Wednesday, April 24, 2024

संसाधनों की लूट, नफरत व देश को बर्बाद करने वाली राजनीति को नेस्तनाबूत कर देंगे: दीपंकर भट्टाचार्य

लखनऊ/सोनभद्र। भाजपा आदिवासियों-दलितों से जल-जंगल-जमीन पर उनके पुश्तैनी अधिकारों को छीन लेना चाहती है। यह बात भाकपा (माले) के राष्ट्रीय महासचिव कॉमरेड दीपंकर भट्टाचार्य ने सात सितंबर को राबर्ट्सगंज (सोनभद्र) कचहरी परिसर में आयोजित आदिवासी अधिकार सम्मेलन में कही। उम्भा नरसंहार के विरोध में सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली जिलों के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में एक महीने तक चले ‘आदिवासी अधिकार व न्याय यात्रा’ के समापन पर इस सम्मेलन का आयोजन किया गया था।

उन्होंने कहा कि इस इलाके में जनसंहार का सिलसिला चलता रहता है। सरकार उभ्भा जनसंहार को दबाने व अपराधियों को बचाने में लगी है। अगर उनके पीछे सरकारी हाथ नहीं होता, तो यह जनसंहार नहीं होता। हमारी लड़ाई मुआवजे व इलाज तक सीमित नहीं है, हमारी लड़ाई अपराधियों के पीछे खड़ी सरकार के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि इंसान की जिंदगी की कोई कीमत नहीं हो सकती और न ही उसकी मौत का कोई सौदा हो सकता है। आदिवासी जिन जमीनों पर पीढ़ी-दर-पीढ़ी पसीना बहाते चले आ रहे हैं, उन जमीनों की खरीद फरोख्त हो रही है। मिर्जापुर के डीएम ने कहा है कि वह सभी सहकारी समितियों की जांच करेंगे। लेकिन जब तक इन जमीनों की जांच करके व जब्त कर उनको गरीबों के बीच बांटा नहीं जाता तब तक हम लड़ेंगे।

का. दीपंकर ने कहा कि भाजपा बच्चों को पौष्टिक भोजन देने व बेटी को बचाने की बात करती है, लेकिन जब मिर्जापुर में पत्रकार द्वारा स्कूल में बच्चों को खाने में नमक-रोटी देने का भंडाफोड़ किया जाता है, तो उनको जेल होती है। योगी सरकार बलात्कारी भाजपा नेताओं के बचाव में खड़ी है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में सैकड़ों साल पुराने रविदास के मंदिर को तोड़ दिया गया तो दिल्ली, हरियाणा, पंजाब तक हजारों लोगों ने सड़क पर उतर कर इसके खिलाफ प्रतिवाद किया किंतु प्रचारतंत्र ने इसे दबा दिया। उन्होंने कहा कि हमें लोकतांत्रिक अधिकारों पर बढ़ते दमन तथा बेदखली के खिलाफ लड़ते हुए आगे बढ़ना है।

जल-जंगल-जमीन हमारा अधिकार है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रवाद का जाप करने वाली भाजपा हमसे पानी छीनकर अडानी और अंबानी के हाथ बेंच रही है। मोदी-योगी राज में  बिजली, पानी, अस्पताल, पढ़ाई और रोजगार की कोई गारंटी नहीं है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुक़सान पहुंचाया है। अभी आरबीआई से इस सरकार ने एक लाख छिहत्तर हजार करोड़ रुपए निकाल लिये, किंतु यह हमारे लिए नहीं निकाले गये, इससे हमारे मनरेगा मजदूरों को साल भर सबको 500 रूपए दैनिक मजदूरी पर काम की गारंटी के लिए नहीं खर्च किया जायेगा। बल्कि यह पूरा पैसा कारपोरेट घरानों के बेल-आउट (खैरात) के रूप में खर्च होगा।

मार्च करते महासचिव कॉ. दीपंकर भट्टाचार्य।

माले महासचिव ने कहा कि भाजपा की सरकार ने अगर देश की एकता के नाम पर काश्मीर से अनुच्छेद 370 व 35ए समाप्त किया है, तो कल सामाजिक एकता के नाम पर ये आरक्षण को भी खत्म कर देंगे। इनकी नज़रें हमारी जमीनों पर लगी हैं। एक समय झारखंड सहित तमाम जगहों पर आदिवासियों की जमीन की खरीद-फरोख्त के खिलाफ विशेष कानूनी प्रावधान था। आज उसको खत्म करके उनकी ज़मीनें खरीदी-हड़पी जा रही हैं। हम बेदखली की हर साजिश को नाकाम करेंगे। उन्होंने कहा कि औपनिवेशिक भारत में मजदूरों व जनता ने अपने पक्ष में लड़ कर तमाम कानून बनवाये थे। आज उन कानूनों के पुराने कानून के नाम पर अमीरों व पूंजीपतियों के पक्ष में बदल दिया जा रहा है। वनाधिकार कानून को समाप्त कर यह जमीन छीनेंगे। 1919 के रौलेट एक्ट को 2019 में यूएपीए के रूप में लागू कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि मजदूर आंदोलन में नया दौर शुरू हुआ है। अभी डिफेंस के मजदूरों ने निगमीकरण व निजीकरण के खिलाफ अपनी पांच दिनों की हड़ताल से सरकार को पीछे धकेल दिया। किसान, मजदूर, छात्र-नौजवान पहले भी इस सरकार के खिलाफ लड़ रहे थे और आज भी लड़ रहे हैं। रेलवे व बैंक के कर्मचारी आंदोलन के रास्ते पर हैं। कश्मीर से लेकर असम तक लोग लड़ रहे हैं। आज आदिवासी संघर्ष के रास्ते पर हैं। संविधान में बदलाव व छेड़छाड़ के खिलाफ देश में बड़ी लड़ाई छिड़ी हुई है। हम हर मोर्चे पर डटकर लड़ेंगे और जीतेंगे। भाजपा के सामने कांग्रेस ने घुटने टेक दिए हैं।

सपा, बसपा, राजद सभी लोग भाजपा से डर रहे हैं। भारत की जनता ने 1857 में लोहा लिया, आजादी की लड़ाई में लोहा लिया है, तो मोदी-योगी-शाह के सामने भी जनता नहीं झुकेगी। भगतसिंह, अम्बेडकर और बिरसा मुंडा के रास्ते पर चलने वाले लाल झंडे को ऊंचा करके, आगे बढ़ कर लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा वाले भ्रष्टाचारियों को अपनी पार्टी में भरकर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई की बात कर रहे हैं। संसद के भीतर संघ-भाजपा वाले विपक्ष की आवाज को दबा सकते हैं, किंतु सड़क हमारी है। हम संसाधनों की लूट, नफरत और देश को बर्बाद करने की राजनीति नही चलने देंगे। हम एकजुट होकर मुकाबला करेंगे, खुलकर लड़ेंगे, जीतेंगे और पीछे नही हटेंगे।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए पोलित ब्यूरो सदस्य कामरेड रामजी राय ने कहा कि आज हम भले ही सड़क पर हों, लेकिन कल हमें संसद को भी अपना बनाना होगा। एक मजबूत संगठन और आंदोलन के बगैर हम इसे संभव नहीं बना सकते। इसलिए हमें पूरी ताकत से इस दिशा में काम करना है।

पार्टी राज्य सचिव कामरेड सुधाकर यादव ने कहा कि योगी सरकार में महिलाओं, दलितों व अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े हैं। एंटी भूमाफिया के नाम पर गरीबों को उजाड़ने की कार्रवाई की जा रही है। सोनांचल की तमाम आदिवासी जातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा नहीं मिलने से उन्हें वनाधिकार कानून का फायदा नहीं मिला। उन्होंने इनके लिए जनजाति के दर्जे की मांग की। उन्होंने कहा कि योगी सरकार हर मोर्चे पर विफल है।

सम्मेलन में मौजूद लोग।

अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरेड श्रीराम चौधरी ने कहा कि मोदी-योगी राज में खेत मजदूर व गरीब भुखमरी के कगार पर हैं। सरकार गरीबों की मदद के लिए बनी योजनाओं के बजट में भारी कटौती कर रही है। उन्होंने कहा कि हमें रोजगार, जमीन, आवास, सुरक्षा व वास्तविक आजादी लड़कर ही हासिल होगी। सम्मेलन को केन्द्रीय कमेटी सदस्य व किसान महासभा के प्रदेश महासचिव कामरेड ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा, ‘दुद्धी को जिला बनाओ’ संघर्ष समिति के महामंत्री एडवोकेट प्रभु सिंह, सोनभद्र जिला बार अध्यक्ष एडवोकेट रामजन्म मौर्य, ऐपवा राज्य सचिव कुसुम वर्मा, राज्य कमेटी सदस्य व आदिवासी नेता बीगन गोंड़, जीरा भारती, सोनभद्र के जिला पार्टी सचिव शंकर कोल,

इंकलाबी नौजवान सभा के राज्य सचिव सुनील मौर्य, लोकमंच के संजीव सिंह, आल इंडिया सेकुलर फोरम के डाक्टर मोहम्मद आरिफ, ऐपवा नेता डा. नूर फातिमा, बीएचयू के गोपबंधु मोहंती, माले राज्य कमेटी सदस्य सुरेश कोल, रामकृष्ण बियार ने संबोधित किया। पार्टी की राज्य स्थायी (स्टैंडिंग) समिति के सदस्य का. ओमप्रकाश सिंह ने 11 बिंदुओं वाला राजनीतिक प्रस्ताव रखा जिसे सर्वसम्मति से पारित किया गया। सभा का संचालन राज्य स्थायी समिति के सदस्य का. शशिकांत कुशवाहा ने किया।

आदिवासी अधिकार सम्मेलन में पारित राजनैतिक प्रस्ताव

1- मिर्जापुर, सोनभद्र, नौगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों में आदिवासियों- दलितों- गरीबों की पुश्तैनी जमीनों को कागजों में हेराफेरी करके सोसाइटियों, मठों, ट्रस्टों, न्यासों एवं अन्य नामों से गलत तरीके से दर्ज कर लिया गया है। यह सम्मेलन मांग करता है कि उपरोक्त पूरी जमीन को अधिग्रहीत कर गरीबों में वितरित किया जाए।

2- यह सम्मेलन प्रदेश में महिलाओं के ऊपर बढ़ती हिंसा पर घोर चिंता व्यक्त करता है। महिलाओं के विरुद्ध बलात्कार- हत्या व अन्य अपराधों में लिप्त अपराधियों को मिल रहे सत्ता संरक्षण की निंदा करता है, इस पर तत्काल रोक लगाने के साथ महिलाओं की सुरक्षा व सम्मान की गारंटी की मांग करता है ।

3- यह सम्मेलन दलितों-अल्पसंख्यकों पर सत्ता संरक्षित गिरोहों द्वारा बढ़ती हिंसा की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए इन तबकों के सम्मान व सुरक्षा की गारंटी एवं उक्त गिरोहों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की मांग करता है।

4- यह सम्मेलन बुद्धिजीवियों, लेखकों, संस्कृतिकर्मियों पर बढ़ते हमले, फर्जी मुकदमों में फंसाये जाने की घोर निंदा करता है और उत्पीड़नात्मक-दमनात्मक कार्रवाइयों पर तत्काल रोक लगाने की मांग करता है।

5-यह सम्मेलन मुजफ्फरनगर के दंगाइयों व बुलंदशहर के पुलिस अधिकारी सुबोध सिंह के हत्यारों को राज्य की लचर पैरवी के चलते छूट जाने पर गहरी चिंता व्यक्त करता है। बुलंदशहर के अपराधियों की जमानत रद्द करने व मुजफ्फरनगर के अपराधियों के विरुद्ध पुनः कार्रवाई की मांग करता है।

6-यह सम्मेलन मिड डे मील में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले पत्रकार पर दर्ज मुकदमा बिना शर्त वापस लेने की मांग करता है।

7-यह सम्मेलन असम में एनआरसी सूची से बाहर किए गए लोगों को संपूर्ण नागरिक अधिकारों व सुविधाओं को सुनिश्चित करने की मांग करता है। इसके अलावा, नागरिकता अधिनियम में सांप्रदायिक आधार पर किए जा रहे संशोधन को रद्द करने की मांग करता है।

8-यह सम्मेलन कश्मीरी जनता की सहमति के बिना एक तरफा तौर पर धारा 370 व 35A हटाने, राज्य का विभाजन कर इसे दो केंद्र शासित राज्यों में बदलने की कार्रवाई को संविधान के संघीय स्वरूप पर हमला मानता है, उसे पुराने स्वरुप में बहाल करने की मांग करता है।

9-यह सम्मेलन कश्मीर में जारी नागरिक दमन पर रोक लगाने, गिरफ्तार लोगों को रिहा करने, प्रेस, सूचना, मोबाइल व इंटरनेट सुविधा बहाल करने की मांग करता है।

10-यह सम्मेलन यूपी में बिजली की दरों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी पर आक्रोश वक्त करता है और इसे तत्काल वापस लेने की मांग करता है।

11- यह सम्मेलन ‘दुद्धी को जिला बनाओ’ संघर्ष मोर्चा द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन से अपने को एकताबद्ध करता है। इलाके की दुरुह भौगोलिक स्थितियों के मद्देनजर तत्काल दुद्धी को जिला घोषित करने की मांग करता है।

   

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