पंजाब की जनता भयावह बाढ़ से परेशान, सियासतदान लगे हैं सियासत करने में

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बाढ़ पंजाब में जमकर कहर ढा रही है। मौसम विभाग ने अगले चार दिन तक भारी मूसलाधार बारिश की चेतावनी दी है। येलो अलर्ट जारी कर दिया गया है। नदियों और नहरों की सीमाओं के आसपास जो लोग कम खतरा महसूस करके रह रहे थे; उन्हें घर खाली करने और पशुधन को साथ ले जाने के लिए कह दिया गया है। शुक्रवार सुबह सूबे के कई जिलों में मूसलाधार बारिश हुई और उसने प्रमुख नदियों का जलस्तर पहले से ज्यादा बढ़ा दिया है।

कई नदियों का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है। तटबंध पहले की ही मानिंद टूट रहे हैं और कच्चे घर ढह रहे हैं। मौतों में इजाफा हो रहा है। कई इलाकों में चौतरफा पानी ही पानी नजर आ रहा है और पानी के ऊपर तैरतीं पशुओं की लाशें और पोल्ट्री पशुओं के शव। बाढ़ ने पंजाब को अभूतपूर्व तबाही दी है लेकिन शर्मनाक है कि इतनी बड़ी त्रासदी अथवा आपदा पर खुलकर राजनीति हो रही है। यहां तक कि राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित बाढ़ पर राजनीतिक बयान दे रहे हैं और विपक्ष भी फील्ड में जाकर कुछ करने की बजाय पूरा जोर सियासत करने पर लगा रहा है।

राज्य सरकार ने अपने तमाम मंत्रियों, आम आदमी पार्टी (आप) के विधायकों और वरिष्ठ अधिकारियों की फौज बाढ़ग्रस्त इलाकों में तैनात की हुई है। और तो और ‘आप’ नेता भी बाढ़ पर राजनीति से बाज नहीं आ रहे। फिलवक्त लोगों को राहत चाहिए लेकिन राजनीति के कुचक्र में उनकी तकलीफों में इजाफा हो रहा है। कहीं-कहीं सियासी फांस उन्हें बाढ़ से भी ज्यादा जख्म दे रही है। कुछ एनजीओ और सामाजिक संगठन जरूर उन्हें राहत दे रहे हैं। लेकिन उनकी भी अपनी सीमाएं हैं।                   

राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित और मुख्यमंत्री भगवंत मान में काफी समय से ठनी हुई है। चिट्ठियों के जरिए दोनों आपस में भिड़े हुए हैं। गुरुवार को राज्यपाल ने जालंधर के बाढ़ग्रस्त इलाकों का दौरा किया और मुख्यमंत्री पर सीधा निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से बाढ़ के पूर्व प्रबंधों को लेकर चूक हुई है। राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने अपने साथ आए पंजाब के सिंचाई विभाग के सचिव कृष्ण कुमार और जालंधर के उपायुक्त विशेष सारंगल को कहा कि गिरदावरी करवाकर 15 दिन के भीतर किसानों को पैसा जारी किया जाए।

राज्यपाल के अनुसार, “मैं लोगों से मिला हूं और उन्होंने तत्काल राहत फंड जारी करने की मांग बार-बार दोहराई।” यहां सवाल है कि राज्यपाल अपने तौर पर गिरदावरी करवाने का आदेश दे सकते हैं? यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है। बनवारीलाल पुरोहित बाढ़ पीड़ितों की समस्याओं से ज्यादा राजनीतिक बयान देते रहे। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने चंडीगढ़ में अलग विधानसभा के लिए एक प्रस्ताव बनाकर उन्हें भेजा है कि उन्हें जमीन चाहिए। अभी प्रस्ताव उनके पास आया है, विचाराधीन है, जमीन अलॉट नहीं की गई। पंजाब के मुख्यमंत्री बेशक कहें राज्यपाल को यह प्रस्ताव रद्दी की टोकरी में डाल देना चाहिए लेकिन जमीन अलॉट करने का अधिकार तो राज्यपाल के पास ही है।                       

जालंधर में सतलुज नदी ने बेहद ज्यादा कहर ढाया है और राहत शिविर पूरी तरह से पनाहगिरों से भर गए हैं। ऐसे में गरीब किसानों/लोगों को उम्मीद थी कि राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित मौके पर केंद्र की ओर से किसी किस्म की सहायता की घोषणा करेंगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। राज्यपाल का दौरा औपचारिक बनकर रह गया और उसने राजनीतिक रंगत भी ले ली। 

भाजपा भी पंजाब की बाढ़ पर खुलकर राजनीति कर रही है। पार्टी प्रदेशाध्यक्ष सुनील कुमार जाखड़ ने राज्यपाल को बाढ़ में सरकार की कथित नाकामी पर ज्ञापन सौंपा। सुनील कुमार जाखड़ ने कहा कि, “सरकार बाढ़ आपदा से ठीक से नहीं निपट पाई है। पीड़ित लोगों तक सरकारी मदद नहीं पहुंच रही। मैं कई जगह गया, मुझे सरकार का कोई नुमाइंदा नजर नहीं आया।

लोगों की शिकायत है कि उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। मानसून की इस बरसात के बारे में मौसम विभाग ने पहले ही अलर्ट कर दिया था पर सरकार की लापरवाही के कारण बाढ़ से नुकसान हुआ। सरकार ने बाढ़ रोकने की कोशिश नहीं की जिसका खामियाजा पंजाब के लोगों को बड़े पैमाने पर भुगतना पड़ रहा है। इस बार सैकड़ों स्थानों पर बांध टूटे और दरारें आईं, जिसका कारण पहले से सफाई न करना है।”                                         

हासिल जानकारी के मुताबिक बाढ़ के दौरान नाकाम रहने को लेकर भाजपा जिला उपायुक्तों के कार्यालय के आगे धरना-प्रदर्शन करने की नीति बना रही है। इस बारे में विचार-विमर्श  हो रहा है। इसका जवाब किसी के पास नहीं कि धरना-प्रदर्शनों से बाढ़ पीड़ितों की मुश्किलें हल हो जाएंगीं।                     

इस समस्या पर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का अपना राग है। पिछले हफ्ते फैसला हुआ था कि सूबे के तमाम वरिष्ठ नेता बाढ़ ग्रस्त इलाकों में पड़ाव डालेंगे। ऐसा नहीं हुआ। कुछ जगह कांग्रेस के नेता औपचारिकतावश गए। कैमरे के आगे बाइट दी, फोटो खिंचवाएं और एक ‘व्यापक’ दौरा हो गया। राज्य कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष राजा अमरिंदर सिंह वडिंग और नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ‘इंडिया’ में एक साथ मंच पर आए आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की चिंता में ज्यादा मशगूल रहे कि पंजाब में इससे कितना राजनीतिक नुकसान पार्टी को होगा।

उन्हें और अन्य वरिष्ठ नेताओं को बाढ़ ग्रस्त इलाकों में जाने का मौका अब तक नहीं मिला। बैठे-बिठाए बयानबाजी जरूर की कि भगवंत मान सरकार बाढ़ की आपदा को सही तरह काबू नहीं कर पा रही। पूर्व उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुखजिंदर सिंह रंधावा के अनुसार, “पार्टी नेता जल्दी ही बाढ़ से ग्रस्त लोगों के बीच जाएंगे।” इसका जवाब उनके पास नहीं था कि क्या तब, जब बाढ़ तबाही मचाकर चली जाएगी। शिरोमणि अकाली दल की ओर से भी कहा गया था कि उसके वरिष्ठ नेता बाढ़ ग्रस्त लोगों के बीच जाकर उनकी सुध लेंगे।

घोषणा के बाद शिअद के अध्यक्ष और पूर्व उपमुख्यमंत्री सांसद सुखबीर सिंह बादल ने फिरोजपुर के कुछ इलाकों का दौरा किया। सरकार के निकम्मेपन का राग अलापा और बाद में कहीं और ‘व्यस्त’ हो गए। फिरोजपुर प्रशासन को जरूर उन्होंने शिरोमणि अकाली दल की ओर से तीन कश्तियां भेजी हैं ताकि लोगों को सुरक्षित जगहों पर भेजा जा सके। शिअद इसे आपदा के दौरान अपनी बड़ी प्राप्ति मानता है। सुखबीर सिंह बादल की पत्नी और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल सांसद हैं। उनकी कोई खबर नहीं कि वह बाढ़ ग्रस्त किसी इलाके में पीड़ितो के बीच कहीं गई हों। अन्य वरिष्ठ नेता भी घर बैठे-बैठे बाढ़ पर राजनीतिक बयान दे रहे हैं। शिअद के एक वरिष्ठ नेता का कथन है, “विकराल इलाकों में सरकारी मुलाजिम भी नहीं पहुंच पा रहे तो हम कैसे जा सकते हैं।” 

सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के मंत्रियों, विधायकों और वरिष्ठ नेताओं का अब हाल यह है कि जब तक मीडिया का अमला नहीं पहुंचता, तब तक वे बाढ़ पीड़ितों के बीच नहीं जाते। प्रचार की भूख उन्हें बाढ़ ग्रस्त इलाकों में नहीं जाने देती! इस तथ्य से पूरा पंजाब वाकिफ है। बाढ़ से अति प्रभावित आप के एक विधायक ने कहा, “बगैर मीडिया कर्मियों के हम बाढ़ ग्रस्त लोगों के बीच जाएंगे तो विरोधियों को कहने का मौका मिलेगा कि हम पीड़ित लोगों के बीच नहीं जा रहे। मीडिया साथ होता है तो खबरें चलतीं हैं और लोगों को पता चलता है कि आम आदमी पार्टी लोगों का कितना ख्याल रख रही है!” एक अन्य विधायक का कहना है, “इलेक्ट्रॉनिक मीडिया साथ हो तो पूरी दुनिया को पता चलता है कि पंजाब में हमारी सरकार लोकहित में कैसे काम कर रही है?”

तो यह है राजनीतिकों की सजिंदगी–जिसके सहारे लोगों की उम्मीदें, और ज्यादा राहत के लिए टिकी हुईं हैं। सियासी नेताओं के बाढ़ के मद्देनजर किरदार की बाबत तो आपको बता ही दिया है। लगता है कि किसी भी राजनीतिक दल के नेता को दिल से बाढ़ पीड़ितों के लिए कोई हमदर्दी हो। ‘नाटक’ जरूर सब अपने-अपने तौर पर करना चाहते हैं और कर रहे हैं। बेहाल लोगों की बदहाली बढ़ती जा रही है। बारिश का दौर नए सिरे से फिर शुरू हो गया है और तमाम नदियां उफान पर हैं। सुनील कुमार जाखड़, राजा अमरिंदर सिंह वडिंग  से लेकर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ कह रहे हैं कि बाढ़ की इस आपदा में मुख्यमंत्री व मंत्री फोटो खिंचवाने तक ही सीमित हैं। यह सही हो सकता है। लेकिन पूछा जाना चाहिए कि वे खुद क्या कर रहे हैं?

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