोध की घोषणा करते वक्त कृषि मंत्री ने यह दावा किया था कि बहुसंख्यक किसान इन तीनों कानूनों के समर्थन में हैं। पर हो रही घटनाएं साबित कर रही हैं कि भाजपा मुट्ठी भर किसानों का समर्थन प्राप्त करने में भी सफल नहीं है।
आज करनाल के कैमला गांव में इन कानूनों के पक्ष में आयोजित एक सभा को रद्द करना पड़ा क्योकि किसानों ने उसका विरोध कर दिया और मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर को बिना उतरे हैलीकाप्टर से वापस जाना पड़ा। पुलिस ने भारी पानी की बौछार और लाठियां भांजकर भीड़ को वहां से हटाया।
उप्र व मप्र में भाजपा भारी पुलिस बल का प्रयोग करके शांतिपूर्वक विरोध को रोक रही है। एटा में पुलिस ने अखिल भारतीय किसान यूनियन के नेताओं को घरों में कैद कर दिया है ताकि वे दिल्ली मार्च न निकाल पाएं। जो किसान दिल्ली जा रहे हैं उन्हें ट्रेनों से उतारा जा रहा है। सभी जगह धारा 144 व कोविड रोकथाम का केस दर्ज कर लोगों को विरोध करने से रोका जा रहा है।
पश्चिम बंगाल में भाजपा ताल ठोक कर दाावा कर रही है कि उसने धान का समर्थन मूल्य 1868 रुपये कर दिया है, जबकि इन सभी राज्यों में धान 1000 से 1100 रुपये कुन्तल पर बिक रहा है। हालांकि केन्द्र सरकार ने इन राज्यों में धान खरीदने की कोई व्यवस्था नहीं की है।
(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)
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