Friday, March 29, 2024

उत्तर प्रदेश में लगातार तीसरी बार एस्मा, यूपी शिक्षक संघ ने किया विरोध

26 मई किसान आंदोलन के छः माह पूरे होने के मौके पर पूरे देश में ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों की ओर से काला दिवस मनाए जाने के एक दिन पहले ही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने पूरे प्रदेश में हड़ताल व आंदोलन पर छः महीने के लिए प्रतिबंध लगाते हुए एस्मा लगा दिया है।

उत्तर प्रदेश में कोविड-19 की दूसरी लहर से उपजे बुरे हालात और सरकार की बदइंतजामी से जनता में आक्रोश है। ऐसे में भविष्य में जनाक्रोश के जनांदोलन में बदलने की आशंका के मद्देनज़र योगी सरकार ने क़ानून का इस्तेमाल करते हुये सख्ती बरत रही है और हर उठने वाली संभावित आवाज़ का दमन करने की रणनीति के तहत कदम उठा रही है। दरअसल प्रदेश में जहाँ महामारी के दौर में अस्पतालों की दुर्दशा और दवा-इलाज, ऑक्सीजन की बेहद किल्लत से लोग मर रहे हैं, वहीं जबरिया पंचायत चुनावों की ड्यूटी से 1621 शिक्षक-कर्मचारी मौत के शिकार हुए हैं। जिससे लोगों में बहुत गुस्सा है। दूसरी ओर बिजली महकमे से लेकर स्वास्थ्य तक के निजीकरण से भी कर्मचारियों में रोष व्याप्त है। जबकि दिल्ली से सटे यूपी के गाजीपुर बॉर्डर पर पिछले छः माह से किसान आंदोलन ने योगी सरकार की नाक में पहले से ही दम कर रखा है।

ऐसे में शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग तथा बिजली विभाग में संभावित हड़ताल से भयभीत योगी सरकार ने प्रदेश में दमनकारी अत्यावश्यक सेवाओं के अनुरक्षण, 1996 की धारा 3 की उपधारा (1) के द्वारा दी गई शक्ति का प्रयोग करते हुए प्रदेश में पुनः एस्मा लागू कर दिया है। योगी सरकार के इस कर्मचारी-मज़दूर विरोधी फरमान को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की भी मंजूरी मिल गई है।

आवश्यक सेवा अधिनियम (असेंशियल सर्विसेस मेंटेनेन्स एक्ट) के तहत अगले छह महीने तक प्रदेश में हड़ताल पर पाबंदी बरकरार रहेगी। अब कोई भी सरकारी कर्मी, प्राधिकरण कर्मी या फिर निगम कर्मी छह महीने तक हड़ताल नहीं कर सकेगा। सरकार ने स्वास्थ्य तथा ऊर्जा विभाग में संभावित हड़ताल को देखते हुए यह कदम उठाया है।

योगी सरकार ने कोरोना के बहाने लगातार तीसरी बार एस्मा लगाया है। एक साल पहले 21 मई को जारी अधिसूचना द्वारा राज्य सरकार के समस्त लोक सेवा, समस्त सरकारी विभागों, निगमों, प्राधिकरण में हड़ताल पर 6 माह की रोक लगा दी गई थी। उसके बाद पिछले साल 26 नवंबर को किसान आंदोलन व कर्मचारियों की हड़ताल के ठीक एक दिन पहले योगी सरकार ने एस्मा क़ानून को अगले छः महीने के लिये बढ़ाते हुए हड़ताल करने पर रोक का फरमान जारी किया था। और अब एस्मा की दूसरी छः महीने की मियाद खत्म होते ही अगले छः माह के लिये लगातार तीसरी बार लागू कर दिया है। इस प्रकार एस्मा क़ानून के जरिये 6 महीने की विशेष स्थिति को उत्तर प्रदेश में परोक्ष रूप से स्थायी बना दिया गया है।

शिक्षकों के हक़ व आवाज़ को दबाने का हथियार एस्मा

उत्तर प्रदेश शिक्षक महासंघ ने लगातार तीसरी बार (18 माह) के लिये सरकार द्वारा प्रदेश में एस्मा लगाने का विरोध किया है। यूटा प्रदेश अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह राठौर ने कहा है कि योगी सरकार एस्मा कानून का दुरुपयोग कर रही है। महामारी के चलते पिछले दो वर्ष से शिक्षक व कर्मचारी अपने हक की आवाज़ बुलंद नहीं कह पा रहे हैं। शिक्षक व कर्मचारी सरकार की दमनात्मक नीतियों से भारी आहत व आक्रोशित हैं।

संगठनों को बिना विश्वास में लिए महंगाई भत्ता फ्रीज किए जाने, कार्मिकों को जान बूझकर चुनाव ड्यूटी में लगा कर कोरोना संक्रमण की आग में झोंकने जैसे गंभीर मुद्दों पर शिक्षकों में भारी गुस्सा है। 

गौरतलब है कि यूपी शिक्षक संघ लॉकडाउन खुलने के इंतज़ार में था। यूटा की प्रदेश संयुक्त कार्यसमिति ने वर्चुअल बैठक कर कोरोना संक्रमण से ग्रसित मृत 1700 शिक्षकों के आश्रितों को एक-एक करोड़ की अनुग्रह राशि दिलवाने एवं उनको न्याय दिलवाने के लिए सड़क पर आंदोलन का निर्णय भी लिया था।

सरकार शिक्षकों के हक़ की आवाज़ को दबाने के यंत्र के रूप में एस्मा कानून का दुरुपयोग कर रही है, यूटा सरकार के इस निर्णय से नाराज़ है। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह राठौर का कहना है कि वे शीघ्र ही संगठन के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर योजना तैयार करेंगे। यदि दिवंगत शिक्षकों के आश्रितों को न्याय दिलाने की लड़ाई को सरकार एस्मा कानून का उल्लंघन मानेगी तो वे जेल भी जाने को तैयार हैं, अनाथ हुए बच्चों और सैकड़ों बेसहारा वृद्ध माता-पिताओं को जीविका की सुरक्षा प्रदान करवाकर रहेंगे।

गौरतलब है कि कोरोना महामारी एवं उ. प्र. पंचायत चुनाव में शहीद 1621 शिक्षक, शिक्षामित्र, अनुदेशक व कर्मचारियों के परिवार को एक करोड़ रुपये मुआवज़ा, पारिवारिक पेंशन व नौकरी देने की मांग की है।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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