पांचवीं अर्थव्यवस्था का मिथक और महंगाई से बेजार आम आदमी

Estimated read time 1 min read

क्या भारत सचमुच पांचवीं अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है ? अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी टोली के बड़बोले दावों पर यकीन करें तो ,हां। मगर, अर्थशास्त्री कुछ और ही बात करते हैं। भारत के मशहूर अर्थशास्त्री अरुण कुमार का मानना है कि भारत अब भी दुनिया की दसवीं अर्थव्यवस्था बनने के लिए संघर्ष कर रहा है।

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के पति और अर्थशास्त्री परकला प्रभाकर ने कड़ा प्रश्न उठाते हुए पूछा है कि ब्रिटेन जब पांचवी अर्थव्यवस्था था तो तीन दशक पहले ही विकसित हो गया था। ऐसा क्यों है कि पांचवीं अर्थव्यवस्था होने के बावजूद भारत 2047 में ‘विकसित भारत’ बनेगा।

इससे जाहिर होता है कि भारत सरकार के दावे फिलहाल किताबी हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था की बदहाली का नमूना कहीं देखना हो तो हमें रोजाना की मुद्रास्फीति देखकर हो जाती है। पूरी दुनिया में भारत के रुपए की हालत खस्ता है।

महंगाई कितने चरम पर है और रुपए की क्रयशक्ति भारत के अंदर से किस कदर गिर गई है, इसे जानने के लिए राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा इसी हफ्ते जारी रिपोर्ट को देखना काफी होगा। रिपोर्ट बताती है कि भारत की खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर में 5.5% से दिसंबर में 4 महीने के निचले स्तर 5.22% पर आ गई थी, जिसमें खाद्य मुद्रास्फीति नवंबर में 9.04% से घटकर पिछले महीने 8.4% हो गई थी। नवंबर में 4.9% की तुलना में शहरी निवासियों के लिए दिसंबर में कुल उपभोक्ता मूल्य 4.6% अधिक रहा, जबकि ग्रामीण उपभोक्ताओं को 5.8% की भारी कीमत का सामना करना पड़ा। नवंबर में दर्ज 5.95% से थोड़ा नीचे।

दिसंबर के मुद्रास्फीति के साथ, भारत की उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति 2024-25 की तीसरी तिमाही में औसतन 5.63% रही। जबकि आरबीआई को इस तिमाही में मुद्रास्फीति 4.5% तक कम होने की उम्मीद थी। ताजा अनुमान के हिसाब से फरवरी की मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज कटौती शुरू करने के लिए बहुत कम गुंजाइश है। इसका मार कर्जदारों पर पड़ेगी। दिसंबर में खाद्य मुद्रास्फीति भी चार महीने के निचले स्तर पर आ गई थी। घोषणा के दूसरे महीने में अक्टूबर के 15 महीने के उच्च स्तर 10.9% से विपणन किया गया था। कुछ महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थों जैसे खाद्य तेलों और वसा आदि की कीमतों में तेजी से इजाफा हुआ, जिनकी कीमतें नवंबर के 13.3% की वृद्धि से 14.6% की 33 महीने की उच्च तेज रफ्तार से बढ़ीं।

सब्जियों की मुद्रास्फीति नवंबर में 29.3% से घटकर 26.6% हो गई, लेकिन मटर और आलू जैसी कुछ वस्तुओं की कीमतों में तेजी से इदाफा हुआ। फलों की कीमतों में नवंबर में 7.7 फीसद के बाद 8.5% की तेजी आई। अनाज की मुद्रास्फीति दिसंबर में 6.5% थी, जो इससे पहले 6.9 फीसद थी। नवंबर में दालों की कीमतें 5.4% के सापेक्ष 3.8% बढ़ीं, जो दो वर्षों में सबसे धीमी मुद्रास्फीति को चिह्नित करती हैं। अंडे (6.85%) और मीट एंड मछली (5.3%) जैसे अन्य प्रोटीन स्रोतों ने दिसंबर में उच्च मुद्रास्फीति की शिकार रही। दूध की कीमतें लगभग 2.8 फीसद पर अपरिवर्तित रहीं।

दिसंबर 2024 में देश के स्तर पर वर्ष दर वर्ष मुद्रास्फीति दिखाने वाली शीर्ष पांच वस्तुएं मटर, आलू, लहसुन, नारियल तेल और फूलगोभी हैं। सांख्यिकी कार्यालय की रिपोर्ट बताती है की मुद्रास्फीति नवंबर में 10.24% से 9.7% तक कम हो गई थी, जबकि शिक्षा मुद्रास्फीति 3.9% पर अपरिवर्तित थी। स्वास्थ्य मुद्रास्फीति कार्यात्मक रूप से बढ़कर दिसंबर में 4.05% दिखी।
22 राज्यों में से सात, जिनके लिए राषट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने मासिक मुद्रास्फीति दरों की गणना की, ने मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण के लिए केंद्रीय बैंक की ऊपरी सीमा से 6% से अधिक या उससे अधिक की मूल्य वृद्धि दर्ज की थी।

मुद्रास्फीति और महंगाई में संबंध

वैसे तो यह सामान्य-ज्ञान है, लेकिन जो लोग नहीं जानते उनके लिए यह बताना जरूरी है कि मुद्रास्फीति और महंगाई में क्या संबंध होता है। मुद्रास्फीति का अर्थ है मुद्रा का गिरना यानी मुद्रा की क्रयशक्ति कम होना। इस लिहाज से मुद्रीस्फीति और महंगाई में सीधा संबंध है।

मुद्रास्फीति होती है तब आम वस्तुओं से लेकर खास वस्तुओं की कीमतों में इजाफा हो जाता है यानी वे महंगी हो जाती हैं। भारत में इन दिनों रुपए की स्थिति कमजोर है। इसका मतलब है कि उसकी क्रयशक्ति कमजोर है। एक रुपए में पहले जितना सामान मिलता था, अब उससे कम सामान मिलेगा। इसी को महंगाई भी कहते हैं। महंगाई का सबसे ज्यादा असर गरीबों पर होता है, क्योंकि उनके पास आवश्यक चीजें खरीदने के लिए भी पैसे नहीं होते। ऐसी स्थित में अक्सर सरकारें टैक्स बढ़ा देती हैं, जिसकी मार मध्यवर्ग पर पड़ती है। सवाल फिर वहीं आता है कि अगर भारत पांचवीं अर्थव्यवस्था है तो मुद्रीस्फीति क्यों हो रही है?

(राम जन्म पाठक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author