Wednesday, April 24, 2024

कोरोना के ख़िलाफ़ जंग में जान की बाज़ी लगाने वाले सफ़ाईकर्मियों को नहीं मिल रहा उनके हिस्से का श्रेय

“वैश्विक महामारी कोविड-19 के खिलाफ़ जारी संघर्ष में स्वास्थ्यकर्मियों और पुलिस की तो हर ओर वाहवाही हो रही है हर न्यूज चैनल हर अखबार उनकी स्तुतिगान में मगन है मगर हम सफाईकर्मियों के बारे में कहीं कुछ नहीं दिख रहा है अक्सर मेरे साथी ये सवाल करते हैं”- अपना दर्द कुछ यूँ अभिव्यक्त करते हैं उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद नगर निगम में कार्यरत सफाई कर्मी प्रदीप कुमार यादव। 

ऐसी स्थिति क्यों है? पूछने पर प्रदीप कुमार बताते हैं- “क्योंकि सफाई के इस काम में कथित सवर्ण जातियों के लोगों का प्रतिनिधित्व नहीं है। अतः सफाई के इस काम को हीन और घृणा के भाव से देखा जाता है। हमें उन अस्पतालों और इमारतों के कूड़े कचरे का भी निपटारा करना होता है जहाँ संक्रमित मरीज और क्वारंटाइन और आइसोलेट करके लोगों को रखा गया है। कोरोना महामारी के समय हम भले ही अपनी जान जोखिम में डालकर ये काम कर रहे हों लेकिन मनुवादी मीडिया की नज़र में हम समाज पर कोई उपकार नहीं कर रहे हैं। उपकार तो पुलिस और डॉक्टर महकमे के लोग कर रहे हैं।” 

प्रदीप कुमार यादव।

क्या आप लोगों को स्वास्थ्यकर्मियों की तरह कोई खाने की दवाई दी जा रही है? पूछने पर प्रदीप कुमार बताते हैं – नहीं हम लोगों को तो ऐसा कुछ नहीं दिया जा रहा है। हाँ हाथ धोने के लिए शुरु में सैनेटाइजर दिया गया था। लेकिन वो भी पर्याप्त मात्रा में नहीं था। अब तो ये हालत है कि कई बार सैनेटाइजर आधे से ज़्यादा सफाईकर्मियों के लिए बचता ही नहीं है। एक जोड़ी ग्लव्स दिया गया है और एक सामान्य मास्क।

क्या कोरोना महामारी जैसे खतरे के समय आप लोगों को साफ-सफाई के समय बरती जाने वाली एहतियात को लेकर कोई विशेष ट्रेनिंग दी गई? 

पूछने पर प्रदीप बताते हैं कि- “नहीं इस तरह की कोई ट्रेनिंग नहीं दी गई है हमें। हम लोगों को आदेश दिया गया है कि लॉक डाउन तक छुट्टी नहीं करना है बस। रोज सामान्य समय से एकाध घंटा ज़्यादा काम करना पड़ता है। लेकिन इसके एवज में कोई अलग पेमेंट नहीं मिलता। वो 2018-19 में हुए कथित दिव्य और भव्य कुम्भ को याद करते हुए बताते हैं कुम्भ के समय हमसे लगातार 3 महीने काम लिया गया था, बिना एक भी दिन छुट्टी के। लेकिन उसके एवज में कुछ अलग से या कुछ अतिरिक्त भुगतान नहीं किया गया था।”

सफाईकर्मियों के लिए क्यों नहीं ज़रूरी है ‘प्रोफाइलेक्सिस’

सफाई कर्मी स्वास्थ्यकर्मियों की तरह भले ही संक्रमित मरीजों के संपर्क में सीधे न आते हों लेकिन वो उनके अपशिष्टों के संपर्क में तो आते ही हैं। उनके भी संक्रमित होने का उतना ही जोखिम रहता है जितना कि किसी स्वास्थ्यकर्मी के। लेकिन भारत में स्वास्थ्यकर्मियों को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है जबकि सफाईकर्मियों के लिए ऐसी कोई सलाह या उपाय नहीं किया गया है।

बता दें कि स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से अस्पतालों के लिए 23 मार्च को एक एडवाइजरी जारी करके कहा गया था कि – “ हाइड्रॉक्सी-क्लोरोक्विन दवाई का प्रयोग प्रोफाइलेक्सिस के तौर पर किया जा सकता है।”

बता दें कि किसी बीमारी से बचाव के लिए जो दवा इस्तेमाल की जाती है उसे ‘प्रोफाइलेक्सिस’ कहा जाता है। बता दें कि कुछ लैब में कोरोना वायरस को लेकर हुए परीक्षणों के बाद हाईड्रॉक्सी-क्लोरोक्विन को कोविड-19 की रोकथाम के लिए मददगार पाया गया है। इसे एक्सेप्शनल मामलों में हाई रिस्क में आने वाले व्यक्तियों की सुरक्षा के प्रयोग करने के निर्देश दिए गए हैं। 

स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से अस्पतालों के लिए जारी निर्देशों में लिखा गया है कि कोरोना वायरस के इलाज में लगे बिना लक्षण वाले हेल्थकेयर वर्कर को पहले दिन 400 एमजी दिन में दो बार लेनी है,  फिर अगले  7 हफ्तों तक 400 एमजी हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्विन हफ्ते में एक बार खाने के साथ लेनी है।  
लैब में कोरोना के पॉजिटिव मरीजों के घर के सदस्यों को पहले दिन यह दवा 400 एमजी दिन में दो बार लेनी है, फिर अगले 3 हफ्तों तक 400 एमजी हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्विन हफ्ते में एक बार खाने के साथ लेनी है। लेकिन बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवा लेना खतरे से खाली नहीं होता।  

दिल्ली सफाई कर्मियों को भी बुनियादी ज़रूरत के सामानों के लिए करना पड़ता है संघर्ष

सीमा दिल्ली की एनडीएमसी में स्थायी सफाई कर्मी हैं। वो बताती हैं कि मास्क और ग्लव्स मिला है। वो कहती हैं हमें दरोगा का नंबर दिया गया है ये कहकर कि कोई परेशानी होगी तो फोन करिएगा। मैं तो निजी साधन से आती हूँ लेकिन तीन दिन से कोई बस नहीं चल रही है इससे कुछ सफाईकर्मियों की दिक्कत हो रही है। हम पर काम करने का कोई दबाव तो नहीं है लेकिन हम काम पर अपने फायदे के लिए आते हैं। क्या इस महामारी के दौरान सफाई कर्मियों का कोई टेस्ट या चेकअप किया गया है पूछने पर सीमा जी बताती हैं कि नहीं कोई चेकअप तो नहीं हुआ है। दिल्ली सफाई कर्मचारी एसोसिएशन अध्यक्ष संजय गहलोत के मुताबिक दिल्ली में 50,000 से ज़्यादा सफाईकर्मी हैं, ऐसे में उन्हें कोविड-19 इन्फेक्शन का सबसे ज़्यादा ख़तरा है। लेकिन दिल्ली नगर निगम उन्हें किसी तरह की सहूलियत नहीं दे रहा है। उन्होंने ये भी कहा कि आधे मार्च तक न हमें मास्क दिया गया था न ग्ल्व्स। कर्मचारियों ने खुले हाथों से कूड़े उठाए हैं। 

विनोद दास और पोबी कोलकाता के यू सी बनर्जी रोड स्थित हरिजन-पल्ली मोहल्ले में रहते हैं। विनोद कार्पोरेशन के स्थायी वर्कर हैं जबकि पोबी ठेके के तहत काम करते हैं। और इस मोहल्ले के आस-पास की सड़कों और नालियों की साफ-सफाई का काम करते हैं। उन्हें कोरोना महामारी से बचने के लिए ग्लव्स और मास्क दिया गया है। पश्चिम बंगाल सरकार ने सफाई कर्मियों के लिए 5 लाख को इंश्योरेंस कवर दिया है।

मुंबई के धारावी में एक सफाईकर्मी को कोविड-19 की पुष्टि

2 अप्रैल को बीएमसी में काम करने वाले 52 वर्षीय सफाई कर्मी को कोविड-19 संक्रमित पाया गया है। वो वर्ली के निवासी हैं और उनकी पोस्टिंग धारावी में थी। उनके कोविड-19 पोजिटिव होने की पुष्टि के बाद उनके परिवार के और सहकर्मियों समेत 23 लोगों को क्वारंटाइन किया गया है। मुंबई के धारावी में ही बुधवार को एक व्यक्ति की कोविड-19 से मौत हो गई थी। धारावी बहुत ही घना इलाका है जहाँ दलित समुदाय के लाखों लोग रहते हैं। एक-एक झुग्गी में दर्जन भर लोग रहते हैं ऐसे में वहां फिजिकल डिस्टेंसिंग जैसी चीज की परिकल्पना भी नहीं की जा सकती। अगर समय रहते सरकार ने ज़रूरी कदम नहीं उठाया तो पूरी धारावी में संक्रमण फैलने का खतरा है। 

किटाणुनाशक दवा का छिड़काव करते वक्त सफाई कर्मी की मौत- एसडीएम ने कहा बात करने के लिए फालतू टाइम नहीं 

कोविड-19 के खतरे के बीच जहां सफाई कर्मी जी जान से लोगों की सेवा में लगे हैं, वहीं उनके प्रति उच्च जातियों के सरकारी अधिकरियों का रवैया अब भी उतना अमानवीय और बर्बर बना हुआ है।

बता दें कि उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिला के हथगाम ब्लॉक के आलीमऊ गांव के रहने वाले संदीप वाल्मीकि कौशाम्बी जिले के सिराथू नगर पंचायत में ठेकेदारी में सफाई मजदूर के रूप में काम कार्यरत था। जहाँ 23 मार्च को कोरोना वायरस जैसी महामारी से आम लोगों को बचाने के लिए ग्लव्स और मास्क जैसे जरूरी संसाधनों के अभाव में भी कीटनाशक दवा के घोल का छिड़काव करते वक्त उनकी मौत हो गई। संदीप के साथ काम करने वाले मजदूरों का दावा है कि छिड़काव के वक्त जहरीली दवा सांस के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर गई और वह छिड़काव करते-करते बेहोश होकर गिर पड़े। साथियों ने संदीप को हॉस्पिटल में एडमिट कराया लेकिन वहां उनकी मौत हो गई। संदीप के परिवार में उनकी पत्नी और दो बच्चे हैं।

उनकी मौत पर प्रतिक्रिया के लिए जब पत्रकारों ने सिराथू के एसडीएम राजेश श्रीवास्तव से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कहा- ‘ हम कोरोना में बिजी है, फालतू चीजों के लिए टाइम नहीं है।’

फरीदाबाद के सफाईकर्मियों द्वारा सामान्य बुनियादी ज़रूरत के सामानों को लेकर आंदोलन 

लेकिन सफाई कर्मियों की सुविधाओं को लेकर सरकारें गंभीरता नहीं दिखा रही हैं। फरीदाबाद के 3200 सपाई कर्मियों और 294 सीवरमैन ने सैनेटाइजर, हाथ धोने का साबुन, गलव्स और मास्क की मांग को लेकर 18 मार्च को आंदोलन करने की धमकी दी थी। नगरपालिका कर्मचारी संघ ने मोर्चा सफाई कर्मचारियों को उपकरण मुहैया नहीं कराने को लेकर आंदोलनरत थे। राज्य प्रधान नरेश कुमार शास्त्री ने सफाई कर्मी व सीवरमैन को सुविधाएं न उपलब्ध करावा कर सरकार द्वारा दोयम दर्जे का व्यवहार किया गया।

जबकि नगरपालिका कर्मचारी संघ द्वारा 6 मार्च को सरकार व सभी निगम आयुक्तों, कार्यकारी अधिकारियों व पालिका सचिवों को पत्र लिखकर प्रदेश के सभी सफाई कर्मचारियों व सीवर मैनों को कोरोना वायरस से बचाव के उपकरण मास्क, ग्लव्स, सैनेटाइजर, डिटॉल साबुन आदि उपलब्ध करवाने की मांग की थी, लेकिन सरकार ने अभी तक पालिकाओं, परिषदों व नगर निगम तथा ग्रामीण सफाई कर्मचारियों व अन्य सरकारी अर्द्ध सरकारी विभागों बोर्डों, यूनिवर्सिटी में काम करने वाले सफाई कर्मचारियों को कोई उपकरण उपलब्ध नहीं करवाए हैं। सरकार की अनदेखी के चलते प्रदेश के सफाई कर्मचारियों में दहशत का माहौल बना हुआ है।

(सुशील मानव जनचौक के विशेष संवाददाता हैं और आजकल दिल्ली में रहते हैं।) 

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