नई दिल्ली। भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हैनी बाबू के घर पर रेड पड़ने के एक दिन बाद उनकी पत्नी डॉ. जेनी रोवेना ने कहा है कि बगैर किसी दहशत में आए वो कानूनी लड़ाई लड़ेंगी।
आप को बता दें कि हैनी बाबू को एनआईए ने नक्सल विरोधी गतिविधियों को प्रचारित प्रसारित करने और एलगार परिषद केस में सह षड्यंत्रकारी होने के आरोप में गिरफ्तार किया है।
अब तक मामले में गिरफ्तार किए गए 12 लोगों में बाबू आखिरी शख्स हैं। इसके पहले पुलिस एक्टिविस्ट सुधा भारद्वाज, क्रांतिकारी कवि वरवर राव, वर्नन गोंजालविस, प्रोफेसर आनंद तेलतुंबडे, गौतम नवलखा जैसे बुद्धिजीवियों और एक्टिविस्टों को गिरफ्तार कर चुकी है।

न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस कालेज में प्रोफेसर रोवेना ने कहा कि “सरकार दूसरों को यह संदेश दे रही है कि अगर आप बाबू की तरह बोलेंगे तो आपको भी उसी तरह का नतीजा भुगतना पड़ेगा। यहां तक कि हम लेफ्ट से भी नहीं जुड़े हैं लेकिन हमें माओवादी की तरह पेश किया जा रहा है। वो इस तरह से बात कर रहे हैं जैसे हमको उनके बारे में कोई जानकारी नहीं है। यह डरने का समय नहीं है। यह प्रतिरोध करने का समय है।”
2018 के बाद यह दूसरी बार है जब उनके घर पर रेड पड़ी है। उन्होंने आगे कहा कि “डिफेंस कमेटी (प्रोफेसर साईबाबा की रिहाई के लिए बनी कमेटी) कैश रशीद को एनआईए ने जब्त कर लिया। एनआईए अपने साथ हार्ड ड्राइव लेती गयी बगैर उसका हैश वैल्यू बताए। इसलिए वह क्या कहेंगे इसके बारे में हम कुछ नहीं जानते। मैं उनसे कहती रह गयी कि आप डिवाइसेज को नहीं ले जा सकते लेकिन वे किसी भी तरीके से ले गए।”
हैश वैल्यू एक अंकगणितीय मूल्य होता है जो डेटा को पहचानने का काम करता है। यह किसी डिजिटल डिवाइस में इलेक्ट्रानिक सील का काम करता है। कोर्ट में इसका इस्तेमाल इस बात को साबित करने के लिए किया जाता है कि उससे छेड़छाड़ नहीं की गयी है।
असहमति का गला घोंट देने की सरकार की गलत मंशा पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह की दंडात्मक कार्रवाई वो कैसे एक ऐसे शख्स के खिलाफ कर सकते हैं जो विश्वविद्यालय के बाहर विरोध-प्रदर्शन तक करने के लिए नहीं निकला है। वो हैनी बाबू को कैसे माओवादी करार दे सकते हैं जबकि उसने हमेशा से ही संवैधानिक मूल्यों का पालन किया है? बाबू क्यों ऐसा कोई दस्तावेज एक कंप्यूटर में रखेगा जो उसको संदेह के दायरे में लाने का काम करेगा और फिर उसके जरिये पुलिस के आने का इंतजार करेगा।

उन्होंने आगे कहा कि बाबू ऐसे दस्तावेजों के साथ क्यों बैठेगा जो उसको फंसा सकते हों। आपको बता दें कि उनका नाम गिरफ्तार एक्टिविस्ट रोना विल्सन के हार्ड डिस्क में मौजूद एक कथित पत्र में पाया गया था। पुलिस का दावा है कि पत्र में एक नक्सल प्लाट का जिक्र किया गया है जिसमें नरेंद्र मोदी की हत्या और फिर उनकी सरकार को उखाड़ फेंकने की बात शामिल है।
बाबू जेल मे बंद जीएन साईबाबा की रिहाई के लिए बनी डिफेंस कमेटी के सदस्य हैं। अभी जबकि देश में कोविड-19 की महामारी का खतरा जेल में बंद कैदियों तक के ऊपर मंडरा रहा है भारत सरकार दंगों में कथित भागीदारी के लिए छात्रों और बुद्धिजीवियों को गिरफ्तार कर रही है। जिसका सिविल सोसाइटी के स्तर पर बड़ी आलोचना हुई है।
उन्होंने कहा कि “छात्र बोल नहीं सकते, शिक्षक बोल नहीं सकते, यही फासीवाद है। अगर महामारी नहीं होती तो कल्पना कीजिए उस विरोध प्रदर्शन का जो डीयू में होता। पिछली बार ढेर सारे लोग थे जिन्होंने केवल उनके उठाए जाने की आशंका पर अपनी आवाज बुलंद की थी। इस बार तो भीषण होता।”
उन्होंने कहा कि “मेरे कालेज के दोस्तों के साथ ही बाबू के मित्रों में हर एक ने अपना समर्थन जाहिर किया है और यही हमारी ताकत है। मेरा विभाग भी बेहद सहयोगी है।”
मेरा परिवार तैयार है। बाबू उनका सामना करने के लिए तैयार हैं।