सुप्रीम कोर्ट ने अभिषेक बनर्जी से CBI-ED की पूछताछ पर लगाई रोक, कुछ ही घंटों बाद सीबीआई ने फिर जारी किया समन  

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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय द्वारा दिए गए उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी से सीबीआई और ईडी को प्राथमिक शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में पूछताछ करने का निर्देश दिया गया था। लेकिन अभिषेक बनर्जी को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शिक्षक भर्ती घोटाले में पूछताछ के लिए सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के कुछ ही घंटों बाद एक बार फिर समन जारी कर दिया। जांच एजेंसी ने अभिषेक बनर्जी से मंगलवार को पेश होने के लिए कहा है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को टीएमसी प्रवक्ता साकेत गोखले को धन की हेराफेरी के मामले में जमानत दे दी।

चीफ जस्टिस डी.वाई.चंद्रचूड़, जस्टिस पी.एस.नरसिम्हा और जस्टिस जे.बी.पारदीवाला की पीठ ने सीनियर एडवोकेट ए.एम.सिंघवी द्वारा उल्लेख किए जाने के बाद मामले को स्वीकार कर लिया। बनर्जी की ओर से पेश डॉ.सिंघवी की दलील में कहा गया कि एकल न्यायाधीश द्वारा जारी किए गए निर्देश याचिकाओं में मांगी गई राहत से पूरी तरह से बाहर थे और याचिकाकर्ता कार्यवाही में एक पक्षकार भी नहीं है। पीठ ने कहा कि 24 अप्रैल 2023 को लिस्ट करें। सूचीबद्ध होने की अगली तारीख तक एकल न्यायाधीश के विवादित आदेश में निहित निर्देशों के अनुसरण में याचिकाकर्ता के खिलाफ सभी कार्रवाई पर रोक रहेगी।

स्कूल भर्तियों में कथित भ्रष्टाचार से संबंधित मामले में आक्षेपित आदेश जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय द्वारा पारित किया गया था। आदेश के माध्यम से जस्टिस गंगोपाध्याय ने हिरासत में निलंबित तृणमूल नेता कुंतल घोष और तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी से सीबीआई और ईडी द्वारा पूछताछ करने का निर्देश दिया था। न्यायाधीश ने बनर्जी द्वारा दिए गए एक सार्वजनिक भाषण पर ध्यान देने के बाद आदेश पारित किया कि मामले के अभियुक्तों पर केंद्रीय एजेंसी द्वारा मामले में उनका नाम लेने के लिए दबाव डाला जा रहा था।

हाईकोर्ट ने कहा था कि यह पूछताछ और जांच का विषय है कि क्या कुंतल घोष ने कथित अभिषेक बनर्जी के सार्वजनिक भाषण से संकेत लिया, जिसके लिए दोनों से ईडी और सीबीआई पूछताछ कर सकती है और इस तरह की पूछताछ जल्द की जानी चाहिए।

डॉ.सिंघवी ने तर्क दिया कि कलकत्ता हाईकोर्ट के समक्ष जो रिट दायर की गई थी, उसका बनर्जी से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने जस्टिस गंगोपाध्याय द्वारा एबीपी न्यूज़ को दिए गए एक साक्षात्कार का भी उल्लेख किया जिसमें बनर्जी के खिलाफ उनके द्वारा कथित रूप से कुछ बयान दिए गए थे। इसलिए पूर्वाग्रह की आशंका का एक आधार है।

सिंघवी ने यह भी तर्क दिया कि विवादित आदेश का यह निर्देश जिसमें कहा गया है कि कोई भी पुलिस स्टेशन हाईकोर्ट की अनुमति के बिना सीबीआई और ईडी के किसी भी अधिकारी के संबंध में की गई किसी भी शिकायत के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं करेगा, जो पश्चिम बंगाल केंद्रीय विद्यालय सेवा आयोग के शैक्षिक भर्ती घोटाले और पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड की जांच कर रहे हैं, उन्हें स्वीकार नहीं किया जा सकता।

इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को टीएमसी प्रवक्ता साकेत गोखले को धन की हेराफेरी के मामले में जमानत दे दी। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने यह देखते हुए जमानत दे दी कि वह लगभग 108 दिनों से हिरासत में हैं। गोखले ने गुजरात हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें ‘क्राउड-फंडिंग’ के माध्यम से एकत्रित धन की कथित हेराफेरी से संबंधित मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।

साकेत गोखले के खिलाफ आरोप है कि उन्होंने ‘क्राउड-फंडिंग’ प्लेटफॉर्म ‘हमारा लोकतंत्र’ के माध्यम से 1,700 से अधिक लोगों से 72 लाख रुपये से अधिक एकत्र किए और उस पैसे का निजी इस्तेमाल किया और इस तरह धन का दुरुपयोग किया। जस्टिस समीर जे. दवे की हाईकोर्ट की खंडपीठ ने गोखले की जमानत से इनकार करते हुए कहा था कि प्रथम दृष्टया मामला यह है कि कल्याण के नाम पर एकत्र की गई राशि का उपयोग अभियुक्तों द्वारा अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए किया गया।

गोखले को पहली बार गुजरात पुलिस ने एक पुल ढहने की त्रासदी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मोरबी यात्रा पर हुए खर्च के बारे में कथित रूप से फर्जी खबर फैलाने के मामले में गिरफ्तार किया था। 30 दिसंबर, 2022 को उन्हें धन की हेराफेरी के मामले में गुजरात पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इस साल जनवरी में उन्हें प्रवर्तन निदेशालय ने धन की हेराफेरी के आरोप में ‘मनी-लॉन्ड्रिंग’ मामले में गिरफ्तार भी किया था।

नौकरी घोटाले में सीबीआई ने टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी को समन भेजकर मंगलवार को पूछताछ के लिए बुलाया है। इससे एक बार फिर विपक्ष और मोदी सरकार के बीच टकराव बढ़ सकता है।

गौरतलब है कि रविवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से सीबीआई ने शराब नीति बनाने में कथित भ्रष्टाचार के एक मामले में गवाह के तौर पर पूछताछ की थी। पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया था कि उनकी सरकार झूठे मामलों के साथ जानबूझकर केंद्रीय एजेंसियों को उनके पीछे भेज रही है ।

विपक्षी नेताओं की तरफ से लिखे गए पत्र के बाद पीएम मोदी ने सीबीआई के एक कार्यक्रम में एजेंसी से कहा था कि भ्रष्टाचार से लड़ने में किसी को भी बख्शा नहीं जाना चाहिए। पीएम मोदी ने दिल्ली में एक कार्यक्रम में कहा था कि देश आपके साथ है।

अपने भतीजे को सीबीआई के समन की रिपोर्ट आने से पहले ममता बनर्जी ने कहा कि जब-जब विपक्षी दल 2024 के चुनाव को लेकर एकजुट होने की बात करते हैं केंद्र सरकार की तरफ से उनके घर सीबीआई को भेजा जाता है।

बंगाल के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी को पिछले साल जुलाई में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शिक्षक भर्ती घोटाले में कथित संलिप्तता के आरोप में गिरफ्तार किया था। ईडी मामले में मनी ट्रेल का पता लगा रही है। इस मामले में शिक्षा विभाग के कई अधिकारी और कुछ स्थानीय तृणमूल नेताओं पर शिकंजा कसा गया है।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं।)

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