बड़ौदा/अहमदाबाद। बीजेपी ने गुजरात और देश को वह मॉडल दिया है, जिसमें सत्ता और गरीब के बीच इतना फ़ासला है कि कोई गरीब न्याय के बारे में सोच ही नहीं पा रहा है। भाजपाई मॉडल में यदि कोई गरीब व्यक्ति न्याय के लिए प्रशासन के पास जाता है तो गरीब को ही दंडित किया जाता है। इसे अहमदाबाद-बड़ौदा एक्स्प्रेस वे पर हुई एक घटना से समझा जा सकता है। राजकुमार यादव ट्रक चालक हैं। वह अहमदाबाद के एक ट्रक मालिक के यहां नौकरी करते हैं। 7 अक्तूबर को सुबह लगभग छह बजे बड़ौदा एक्सप्रेस वे पर राजकुमार टोल पास कर रहे थे। टोल कर्मचारी ने उनसे 200 रुपये मांगे, क्योंकि टोल कर्मचारी के अनुसार उनका ट्रक ओवरलोड था। 200 रुपये न दिए जाने पर चालक राजकुमार यादव की 3-4 सुरक्षा गार्डों ने मिलकर पिटाई कर दी।
राजकुमार ने जनचौक संवाददाता को बताया, “मेरी गाड़ी में फ़ास्टैग लगा हुआ है। मुझे कैश पैसे देने की आवश्यकता ही नहीं है। जो भी टोलचार्ज होता है वह फास्टैग वैलेट से कट जाता है। मेरी गाड़ी अंडरलोड थी, इसलिए मैंने तुरंत कांटा करने को कहा, लेकिन वह लोग कैश 200/- रु. मांगने लगे। मैंने कहा कि मेरे पास रोकड़ नहीं हैं। पैसे न देने पर टोल सुरक्षाकर्मियों ने मेरी पिटाई कर दी। मैंने तुरंत अपने सेठ (गाड़ी मालिक) को फोन किया। तो मेरे सेठ ने 100 नंबर पर फोन कर पुलिस सहायता लेने को कहा। उसके बाद मैंने 100 नंबर पर फोन किया। फोन के बाद पुलिस आई और टोल सुरक्षाकर्मी और मुझे बड़ौदा के तालुका पुलिस स्टेशन ले आए।
पुलिस ने सिफारिश पर टोल का पक्ष लिया
घटना के बाद ट्रक मालिक के साथ जनचौक संवाददाता भी तालुका पुलिस स्टेशन पहुंचे। वहां गुजरात मॉडल देखने को मिला। आरोप है कि सुबह लगभग 10 बजे ASI दिव्या ने पीएसओ ऑफिस में टोल कर्मचारियों को बुलाया और बोलीं, “आप लोग ऐसा क्यों करते हो? तुम लोग गाड़ी चालकों को मारते हो फिर पांडेय जी का फोन मुझे आता है। देख लेना… आगे ध्यान रखना।” दिव्या पुलिसिया बेइमानी के शब्द ऐसे खुलकर बोल रही थीं, जैसे कोई सुन ही न रहा हो।
ASI दिव्या ने ट्रक चालक और मालिक को आगे बुलाया और उनकी फरियाद सुनी। फरियाद सुनने के बाद पूछा कि क्या करना है? उत्तर में ट्रक मालिक ने कहा कि इस प्रकार की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं। गाड़ी चालकों को मारा जाता है। फास्टैग है फिर भी ओवरलोड के नाम पर जबरन वसूली की जाती है। हम तो चालक पिटाई करने वाले के खिलाफ FIR चाहते हैं। FIR सुनते ही दिव्या बोलीं कि तुम्हारे ड्राइवर को भी लॉकअप होगी। FIR दोनों के खिलाफ होगी। इस पर मालिक ने कहा, “मेरा ड्राइवर पीड़ित है। इसने ही 100 नंबर पर फोन कर पुलिस को बुलाया। फरियादी को आरोपी बनाया जाएगा तो पुलिस के पास कौन आएगा।”
पत्रकार ने ASI को उनके शब्दों को याद दिलाते हुए कहा, “मैडम आपको टोल वालों का पक्ष लेने को पांडेय जी ने कहा है, इसलिए आप एक तरफ का पक्ष ले रही हैं। ये ड्राइवर गरीब है तो इसे समाधान करना ही पड़ेगा। इस पर ASI बिलबिला गईं। उन्होंने कहा कि मैं किसी का पक्ष नहीं ले रही हूं। आपको ऐसा लगत है तो अभी पीएसआई साहब आएंगे। उनसे मिल लेना।
दोपहर लगभग तीन बजे पीएसआई सर्वेय्या ने पहले एक्स्प्रेस टोल की टीम को अपने चेंबर में बुलाया। उसके बाद पांच मिनट ड्राइवर और मालिक को सुनने के बाद कहाकि फरियाद हो जाएगी, बाहर बैठो। बाहर आने के बाद कई बार टोल के वकील ने समाधान करने के लिए संपर्क किया। पुलिस जानबूझ कर फरियाद में देरी कर रही थी ताकि ट्रक मालिक और चालक समाधान को तैयार हो जाएं।
गाड़ी मालिक और ड्राइवर पर दबाव काम न आया तो शाम को सात बजे पुलिस ने टोल सुरक्षा गार्ड और ट्रक चालक पर 151 की धारा लगा कर लॉकअप में बंद कर दिया। पीएसओ की अनुमति से जब जनचौक संवादाता लॉकअप के पास ड्राइवर से मिलने गए, तो देखा एक ही लॉकअप में आठ लोग थे। कोरोना के समय में 8-8 लोगों को एक ही लॉकअप में रखा गया था। हमें देख अन्य मुजरिम पानी मांगने लगे। बोले ये लोग पानी भी नहीं देते। आप पानी भेजवा दो मेहरबानी होगी।
जब इस बारे में पीएसओ से पूछा गया कि लॉकअप में पानी क्यों नहीं दिया जाता है, तो उनका जवाब था कि पानी पीते हैं तो फिर पेशाब के लिए बार-बार बोलते हैं। इसलिए कम पानी देते हैं।
अगले दिन दोनों लोगों को पुलिस ने एग्जिक्यूटिव मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया। वहां 10000 रुपये के मुचलके पर उन्हें छोड़ दिया गया। ट्रक मालिक ने संपूर्ण घटना की लिखित जानकारी मजिस्ट्रेट को दी है, जिसका संज्ञान मजिस्ट्रेट ने लिया है। ट्रक मालिक की तरफ से बड़ौदा ग्रामीण एसपी को भी लिखित जानकारी दी गई है।
चालक राजकुमार ने बताया, रात को टोल सुरक्षा गार्ड को पुलिस ने बाहर निकाल कर उसके सोने की व्यवस्था की थी, जबकि मुझे लॉकअप में ही रखा था। मच्छर इतने थे कि सो नहीं पाया।”
फास्टैग वैलेट से टोल से गाड़ी पास होने पर टैक्स के पैसे निकल जाते हैं। गाड़ी ओवर लोड होने पर पेनाल्टी और टैक्स दोनों वैलेट से कटते हैं, परंतु टोल नाके पर टोल कर्मचारी ओवरलोड होने पर कैश में 200/- रु. जमा करते हैं फिर वे ब्रिज पर वज़न करते है। ओवरलोड हुई तो कर्मचारी फास्टैग के बजाए 200 रुपये छोड़कर जाने को कहता है। गाड़ी चालक भी 200 छोड़ कर चले जाते हैं, क्योंकि फास्टैग में 10 गुना तक पेनाल्टी लगती है। यदि गाड़ी अंडर लोड हुई तो 200 रुपये वापस दे दिए जाते हैं।
अहमदाबाद-बड़ौदा हाईवे को बनाने में 475 करोड़ रुपये की लागत आई थी। इस हाईवे का उद्घाटन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपाई ने किया था। 2011 में इस हाईवे को अपग्रेड करने का ठेका IRB को दिया गया था। टोल टैक्स वसूलने का ज़िम्मा NHAI और IRB का है।
ट्रक मालिक मोहमद फहीम बताते हैं कि एक्स्प्रेस वे पर तो सुरक्षाकर्मी के नाम पर लोकल गुंडे रखे हैं। भरुच हाईवे टोल पर तो ओवर लोड गाड़ियां पकड़ने के लिए दलाल रखे हुए हैं। ओवर लोड गाड़ी पकड़ने पर प्रति गाड़ी 50 रुपये की दलाली दी जाती है। दर्जनों दलाल 50 रुपये के चक्कर में चलती गाड़ी में चढ़ जाते हैं। ड्राइवर से गाली गलौच करते हैं। हाईवे पर ड्राइवर की सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा कोई इंतजाम नहीं है। ड्राइवर के साथ लूट और चोरी की घटना आम है। पुलिस उल्टा ड्राइवर को ही दबाती है। फरियाद भी नहीं सुनती है।
ट्रांसपोर्ट के कारोबार से जुड़े अल्केश मेहरा बताते हैं कि विशेष कर गुजरात के हाईवे पर ड्राइवर की सुरक्षा की बात को तो छोड़िए इनका कोई आत्म सम्मान भी नहीं है। हाईवे पर गाड़ी चालकों के आत्मसम्मान को चोट पहुंचाई जाती है। अपमान के कारण सिख समुदाय के लोग इस पेशे से निकल रहे हैं। हरियाणा, पंजाब और दिल्ली से सिख समुदाय के ड्राइवरों ने गुजरात आना कम कर दिया है। यह राज्य के लिए सोचने का विषय है।
(अहमदाबाद से जनचौक संवाददाता कलीम सिद्दीकी की रिपोर्ट।)