Thursday, April 18, 2024

वैशाखी और खालसा पंथ की स्थापना के मौके पर दिल्ली की सीमाओं पर होंगे तरह-तरह के कार्यक्रम

नई दिल्ली। सयुंक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर देशभर के किसानों के धरनास्थलों पर 14 अप्रैल को अम्बेडकर जयंती के अवसर पर संविधान बचाओ दिवस और किसान बहुजन एकता दिवस मनाया जाएगा। इस दिन देशभर के दलितों आदिवासियों व बहुजनों को दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के धरनों में शामिल होने का भी आह्वान किया गया है। बहुजन समाज के अनेक नुमाइंदे 14 अप्रैल को सिंघु, टिकरी, गाज़ीपुर व अन्य बोर्डर्स पर पहुंचकर किसानों को समर्थन देंगे।

किसान मोर्चे ने कहा कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर देश के शोषित, उत्पीड़ित लोगों की आजादी के सपनों के नायक थे। हम उन्हें संविधान निर्माता के रूप में जानते हैं, जिस संविधान में आजादी के दिये गये कई मौलिक अधिकारों पर आज आरएसएस-भाजपा की मोदी सरकार तीखे व क्रूर हमले कर रही है। आज, जब बेरोजगारी बेइंतहा तेजी से बढ़ रही है और खेती में घाटा व कर्जदारी बढ़ रही है, तब इसके चलते खेती से जुड़े लोगों पर सकंट बढ़ता जा रहा है।

खेती के लिए बनाए गये ये तीन कानून और बिजली बिल 2020 भी मोदी सरकार के गरीब विरोधी नीतियों में अगला कदम है। आज ये कानून दोनों जमीन वाले व बिना जमीन वाले किसानों के लिए खतरा बन गए हैं। खेती का यह नया प्रारूप बटाईदार किसानों के लिए और भी घातक है क्योंकि खेती को लाभकारी बनाने के लिए कम्पनियां बड़े पैमाने पर इसमें मशीनों का प्रयोग कराएंगी और बटाईदारों का काम पूरा छिन जाएगा। बटाईदारों की बड़ी संख्या बहुजन समाज से आती है। देश के मेहतनकशों के लिए एक उत्साह की बात है कि जमीन वाले किसान और इनके संगठन, इन कानूनों को रद्द कराने के लिए लड़ रहे हैं।

इससे पहले कल खालसा पंथ के स्थापना दिवस के अवसर पर दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसान इस कार्यक्रम को पूरे पारंपरिक ढंग से मनाएंगे। किसानों मजदूरों व सामाजिक न्याय के लिए लंबे समय से संघर्षशील खालसा पंथ पर सिंघु बॉर्डर पर भी कार्यक्रम होंगे। टिकरी बॉर्डर पर भी “कैलिफोर्निया पिंड” में वैशाखी के सांस्कृतिक, खेल व अन्य पारंपरिक कार्यक्रम होंगे।

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles