Saturday, April 20, 2024

पुलिस प्रताड़ना से तंग परिवार ने की सामूहिक खुदकुशी

“मैंने कुछ गलत नहीं किया है। मेरा चोरी से कोई लेना-देना नहीं है। मैं अब इस प्रताड़ना को और नहीं सह सकता। हमारी कोई मदद नहीं करेगा इसलिए मौत से हमें शांति मिलेगी।” ये आखिर शब्द हैं एक तानाशाही पुलिस व्यवस्था में एक निरीह नागरिक के, जिसे इस देश में दीमक, घुसपैठिया, आतंकवादी, पाकिस्तानी, जेहादी और चोर कहकर प्रताड़ित किया जाता है। ये आखिरी शब्द हैं 45 वर्षीय ऑटो ड्राईवर अब्दुल सलाम के जिन्होंने पुलिसिया दमन, झूठे आरोप और अपमान से आजिज आकर बीबी नूरजहां (38), बेटी सलमा (14) और बेटे काजलंदर (10) समेत आंध्र प्रदेश के कर्नूल में चलती ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली। घटना कुरनूल जिले की नंदयाल थाना क्षेत्र की है।

3 नवबंर को आत्महत्या से पहले अब्दुल सलाम ने अपने मोबाईल में अपनी पीड़ा वीडियो के रूप में रिकॉर्ड करके दुनिया के लिए छोड़ दिया। इस वीडियो में अब्दुल सलाम ने नंदयाल के पुलिस इंस्पेक्टर सोमशेखर रेड्डी और कांस्टेबल गंगाधर पर शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया हैं। इस घटना के बाद इस परिवार का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद मीडिया और तमाम राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है।

सरकार और प्रशासन क्षतिपूर्ति के तौर पर पीड़ित परिवार को 25 लाख की आर्थिक सहायता घोषित करके अब सहायता लेने वाले को ढूंढ रहे हैं। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक ऑटो चलाने से पहले अब्दुल सलाम नंदयाल के रोजाकुंता इलाके के एक ज्वेलरी स्टोर में काम करते थे। अब्दुल सलाम पर दुकान के मालिक ने तीन किलो सोना चुराने का आरोप लगाकार पुलिस के हवाले कर दिया था। पुलिस ने अब्दुल को गिरफ्तार किया था, लेकिन बाद में वह जमानत पर बाहर आ गए थे और ऑटो चलाकर गुजारा करने लगे थे।

आत्महत्या के करीब एक सप्ताह पहले अब्दुल सलाम के ऑटो में सवारी करने वाले एक यात्री ने अब्दुल पर 70,000 रुपये चुराने का आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद पुलिस ने ऑटो चालक अब्दुल सलाम के खिलाफ मामला दर्ज करते हुए उन्हें बहुत प्रताड़ित किया था। अब्दुल को कथित तौर पर इन दोनों मामलों में पुलिसकर्मियों द्वारा पीटा गया और अपमानित किया गया। पुलिस की इस बर्बर कार्रवाई और कहीं न्याय न मिलने से हताश अब्दुल सलाम ने परिवार समेत आत्महत्या कर ली।

इंडिया टुडे के मुताबिक आत्महत्या से पहले अब्दुल सलाम द्वारा वीडियो में आरोपित किए गए इंस्पेक्टर सोमशेखर रेड्डी और हेड कांस्टेबल गंगाधर को सस्पेंड करके गिरफ्तार कर लिया गया है। आरोपियों के खिलाफ गैरजमानती धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने) के मामले में केस दर्ज किया गया है। हालांकि सोमवार 9 नवंबर को दोनों को जमानत भी दे दी गई। राज्य सरकार ने कोर्ट में आरोपी पुलिसकर्मियों की जमानत रद्द करने की याचिका दायर करते हुए आशंका जताई थी कि आरोपी पुलिसकर्मियों के जेल से बाहर आने के बाद गवाह अपना बयान पलट सकते हैं और स्वेच्छा से गवाही देने वाले नए गवाहों को डराया जा सकता है।

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक राज्य पुलिस ने आरोपियों की जमानत को कैंसिल करने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की है, जबकि मामले की जांच के लिए आईजीपी सांचा ब्राता बाग्ची और वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी आरिफ हफीज को विशेष अधिकारियों के तौर पर नियुक्त किया गया है। पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए डीजीपी गौतम सवांग ने मीडिया से कहा है, “अगर कोई भी दोषी पाया जाएगा फिर चाहे वह कोई भी हो, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।”

जनाक्रोश के साथ ही राजनीतिक रंग ले रहा है मुद्दा
पुलिस यातना से तंग आखर अब्दुल सलाम का सपिरवार आत्महत्या कर लेने के बाद उनकी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है। सोशल मीडिया पर #JusticeForAbdulSalam ट्रेंड कर रहा है। तेलगू देशम पार्टी के चीफ चंद्र बाबू नायडू द्वारा ट्विटर पर वीडियो को शेयर करते हुए आंध्र प्रदेश सरकार और आंध प्रदेश की पुलिस व्यवस्था पर तीखे सवाल किए गए हैं। उन्होंने मृतक परिवार के लिए न्याय की मांग करते हुए “चलो नंदयाल” का आह्वान किया है।

उन्होंने कहा है, “सरकार वित्तीय सहायता देकर दोषियों को कटघरे में लाने की अपनी जवाबदेही से बचने की कोशिश कर रही है। इसका कोई लाभ नहीं है, क्योंकि पूरे परिवार ने आत्महत्या कर ली है क्योंकि उन्हें प्रताड़ित किया गया।” वहीं टीडीपी नेता मोहम्मद फारुक ने सीबीआई जांच की मांग की है। मामले में खुद को घिरते देख मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी सरकार ने पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। खुद मुख्यमंत्री ने निजी तौर पर डीजीपी को 24 घटे में कार्रवाई करके रिपोर्ट देने को कहा है। गृहमंत्री मेकाथोती सुचरिता ( Mekathoti Sucharitha) ने कहा है कि आरोपियों को नहीं बख्शा जाएगा।

(जनचौक के विशेष संवादाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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