रायपुर/लखनऊ। प्रदेश के किसानों ने आज स्वामीनाथन आयोग की अनुशंसा लागू करने की मांग को लेकर केंद्र सरकार और किसान न्याय योजना में सभी किसानों को शामिल करते हुए 10 हजार रुपये की अंतर राशि की मांग को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ पोस्टर लहराते हुए प्रदर्शन किया। किसानों का यह प्रदर्शन घर से लेकर खेत-खलिहान, पेड़ की छांव और मनरेगा कार्य स्थल तक जारी रहा। इस दौरान प्रदेश के हजारों फल-सब्जी उत्पादक किसानों ने बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि से हुए भारी नुकसान को देखते हुए उन सबको भी प्रदेश के किसान न्याय योजना में शामिल करने की मांग उठाई।
राष्ट्रीय किसान समन्वय संघर्ष समिति के देश के 200 से अधिक किसान संगठनों के लाखों किसानों ने किसानों के कर्ज मुक्ति, स्वामीनाथन आयोग की अनुशंसा को लागू करने का वायदा पूरा करके सी – 2 + 50% सूत्र से फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने सहित अन्य मांगों को लेकर आज अपने गांव, खेत खलिहान, मनरेगा कार्य स्थल आदि में जोरदार प्रदर्शन किया।

छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन के आह्वान पर प्रदेश के सैकड़ों गांवों में हजारों किसानों ने भी प्रदर्शन में भाग लिया। इस अवसर पर प्रदर्शनकारी किसानों को वीडियो के माध्यम से संबोधित करते हुए एडवोकेट राजकुमार गुप्त ने कहा कि किसान कर्ज से मुक्ति चाहते हैं लेकिन केंद्र की सरकार किसानों को कर्ज से और अधिक लादने का काम कर रही है, इस साल असामयिक अतिवृष्टि, आंधी-तूफान, ओलावृष्टि से फसलों को भारी क्षति हुई है। कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिये लागू किये गये 60 दिनों के लॉकडाउन नें किसानों की कमर तोड़ दी है। किसानों को नकद राहत राशि की जरूरत है किंतु केंद्र सरकार किसानों को नकद मदद करने के बजाय कर्ज में राशि देने की बात कह रही है।

प्रगतिशील किसान संगठन द्वारा स्वामीनाथन आयोग की अनुशंसा लागू करने की मांग केंद्र सरकार से लगातार की जा रही है। अपनी इस मांग को लेकर संगठन से जुड़े किसान समय-समय पर धरना-प्रदर्शन भी करते रहे हैं, लेकिन उनकी यह मांग पूरी नहीं हो रही है। दूसरी ओर किसानों ने प्रदेश में धान, मक्का, दलहन, तिलहन और गन्ना उत्पादक किसानों को किसान न्याय योजना का लाभ दिया जा रहा है, लेकिन फल-सब्जी उत्पादक किसान इस लाभ से दूर हैं।
जबकि प्रदेश में ऐसे किसान करीब 50 हजार हैं और ये सभी करीब एक लाख हेक्टेयर में फल, सब्जी की फसल लेते हैं। नवंबर से लेकर मार्च -अप्रैल तक हुई बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि, तूफान से इस फसल को भारी नुकसान हुआ है। किसानों को उनकी उपज का लागत निकाल पाना मुश्किल हो गया है। कई जगहों पर मांग के हिसाब से फसल की आवक ज्यादा होने से कीमत नहीं मिल पा रही है।

भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव के समय सरकार बनाने पर स्वामीनाथन आयोग की अनुशंसा को लागू करने का वायदा किया था। मोदी सरकार को 6 साल पूरे हो गये हैं लेकिन आज तक सी-2+50% फार्मूला से फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकार नें घोषित नहीं किया है जिसके कारण पिछले 6 साल में लाखों करोड़ की आर्थिक क्षति हो गई है।
छत्तीसगढ़ की सरकार नें राजीव गांधी किसान न्याय योजना लागू किया है जिसमें धान, मक्का, गन्ना, दलहन और तिलहन उत्पादक किसानों को प्रति एकड़ 10 हजार रुपये आदान राशि प्रदान की गई है। लेकिन चारा, फल, सब्जी उत्पादन सहित अन्य फसलों का उत्पादन करने वाले किसानों को योजना में शामिल नहीं किया गया है ।

इसी के साथ यूपी का मजदूर-किसाम मंच भी इस प्रदर्शन में शामिल हुआ। संगठन के अध्यक्ष एसआर दारापुरी और महासचिव बृजबिहारी ने कहा कि मोदी सरकार अब तक कि सबसे ज्यादा किसान, मजदूर विरोधी सरकार साबित हुई है। कोरोना महामारी के इस संकटकालीन समय में भी देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ किसानों और मजदूरों को अपने भीमकाय 20 लाख करोड़ के पैकेज में एक पैसा देना इस सरकार ने स्वीकार नहीं किया। उलटे कृषि के कारपोरेटाइजेशन के जरिए वित्त मंत्री ने भारतीय खेती किसानी की बर्बादी का ही रास्ता ही खोल दिया।

देश के बिजली, रक्षा, कोयला आदि सार्वजनिक उद्योगों व सम्पत्तियों को बेचने का निर्णय लिया। हद यह है कि सरकार ने इस संकट में पांच हजार रुपये हर गरीब को देने की तमाम संगठनों द्वारा उठाई जा रही न्यूनतम मांग तक को नहीं माना। मनरेगा में दिए चालीस हजार करोड़ से मौजूदा जाबकार्डधारी परिवारों को महज दो दिन ही रोजगार मिल सकता है। यही वजह है कि प्रदेश में आमतौर पर मनरेगा में कराए जा रहे काम की मजदूरी बकाया है।
उन्होंने बताया कि देशभर के दो सौ से ज्यादा किसान संगठनों की अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के 27 व 28 मई के राष्ट्रीय विरोध में आज पहले दिन मजदूर किसान मंच की सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली, मऊ, आगरा, लखनऊ इकाइयों ने लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए प्रशासनिक अधिकारियों के माध्यम से प्रधानमंत्री को मांग पत्र भेजा। कई जिलों में कल भी मांग पत्र दिया जायेगा।
(रायपुर से जनचौक संवाददाता तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट। लखनऊ से प्रेस विज्ञप्ति।)
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