विभिन्न आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधियों ने 21 नवंबर को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से प्रोजेक्ट भवन में मुलाकात कर उन्हें नगर निकायों के चुनाव को रोकने संबंधी एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया गया है कि झारखंड में पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों का उल्लंघन कर आदिवासियों के प्रतिनिधित्व को समाप्त कराया जा रहा है। राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा झारखंड के पांचवीं अनुसूची में शामिल जिलों में भी नगर निकायों का चुनाव सामान्य कानून के तहत कराया जा रहा है। जो संविधान विरोधी, आदिवासी विरोधी और पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों के खिलाफ है।
आदिवासी संगठनों में मुख्य रूप से केंद्रीय सरना समिति, राजी पाइहा सरना प्रार्थना सभा भारत, आदिवासी जन परिषद, अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद, आदिवासी सेना, आदिवासी लोहरा समाज, जन आदिवासी केंद्रीय परिषद, झारखंड क्षेत्रीय पाइहा समिति, कांके रोड सरना समिति, राष्ट्रीय आदिवासी मुंडा परिषद, एचईसी विस्थापित मोर्चा सहित 22 पाइहा चेटे संघ के संयुक्त आदिवासी संगठन के प्रतिनिधि शामिल थे।
बताते चलें कि राज्य में नगर निकाय चुनाव कराने को लेकर राज्य सरकार द्वारा भेजे गये प्रस्ताव को राज्यपाल ने मंजूरी दे दी है। सरकार ने 19 दिसंबर को मतदान कराने का प्रस्ताव भेजा था। संभावना जतायी जा रही है कि राज्य सरकार जल्द ही नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी कर सकती है। नगर विकास विभाग द्वारा अधिसूचना जारी करने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव की घोषणा करेगा। इस बीच खबर यह भी है कि रांची में मेयर पद के आरक्षण के विवाद को लेकर सरकार चुनाव की तिथि बदल भी सकती है।
उल्लेखनीय है कि दिसंबर के तीसरे सप्ताह में राज्य के सभी 48 नगर निकायों में मेयर, अध्यक्ष और वार्ड पार्षद के लिए मतदान होगा। एक ही चरण में सभी नौ नगर निगम, 20 नगर परिषद और 19 नगर पालिका में मतदान होगा। 29 दिसंबर को राज्य सरकार की तीसरी वर्षगांठ के पूर्व नगर निकाय चुनाव की पूरी प्रक्रिया समाप्त कर ली जायेगी।
राज्य निर्वाचन आयोग ने नगर निकाय चुनाव की तैयारी पूरी कर ली है। निकायों में मतदाता सूची व आरक्षण रोस्टर का प्रकाशन, वार्डों का परिसीमन, मतदान केंद्रों और स्ट्रांग रूम का गठन किया जा चुका है। चुनाव के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था का आकलन कर आवश्यकतानुसार पुलिस फोर्स का बंदोबस्त भी कर लिया गया है और राज्य निर्वाचन आयोग डीसी व एसएसपी से तैयारी का जायजा ले रहे हैं।
वहीं दूसरी तरफ सरकार निकाय चुनाव की प्रस्तावित तिथि में बदलाव करने पर भी विचार कर रही है। कुछ निकायों में महापौर और अध्यक्ष पद के आरक्षण के मामले पर विभिन्न संगठनों ने सरकार के पास अपनी बातें रखी हैं। ऐसे में सरकार पूरे मामले को देख रही है। इस पर भी मंथन किया जा रहा है कि अगर 31 दिसंबर के पहले चुनाव नहीं कराया गया, तो चुनाव का पेंच लंबा फंस सकता है। जानकारों का कहना है कि 31 दिसंबर तक मौजूदा मतदाता सूची के आधार पर चुनाव कराया जा सकेगा, नहीं तो इसके बाद एक जनवरी से नयी मतदाता सूची पर चुनाव कराना पड़ेगा।
बताना जरूरी है कि राज्य में नगर निकाय चुनाव कराने को लेकर राज्य शिड्यूल एरिया के आदिवासी इसके विरोध में हैं। क्योxकि राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा राज्य में पांचवीं अनुसूची जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव विशेष पंचायत कानून (पेसा कानून) के तहत कराया जाता है। अतः आदिवासी समाज का मानना है कि एक ही शिड्यूल एरिया में पंचायत चुनाव विशेष कानून के तहत और नगर निकायों का चुनाव सामान्य कानून से हो, वह संविधान विरोधी आदिवासी विरोधी और पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों के खिलाफ है। क्योंकि इस चुनाव से शिडयूल एरिया में आदिवासियों के प्रतिनिधित्व समाप्त हो रहा है। संताल परगना प्रमंडल के दुमका, साहिबगंज, पाकुड़ जामताड़ा जिले, कोल्हान प्रमंडल के पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला-खरसांवा जिले, दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के रांची जिले में नगर निगम, नगर परिषद, नगर पंचायत के एकल पद को अनारक्षित या अनुसूचित जाति का कर दिया गया है, जबकि दे सभी क्षेत्र पांचवी अनुसूची जिलों के अंतर्गत आते हैं।
इस विषय को लेकर आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपने ज्ञापन में कहा है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए नगर निकाय का चुनाव अविलंब रोका जाये और पांचवी अनुसूची जिलों के नगरीय क्षेत्र में एकल पद आदिवासियों के लिए आरक्षित करने के लिए नगरपालिका अधिनियम का विशेष कानून बना कर ही चुनाव कराया जाये। शिड्यूल एरिया में पंचायत चुनाव भी विशेष कानून के तहत होता है, इसलिए शिडयूल एरिया के नगरीय क्षेत्र के लिए भी नगरपालिका अधिनियम का विशेष कानून बनाया जाये, ताकि पांचवीं अनुसूची जिलों में आदिवासियों का प्रतिनिधित्व बरकरार रहे और आदिवासियों की हकमारी न हो।
उक्त विषय पर विभिन्न आदिवासी संगठनों के जो प्रतिनिधिमण्डल मुख्यमंत्री से मिला और ज्ञापन सौंपा उसमें लक्ष्मी नारायण मुंडा, अजय तिर्की, प्रेम शाही मुंडा, बबलू मुंडा, प्रवीण उरांव, कृष्णकांत टोप्पो, अभय भुटकूंवर, अजित उरांव, डब्लू मुंडा, निरंजना हेरेंज, कुंदरुसी मुंडा, राहुल उरांव, नवनीत उरांव, अजय कच्छप, मानू तिग़्गा, हलधर पाहन आदि शामिल थे। वहीं लक्ष्मी नारायण मुंडा ने मामले को लेकर झारखंड हाईकोर्ट में एक पीआईएल भी दाखिल किया है।
(विशद कुमार स्वतंत्र पत्रकार हैं और रांची में रहते हैं।)
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