किसान एकता मंच की ओर से महिला शिक्षा की मशाल जलाने वाली सावित्री बाई फुले को दी गई श्रद्धांजलि

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सावित्री बाई फुले अमर रहें, जय सावित्री, जय फातिमा, जय जवान जय किसान, भारत माता की जय, वंदे मातरम्, जय भीम जय संविधान, किसान मजदूर एकता ज़िदाबाद, काले क़ानून वापस लो और एमएसपी पर क़ानून बनाओ आदि नारों के साथ कल सावित्री बाई फुले परिनिर्वाण दिवस पर ग़ाजीपुर किसान धरना स्थल पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम और इसके पश्चात रैली का आयोजन किया गय। श्रद्धांजलि कार्यक्रम और रैली का आयोजन सावित्री बाई फुले महिला ब्रिगेड की ओर से किया गया था। इस रैली में हजारों की संख्या में किसान, मजदूर और दलित बहुजन लोगों ने भागीदारी की।

किसान एकता मोर्चा के मंच से कल सावित्री बाई फुले के परिनिवार्ण दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के बाद कई वक्ताओं ने उन्हें याद करते हुए वर्तमान भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति सुधारने में सावित्री बाई फुले की भूमिका का उल्लेख करते हुए अपनी बातें रखी।

कार्यक्राम में शामिल लोगों से माता सावित्री बाई फुले का परिचय कराते हुए कार्यक्रम की सूत्रधार निर्देश सिंह ने कहा, “देश की बेटियों के लिए पहला स्कूल खोलने वाली सावित्री बाई फुले का परिनिर्वाण दिवस है। आज अगर बेटियां स्कूल में पढ़ रही हैं और सभी लोग उनका साथ दे रहे हैं, यहां अगर हम मजबूती से खड़ें हैं, देश की बेटियों ने उन्नति की है तो ये क्रांतिकारी विचार भारत के अंदर सबसे पहले सावित्रीबाई फुले ने दिया था।

सावित्री बाई के न होने से आज का समाज कहाँ होता उस भयावहता का खाका खींचते हुए निर्देश सिंह ने कहा, “अगर सावित्री बाई फुले न होतीं तो हम महिलायें आज स्कूलों में न पढ़ पाते। हम महिलायें सशक्त न हो पातीं, न पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर आज उनका साथ दे पाती । सन 1841 में देश का पहला बालिका विद्यालय खोलने वाली सावित्री बाई फुले को आज हम नमन करते हैं।

इसके आगे उन्होंने सावित्री बाई के निर्माण में ज्योतिबा फुले की भूमिका पर भी रोशनी डालते हुए कहा कि यदि हमें इस देश में सावित्री बाई फुले चाहिए तो उसके लिए पहले ज्योतिबा फुले बनना होगा। उन्होंने ही अपनी जीवनसंगिनी सावित्री बाई फुले को तैयार किया। और कहा कि जाओ इस देश में बेटियां नहीं पढ़तीं ये देश का दुर्भाग्य है। बेटियों को अगर उन्नति की ओर ले जाना है तो बेटियों को पढ़ाना पड़ेगा इसलिए उन्होंने कहा मैं बेटियों को घर घर जाकर नहीं पढ़ा सकता इसलिए जाओ सावित्री तुम्हें मैं उस रास्ते पर छोड़ रहा हूँ जहाँ से इस देश की बेटियों की राह बदलेगी।   

माता सावित्री बाई फुले के महापरिनिर्वाण दिवस पर किसान आंदोलन में उनको दी गई श्रद्धांजलि मंच पर उपस्थित सावित्री बाई फुले पाठशाला के संचालक  देव कुमार जी ने कहा कि महिलाओं को सरस्वती के स्थान पर सावित्रीबाई फुले को पढ़ना चाहिए ताकि उनका उत्थान हो सके ।

जबकि डॉक्टर नरेश राज ने कहा कि महिलाओं की स्थिति में जो आज सुधार हुआ है उसके पीछे सावित्रीबाई फुले का त्याग और समर्पण शामिल है महिलाओं में जागरूकता लाने के के लिये सावित्रीबाई फुले के जीवन दर्शन को महिलाओं में प्रचारित करना होगा ताकि महिलाओं में आगे बढ़ने और परम्पराओं को तोड़ने की हिम्मत पैदा हो सके।

सावित्री बाई फुले के बारे में जानकर मंच पर उपस्थित वक्ताओं ओर मेहमानों ने कहा कि हम उनके बारे में जानकर बेहद खुश हैं। अगर पाठशाला के द्वारा ये कार्यक्रम नहीं किया जाता तो हम भी सरस्वती को ही शिक्षा की देवी माने रहते, जबकि सच्ची शिक्षा की देवी कोई है तो सावित्री बाई फुले हैं।

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