नई दिल्ली। ‘युवा स्वाभिमान पदयात्रा’ पर निकले नौजवानों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी इलाहाबाद के नवाबगंज में रात एक बजे की गयी। बताया जा रहा है कि 18 युवकों को गिरफ्तार करने के लिए रात के अंधेरे में 180 पुलिसकर्मियों को भेजा गया था। यह यात्रा कल इलाहाबाद से निकली थी और उसे 9 अक्तूबर को लखनऊ पहुंचना था।
आरवाईए के नेता और स्वाभिमान पदयात्रा की अगुआई कर रहे सुनील मौर्य ने बताया कि गिरफ्तार लोगों को सोरांव, नवाबगंज, होलागढ़ और मऊआइमा के अलग-अलग थानों में रखा गया है। सभी की गिरफ्तारी धारा 151 और 116 के तहत की गयी है। सुनील ने बताया कि पुलिस वालों का कहना था कि कोरोना के इस दौर में किसी को भी इस तरह की यात्रा करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। गिरफ्तार सभी युवा नेताओं को पुलिस आज इलाहाबाद में मजिस्ट्रेट के सामने पेश कर सकती है।
कल जब इलाहाबाद से यात्रा शुरू हुई थी तब भी पुलिस वालों ने उसे रोकने की कोशिश की थी लेकिन छात्रों की संख्या और उनके तेवर को देखते हुए प्रशासन पीछे हट गया। और उसको यह लगा कि इलाहाबाद में गिरफ्तारी से छात्र भड़क सकते हैं और आंदोलन फूट सकता था लिहाजा उन्होंने एक ऐसे मौके, स्थान और समय को चुना जहां इस तरह की कोई आशंका नहीं हो। इसी लिहाज से रात में एक बजे इन सभी युवाओं की गिरफ्तारी की गयी।
सुनील ने जनचौक को बताया कि सारे यात्री रात में 10 बजे ही नवाबगंज पहुंच गए थे। और अगले दिन समय पर यात्रा शुरू हो जाए इसलिए जल्दी सोने चले गए थे। लेकिन तभी रात में पुलिस ने धावा बोल दिया और सभी को गिरफ्तार कर लिया।
यह भी अजीब विडंबना है कि एक ऐसे समय में जबकि चुनाव हो सकते हैं। दफ्तर काम कर सकते हैं। मेट्रो से लेकर ट्रेन, बस और आवागमन के सारे साधन काम कर सकते हैं। लेकिन 18 लोग पैदल नहीं जा सकते हैं। फ्लाइट सैकड़ों लोगों के साथ उड़ान भर सकती है। हजारों लोगों के साथ ट्रेन पटरियों पर दौड़ सकती है लेकिन 18 लोग पैदल चल कर यह काम नहीं कर सकते हैं।
दरअसल ये सभी छात्र-युवा रोजगार के सवाल पर सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जवाब मांगने जा रहे थे। इसके पहले इन लोगों ने ताली-थाली पीटकर उन्हें नींद से जगाया था और अब उनसे आमने-सामने बैठ कर जुमलेबाजी की जगह सूबे में खाली तमाम पदों पर ठोस नियुक्तियों के सिलसिले में बात करना चाहते थे। लेकिन शायद योगी के पास कोरे वादे के सिवा ठोस देने के लिए नौजवानों को कुछ नहीं है। लिहाजा उन्हें इन नौजवानों को रास्ते में रोकने के सिवा कोई चारा नहीं दिखा।
लेकिन गिरफ्तार नौजवानों के भी मंसूबे बुलंद हैं। उनका कहना है कि अगर प्रशासन उन्हें छोड़ देता है तो एक बार फिर वो लखनऊ पहुंचने की कोशिश करेंगे और उनका पूरा प्रयास होगा कि यह यात्रा अपने समय यानी 9 अक्तूबर को सूबे की राजधानी लखनऊ पहुंचे।
युवा मंच संयोजक राजेश सचान ने पूरी घटना पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि दमन की इन कार्रवाइयों से युवाओं का आक्रोश और बढ़ेगा। इसलिए दमन की कार्रवाई पर रोक लगाई जाये। उन्होंने कहा कि युवाओं के शांतिपूर्ण आंदोलन की भी इजाजत नहीं दी जा रही है और अनुमति न होने के नाम पर युवाओं की गिरफ्तारी, मुकदमे दर्ज किये जा रहे हैं और धरना प्रदर्शन व जुलूस तक को रोका जा रहा है। सरकार के इस दमन चक्र से युवा आक्रोशित हैं और इसका खामियाजा भुगतना होगा।
युवाओं के देशव्यापी प्रदर्शन से रोजगार का सवाल राष्ट्रीय विमर्श में आ गया है और सरकार की चिंता यह है कि किस तरह युवाओं के आंदोलन से निपटा जाये। दरअसल भयावह बेकारी से युवाओं का विक्षोभ बढ़ता ही जा रहा है और रोजगार अधिकार के लिए शुरू हुये युवाओं के आंदोलन के राष्ट्रीय आयाम ग्रहण करने की प्रबल संभावना है। इसीलिए सरकार दमन के सहारे आंदोलन को कुचलने की कोशिश में है लेकिन अब आंदोलन रूकने वाला नहीं है। 2 अक्टूबर को फिर रोजगार को मौलिक अधिकार बनाने और 24 लाख खाली पदों को अविलंब भरने के सवाल पर प्रदेश स्तरीय रोजगार अधिकार सत्याग्रह होगा।
इस बीच खबर आयी है कि गिरफ्तार सभी युवकों को जमानत पर छोड़ दिया गया है।