देश के पीएम नित नए नए ढंग से एकता के संदेश दे रहे हैं। फिर भी देशवासियों में जाति और संप्रदाय के नाम पर आपसी अविश्वास और नफरत तेजी से फैलती जा रही है। जिसके लिए देश का मीडिया, मौलाना, धर्मगुरु तथा छोटे-मोटे राजनेता अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं। इस सबको इन सवालों से समझा जा सकता है।
1. क्या आप जानते हैं कि…पुलिस पर थूकने वाला वीडियो झूठा है….?
निजामुद्दीन में फंसे कोरोना संक्रमित लोगोें ने देश में कोरोना फैलाने के लिए वास्तव में पुलिस पर थूका था या मीडिया ने मुस्लिमों को बदनाम करने के लिए इस प्रकार का वीडियो चलाया है जिसका निजामुद्दीन से कोई ताल्लुक नहीं है।
2. क्या आप जानते हैं कि…”देखो रीवां का एसपी आबिद मंदिर के पुजारी को बुरी तरह से पीट रहा है” शीर्षक से मीडिया द्वारा प्रसारित वीडियो झूठा है?
3. क्या आप जानते हैं कि…”देखो जमाती देश में कोरोना फैलाने के लिए कैसे बर्तनों पर थूक रहे हैं” शीर्षक से मीडिया द्वारा प्रसारित वीडियो झूठा है?
4. क्या आप जानते हैं कि…जमात का कार्यक्रम समाप्त होने के बाद 18 मार्च को इंडोनेशिया के विदेशी मुस्लिम इंडोनेशिया जाने के लिए रेल द्वारा चेन्नई गए थे अथवा कोरोना फैलाने के लिए?
5. क्या आप जानते हैं कि…24 मार्च को देश में संपूर्ण लॉक डाउन की घोषणा के बाद 25 मार्च की सुबह नई दिल्ली पुलिस के निजामुद्दीन थाने में निजामुद्दीन के लोगों ने उपस्थित होकर लॉक डाउन की वजह से निजामुद्दीन में मौजूद 1500 से भी अधिक लोगों में से दूसरे शहरों के ऐसे लोग जिनके पास घर के वाहन हैं उनको अपने-अपने घर तक जाने के लिए पास दिलवाने हेतु लिखित पत्र दिया था।
मैं परंपरागत रूप से एक खेती करने वाले परिवार से आता हूं। खेती करने वाला किसान जिस प्रकार अपने खेत के पौधों को बच्चों की तरह पाल पोस कर बड़ा करता है उन्हें खुराक देता है ठीक उसी प्रकार खेती से प्राप्त उपज की खुराक पूरी दुनिया को देता है। इसलिए वह किसान यह कभी नहीं चाहेगा कि मेरे द्वारा जिनका भरण पोषण हुआ है उनका कोई अहित हो जाए।
बस इसी पृष्ठभूमि की वजह से आज जाति संप्रदाय क्षेत्र इत्यादि के आधार पर मनुष्य जाति को बांटने वाले अलगाववादी हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई इत्यादि सभी से मेरी पटरी नहीं बैठ रही है। जाट जाति का होने की वजह से चरमपंथी हिंदूवादी लोग मेरी प्रत्येक बात को “मुस्लिम प्रेम”, अति राष्ट्रवादी लोग इसे “पाकिस्तान प्रेम” या “एंटी नेशनलिस्ट” तथा राजनीतिक लोग इसे “कांग्रेस प्रेम” कहते हैं। जबकि मैं न तो मुस्लिम वादी हूं और न ही राष्ट्रवादी। मैं एक धार्मिक व्यक्ति हूं या यूं कहें कि धर्म मेरे लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। इसलिए राजनीति से तो मेरा दूर-दूर का भी कोई रिश्ता नहीं है। अतः मेरी दृष्टि में ईश्वर जब तक मुस्लिमों में जीवन का संचार कर रहा है अर्थात जब तक ईश्वर उनको जिलाये चला जा रहा तो मैं इन दो कौड़ी के राज नेताओं तथा धर्म गुरुओं के बहकावे में आकर उनसे नफरत नहीं कर सकता…
उपरोक्त सवालों को तथा इनसे संबंधित मीडिया की राजनीति को ठीक से समझने के लिए इस पोस्ट के साथ संलग्न वीडियो तथा इमेज देखी जानी चाहिए। ताकि हमें पता चले कि हमें धर्म जाति संप्रदाय राष्ट्रवाद इत्यादि के नाम पर धर्मगुरुओं तथा राज नेताओं द्वारा बेवकूफ बनाकर मनुष्य ही नहीं वरन ईश्वर विरोधी भी बनाया जा रहा है।
निस्संदेह निजामुद्दीन एक ऐसा धर्म स्थल है जिस से निकले लोगों से देश में कोरोना का सर्वाधिक संक्रमण हुआ। परंतु हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि निजामुद्दीन से निकले लोगों के अतिरिक्त एक तेरहवीं के कार्यक्रम से भी कोरोना का संक्रमण फैला था।
इस प्रकार हुए किसी भी संक्रमण को जानबूझकर फैलाया हुआ नहीं माना जाना चाहिए क्योंकि वे लोग नहीं जानते थे कि वे कोरोना के कैरियर हैं।
मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमण के दो प्रमुख सेंटर हैं एक इंदौर की बाकल पट्टी में निजामुद्दीन से आए लोग तथा दूसरा मुरैना के मृत्यु भोज से निकले लोग। लिंक देखें;
लॉक डाउन के बाद घर के बाहर होने वाले या यूं समझें कि एक से अधिक परिवारों द्वारा एक साथ आयोजित किए जाने वाले सभी प्रकार के धार्मिक कार्यक्रम अवैध हैं।
कोरोना वायरस लॉकडाउन में मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा बंद, धार्मिक सभा बैन, अंतिम यात्रा में 20 से ज्यादा लोग नहीं;
फिर भी सभी संप्रदायों के लोगों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। इनमें से मुसलमान जुम्मे की नमाज पढ़ने की जिद के मामले अग्रणी रहे।
हालांकि जिसका कारण कई प्रकार की अफवाहें भी रहीं। जैसे- सबसे ज्यादा जो अफवाह फैलाई गई वह यह थी कि “प्रशासन तथा सरकार में बैठे अधिकतर लोग मुस्लिम विरोधी मानसिकता के हैं जो उनके धर्म को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं।”
देश और मनुष्य जाति को नुकसान पहुंचाने वाली विश्वव्यापी महामारी को गंभीरता से नहीं लेकर ऐसी अफवाहें फैलाने वालों पर सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
हिंदुओं तथा अन्य संप्रदायों से भी ज्यादा मुसलमानों द्वारा ऐसा करने का एक कारण यह भी रहा कि अन्य संप्रदायों के धर्म स्थलों पर पुरुषों के बजाय स्त्रियां अधिक जाती हैं और लॉक डाउन हो जाने के बाद स्त्रियां स्वाभाविक रूप से ऐसी भागदौड़ नहीं कर सकीं।
जबकि मुसलमानों में केवल मुसलमान पुरुष ही मस्जिद में नमाज पढ़ने जाते हैं और उन्होंने ऐसी बेहूदा हरकतें भी अधिक कीं।
इस बीमारी को अल्लाह अथवा देवी देवताओं की रहमत से ठीक करवाने संबंधी अंधविश्वास फैलाने में नाकाम रहे धर्मगुरुओं ने भविष्य में अपने व्यवसाय को खतरे में देखकर अपने संप्रदाय के अति रूढ़िवादी तथा अंधविश्वासी लोगों को उकसाने के प्रयास करने शुरू कर दिए। जिससे सभी संप्रदायों के धर्मगुरुओं द्वारा सर्वाधिक शोषित तबका अपने धर्म अथवा संप्रदाय के बचाव में इस सरकारी लॉक डाउन का उल्लंघन करने लगा।
हालांकि बहुत से मंदिरों के पुजारियों ने मंदिरों के दरवाजे लॉक डाउन से पहले ही बंद कर दिए थे परंतु फिर भी कई मंदिरों में लोग फंसे हुए रह गए थे जिन्हें निकालने के सरकारी प्रयास हुए…
रीवां में मंदिर के पुजारी को पीटने वाला वहां का एसपी अमित खान नहीं वरन राजकुमार मिश्रा था। जबकि मीडिया गलत प्रचार करता रहा।
सोलापुर महाराष्ट्र में रथयात्रा रोकने पर पुलिस पर पथराव किया गया। जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हुए। यह पत्थर फेंकने वाले कौन थे…
5 तारीख को दीपक नहीं मिलने पर टॉर्च अथवा मोबाइल की फ्लस लाइट से प्रकाश करने की हिदायत के बावजूद दीपक खरीदने के लिए लॉक डाउन तोड़कर छूट दी गई। हर घर में मोबाइल और टॉर्च थी फिर भी प्रशासन द्वारा दीपक खरीदने बेचने की छूट दी।
दिल्ली के रविदास मंदिर में भी लोगों की भीड़ इकट्ठी हुई।
रीवां में मंदिर के पुजारी को पीटने वाला वहां का एसपी आबिद खान नहीं वरन राजकुमार मिश्रा था।
तेलंगाना के मंत्रियों ने उड़ाईं लॉकडाउन की धज्जियां, मंदिर में मनाई राम नवमी
जुम्मे की नमाज पढ़ने की जिद में मुसलमानों ने कई जगहों पर लॉक डाउन का उल्लंघन किया जैसे ;
नोएडाः पुलिस ने छत पर समूह बनाकर नमाज अदा करने वालों पर की कार्रवाई
केरल में लॉक डाउन के उल्लंघन पर इमाम गिरफ्तार, मस्जिद में नमाज के लिए जुटाई थी भीड़
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जुमे की नमाज अदा करने से रोकने के चलते यहाँ हुआ पुलिस पर हमला
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कोरोनावायरस / भिंड में मंदिर में पूजा कर रहे जैन समाज के दो दर्जन से ज्यादा लोग गिरफ्तार, महिलाओं को भी थाने लाई पुलिस
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शुरू में गांवों में कोई भी यह मानने को तैयार नहीं हो रहा था कि कोई महामारी फैल गई है। महामारी की बात करते ही गांवों में बड़े बुजुर्ग तथा महिलाएं एक ही बात कहती कि “कहीं किसी घोड़ी के बच्चा पैदा का हुआ है इसलिए घोड़ी के मालिक ने मान्यता अनुसार कोई अफवाह फैलाई है।” परंतु जैसे ही यह समाचार मिलने शुरू हुए कि, मुसलमान बीमारी फैला रहे हैं। लोग मानने को तैयार हो गए कि “मुसलमान फैला रहे हैं तब तो जरूर कोई बीमारी है।”
फिर क्या था…
सोशल मीडिया पर जोर शोर से प्रचारित किया जाने लगा कि मुसलमान बीमारी फैलाने के लिए गांव-गांव में जाकर थूक रहे हैं। मुसलमानों की वेशभूषा में ऐसे वीडियो तैयार कर लिए गए जिसमें कोई मुसलमान कोरोना कोरोना बोलते हुए सब्जी तथा फलों को हाथ में लेकर उन पर थूक लगा लगा कर रख रहा है। तो किसी वीडियो में मुसलमान की वेशभूषा में कोई कोरोना कोरोना बोलता हुआ रुपयों को थूक लगा रहा है। सोशल मीडिया पर ऐसे अनेक वीडियो फैल गए जिनमें बताया जा रहा है कि देश में बीमारी फैलाने के लिए मुसलमान प्रत्येक चीज पर थूक लगाते हैं और फिर हिंदुओं को देते हैं। इसलिए किसी भी मुसलमान को किसी भी सूरत में हिंदू बस्ती में नहीं घुसने दिया जाए।
हम जानते हैं कि एकाएक लॉक डाउन करने के कारण निजामुद्दीन दरगाह, मजनूं का टीला गुरुद्वारा व कटरा में वैष्णो-देवी मंदिर में धार्मिक अनुयायी फँस गए थे। कटरा के यात्रियों के लिए सरकार ने तुरंत निकालने की सुविधा की व मजनू के टीले में फंसे 200 लोगों को निकालने के भी इंतजाम कर दिए गए।
निजामुद्दीन में जो लोग फंसे हुए थे वे लॉक डाउन होने के तुरंत बाद सवेरे ही दरगाह से बाहर निकलने के लिए अनुमति पास हेतु दरगाह पुलिस थाने में पहुंच गए।
जहां पुलिस तथा प्रशासन ने उनकी एक नहीं सुनी परंतु सरकार ने भी उन्हें निकालने के लिए 29 मार्च तक का इंतजार किया। नोटिस-चिट्ठियों का लेनदेन होता रहा और उसके बाद मीडिया के साथ ट्रायल शुरू किया गया और पूरे देश मे आईटी सेल ने मुसलमानों को कोरोना का वाहक घोषित कर दिया अर्थात कोरोना को जालीदार टोपी और छोटा पजामा पहना दिया गया।
रोचक बात यह है कि लॉक-डाउन के कारण 1800 गुजराती हरिद्वार में फँस गए थे मगर किसी को खबर नहीं होने दी।
बिना किसी प्रचार के चुपके से गृहमंत्री अमित शाह व गुजरात के सीएम रुपाणी ने उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से बात करके उत्तराखंड परिवहन की लक्जरी गाड़ियों का इंतजाम किया और 28 मार्च को अहमदाबाद ले जाकर छोड़ दिया। इससे पहले दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर लाखों मजदूर पैदल जाते देखे गए और अब तक 34 मजदूरों की घर लौटने के दौरान रास्ते मे ही मौत हो गई!
योगी आदित्यनाथ ने लॉक-डाउन तोड़कर काफिले के साथ अयोध्या जाकर रामलला में पूजा की।अयोध्या के महंत नृत्यगोपालदास ने कहा कि कोरोना से कुछ नहीं बिगड़ता भक्त रामनवमी पर अयोध्या में जुटें! तेलंगाना के भद्राचलम में सीता-राम मंदिर में हजारों लोग जुटे जिसमें दो मंत्री भी सपरिवार शामिल हुए।
इससे पहले शिरडी मंदिर व तिरुपति मंदिर में भक्तों की भीड़ कानून तोड़कर जुटी थी।
इंदौर में कुछ लोगों द्वारा स्वास्थ्य कर्मियों व तहसीलदार के ऊपर पत्थरों से हमला किया ये मुसलमान थे परंतु शाम होते-होते खबर आई कि महाराष्ट्र के सोलापुर में एक रथ यात्रा निकल रही थी। महाराष्ट्र पुलिस उनको रोकने गई तो उनके ऊपर पत्थरों से हमला किया गया।
अर्थात हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन कहे जाने वाले ये लोग मनुष्य के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। विश्वव्यापी महामारी के बावजूद अपने-अपने संप्रदाय की चिंता में लगे ये लोग मनुष्य कहने लायक नहीं हैं।
(मदन कोथुनियां स्वतंत्र पत्रकार हैं और आजकल जयपुर में रहते हैं।)