Friday, March 29, 2024

तूल पकड़ता जा रहा है टीआरएस विधायकों की खरीद-फरोख्त का मामला

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की विशेष अदालत के न्यायाधीश ने रविवार को विधायक खरीद-फरोख्त मामले के तीनों आरोपियों को चंचलगुड़ा जेल में 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। साइबराबाद पुलिस ने तेलंगाना हाईकोर्ट के आदेश के बाद टीआरएस विधायकों की खरीद फरोख्त मामले के तीनों आरोपियों को एसीबी कोर्ट के जज के सामने पेश किया। इससे पहले हाईकोर्ट ने कथित तौर पर भाजपा से जुड़े आरोपी की रिमांड खारिज करने के एसीबी कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट ने निचली अदालत को निर्देश दिया कि अगर पुलिस दोबारा पेश करती है तो आरोपी को रिमांड पर भेज दें। तेलंगाना हाईकोर्ट ने विधायक खरीद-फरोख्त मामले के आरोपियों को 24 घंटे के भीतर पुलिस के सामने पेश होने का आदेश दिया था।

टीआरएस के चार विधायकों के खरीद-फरोख्त के मामले में तेलंगाना हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए भाजपा से जुड़े 3 आरोपियों, रामचंद्र भारती, नंदा कुमार और सिम्हायाजी स्वामी को 24 घंटे के भीतर पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने को कहा है। उच्च न्यायालय की अलग-अलग पीठों ने सीआरपीसी की धारा 41 के तहत आरोपियों को नोटिस देने के मुद्दे पर दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं और पुलिस को 4 नवंबर तक मामले की जांच रोकने का भी निर्देश दिया है।

साइबराबाद पुलिस के अनुसार विधायक रेड्डी ने एक शिकायत दर्ज कराई थी कि भाजपा से जुड़े तीन लोगों ने 26 सितंबर को उनसे संपर्क किया था। ये आरोपी चाहते थे कि उनके अलावा विधायक बी हर्षवर्धन रेड्डी, जी. बलराजू और रेगा कांथा राव टीआरएस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो जाएं। रेड्डी के मुताबिक आरोपियों ने यह भी धमकी दी कि अगर उन्होंने उनकी पेशकश पर ध्यान नहीं दिया तो विधायक के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) में मामले दर्ज कराए जाएंगे। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि राज्य में टीआरएस सरकार गिरा दी जाएगी।

एफआईआर के अनुसार, रोहित रेड्डी ने आरोप लगाया कि आरोपियों ने उन्हें 100 करोड़ रुपये के प्रस्ताव के साथ उच्च पदों और आर्थिक लाभों के अलावा केंद्र सरकार के नागरिक कार्यों के अनुबंध दिलाने की भी पेशकश की थी बाद में साइबराबाद पुलिस ने एसीबी द्वारा आरोपियों को राहत दिए जाने के फैसले को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था।

हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया है। जहां इस मामले से दूरी बनाते हुए भाजपा ने मांग की है कि पिछले तीन दिनों में सीएम के आधिकारिक आवास पर होने वाली गतिविधियों की सीसीटीवी फुटेज जारी किया जाए वहीं टीआरएस ने भाजपा पर सरकार को अस्थिर करने की साजिश का आरोप लगाया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने इसे राजनीतिक ड्रामा बताया और कहा कि इस मामले में संतों और पुजारियों को शामिल करना हिंदू धर्म को कलंकित करने का प्रयास है।

इस बीच तेलंगाना सरकार ने उच्च न्यायालय से कहा है कि उसने राज्य में मामलों की जाँच के लिए सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति वापस ले ली है। यह मामला तब सामने आया है जब कुछ दिन पहले ही बीजेपी ने उस मामले में सीबीआई जाँच की मांग की है जिसमें टीआरएस ने बीजेपी पर विधायकों की ख़रीद-फरोख्त करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है।

बीजेपी के राज्य महासचिव गुज्जुला प्रेमेंद्र रेड्डी ने इन आरोपों की सीबीआई जांच की माँग करते हुए तेलंगाना उच्च न्यायालय का रुख किया था कि उनकी पार्टी से जुड़े कुछ लोगों ने मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की टीआरएस के विधायकों को खरीदने की कोशिश की। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने अदालत के समक्ष दलील दी कि यह केसीआर की पार्टी द्वारा बीजेपी को बदनाम करने की साज़िश थी। बीजेपी नेताओं ने टीआरएस पर विधायकों की कथित खरीद-फरोख्त का नाटक करने का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग से भी संपर्क किया।

गुज्जुला प्रेमेंद्र रेड्डी की याचिका की सुनवाई के दौरान शनिवार को अतिरिक्त महाधिवक्ता ने उच्च न्यायालय को बताया कि राज्य सरकार ने अगस्त में ही केंद्रीय जाँच एजेंसी को दी गई सभी पिछली सामान्य सहमति वापस ले ली थी।

केंद्र सरकार पर एजेंसी के दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए कई राज्य सरकारों ने ऐसी आम सहमति को वापस ले ली है। ऐसा करने वाले राज्यों में आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, छत्तीसगढ़, केरल जैसे राज्य शामिल हैं। पहले महाराष्ट्र की पूर्ववर्ती उद्धव सरकार ने सीबीआई को दी गई आम सहमति वापस ले ली थी, लेकिन एकनाथ शिंदे सरकार ने उस फ़ैसले को पलटते हुए केंद्रीय जाँच एजेंसी को दी गई सामान्य सहमति को बहाल कर दिया है।

दरअसल, सीबीआई दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम द्वारा गठित एजेंसी है। सीबीआई और राज्यों के बीच सामान्य सहमति होती है, जिसके तहत सीबीआई अपना काम विभिन्न राज्यों में करती है, लेकिन अगर राज्य सरकार सामान्य सहमति को रद्द कर दे तो सीबीआई को उस राज्य में जांच या छापेमारी करने से पहले राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी।चूँकि सीबीआई के पास केवल केंद्र सरकार के विभागों और कर्मचारियों पर अधिकार क्षेत्र है, यह राज्य सरकार के कर्मचारियों या किसी राज्य में हिंसक अपराध से संबंधित मामले की जांच तभी कर सकती है जब संबंधित सरकार इसकी सहमति देती है।

इसके पहले साइबराबाद पुलिस ने तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के चार विधायकों को दल बदलने के लिए मनाने की कथित तौर पर कोशिश करने वाले तीन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।

साइबराबाद पुलिस ने बुधवार शाम को गुप्त सूचना के आधार पर अजीज नगर के एक फार्म हाउस पर छापा मारकर तीन लोगों को गिरफ्तार किया था। आरोप है कि तीनों युवक मुनूगोडे उपचुनाव के मद्देनजर नकदी, चेक और कॉन्ट्रैक्ट्स के जरिए तेलंगाना राष्ट्र समिति के विधायकों की खरीद-फरोख्त कर रहे थे। जानकारी के आधार पर पुलिस ने एक होटल व्यवसायी और दिल्ली के दो अन्य लोगों को रंगे हाथ पकड़ा है, जो कथित तौर पर टीआरएस विधायकों को खरीदने आए थे। आरोप है कि दिल्ली के रामचंद्र भारती, डेक्कन प्राइड होटल के मालिक नंदू (अंबरपेट के रहने वाले), सोमयाजुलु स्वामी और दो अन्य लोगों ने कथित तौर पर टीआरएस के विधायकों को रिश्वत देने की कोशिश की है।

तेलंगाना पुलिस द्वारा तीन लोगों को हिरासत में लिए जाने के एक दिन बाद मुख्य आरोपी रामचंद्र भारती उर्फ सतीश शर्मा उर्फ स्वामी जी और एक टीआरएस विधायक पी. रोहित रेड्डी के बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत का एक कथित ऑडियो क्लिप 28 अक्टूबर को सामने आया था। इसमें मुख्य आरोपी को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि एक बार रेड्डी पर्याप्त संख्या में टीआरएस विधायकों को शामिल कर लेते हैं, तो संतोष (कथित तौर पर बीएल संतोष, जो भाजपा के राष्ट्रीय सचिव हैं) ‘सौदे’ को अंतिम रूप देने के लिए हैदराबाद आएंगे।

बातचीत के दौरान बार-बार संतोष का नाम सुनाई देता है। भारती को यह कहते हुए भी सुना जा सकता है कि इस कदम को ‘नंबर एक’ और ‘नंबर दो’ सहित ‘ऊपर वाले’ लोगों ने मंजूरी दे दी है। टीआरएस के अनुसार, ‘नंबर एक’ और ‘दो’ का आशय क्रमशः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से है। करीब 14 मिनट के इस ऑडियो क्लिप को टीआरएस ने शुक्रवार को लीक किया है।

पिछले 5 साल में कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में विधायकों के पार्टी छोड़ने और दूसरी पार्टी जॉइन करने के चलते कई सरकारें टूटीं और नई बनीं हैं। जिन पार्टियों से विधायक गए उन्होंने सामने वाली पार्टियों पर विधायकों को खरीदने का आरोप लगाया। राजनीति में नेताओं की इस खरीद-फरोख्त को हॉर्स-ट्रेडिंग कहा जाता है।

मई 2018 में कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के नतीजे आए। भाजपा ने 104 सीटें जीतीं। वहीं कांग्रेस ने 80 और जेडीएस ने 37 सीटें जीती थीं। भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बनाए गए, लेकिन उन्हें दो दिन में ही फ्लोर टेस्ट कराने को कहा गया, जिसमें भाजपा बहुमत से पीछे रह गई। 6 दिन में ही युदियुरप्पा को इस्तीफा देना पड़ा।

इसके बाद कांग्रेस और जेडीएस ने एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व में गठबंधन की सरकार बनाने का प्रस्ताव दिया। 23 मई को वे मुख्यमंत्री बने। लेकिन एक साल होते दो महीने बाद कांग्रेस और जेडीएस के 17 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया। 23 जुलाई 2019 को कुमारस्वामी की सरकार फ्लोर टेस्ट में फेल हो गई। 26 जुलाई को बीएस येदियुरप्पा चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने।

इसी तरह 2018 में मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 114 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी। कांग्रेस ने बसपा, ससपा और स्वतंत्र विधायकों को साथ लेकर सरकार बनाई। 10 मार्च 2020 को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। उनके साथ 22 कांग्रेस विधायक भी पार्टी छोड़ गए। अगले ही दिन सिंधिया ने भाजपा जॉइन कर ली। सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को मध्यप्रदेश विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराने को कहा। कमलनाथ सरकार बहुमत पेश नहीं कर पाई और गिर गई। इसके बाद शिवराज के नेतृत्व में भाजपा ने सरकार बनाई।

महाराष्ट्र में 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा  105 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। उनकी सहयोगी पार्टी शिवसेना ने 56 सीटें जीतीं। विपक्षी खेमे में एनसीपी ने 54 और कांग्रेस ने 44 सीट जीतीं। जब सरकार बनाने की बात आई तो मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इस बात पर भाजपा और शिवसेना के बीच ठन गई। शिवसेना ने भाजपा  से समर्थन वापस ले लिया। एनसीपी , शिवसेना और कांग्रेस ने मिलकर ठाकरे के नेतृत्व में सरकार बनाने की योजना बनाई।

2019 में लंबे पॉलिटिकल ड्रामे के बाद शिवसेना के उद्धव ठाकरे महाविकास अघाड़ी सरकार में मुख्यमंत्री बने। 2019 में लंबे पॉलिटिकल ड्रामे के बाद शिवसेना के उद्धव ठाकरे महाविकास अघाड़ी सरकार में मुख्यमंत्री बने। लेकिन सभी को चौंकाते हुए 23 नवंबर को शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने भाजपा जॉइन कर ली। इसी दिन भाजपा ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजीत पवार को उप-मुख्यमंत्री बनाते हुए सरकार बनाई। लेकिन तीन ही दिन में अजीत पवार ने भाजपा छोड़कर दोबारा एनसीपी जॉइन कर ली। भाजपा -अजीत पवार की सरकार सिर्फ 80 घंटे ही चल पाई। इसके बाद शिवसेना के नेतृत्व में एनसीपी और कांग्रेस ने मिलकर महाविकास अघाड़ी की सरकार बनाई। उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने।

महाराष्ट्र सियासी ड्रामा 2022 में 20 जून को शिवसेना के एकनाथ शिंदे ने कई विधायकों के साथ पार्टी से बगावत कर दी। महा-विकास अघाड़ी की सरकार फ्लोर टेस्ट में फेल हो गई। 30 जून को भाजपा के समर्थन से उन्होंने सरकार बनाई। वे मुख्यमंत्री बने, जबकि भाजपा नेता और पूर्व महाराष्ट्र सीएम  देवेंद्र फडणवीस उप-मुख्यमंत्री बने।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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