Friday, April 26, 2024

उमर खालिद को हथकड़ी लगाकर पेश किए जाने पर कोर्ट ने जेल अधिकारियों से मांगी रिपोर्ट, मामले की होगी जांच

दिल्ली दंगों से जुड़े एक मामले में जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद को दिल्ली की एक अदालत में गुरुवार को हथकड़ी पहना कर लाया गया। जबकि अदालत की ओर से पुलिस को ऐसा ना करने के लिए कहा गया था। लेकिन फिर भी ऐसा हुआ और इस पर अदालत ने जेल विभाग के महानिदेशक को नोटिस जारी किया है और पूछा है कि क्या जेल प्रशासन की ओर से उमर खालिद को हथकड़ी लगाने के संबंध में कोई आदेश जारी किया गया है।

इस बारे में दिल्ली के जेल विभाग ने कहा है कि इस बात की जांच की जा रही है क्या वास्तव में उमर खालिद को हथकड़ी लगाई गई थी। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने सितंबर, 2020 में उमर खालिद को यूएपीए के तहत गिरफ़्तार कर लिया था।

दिल्ली की एक कोर्ट ने जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद को हथकड़ी लगाकर पेश किए जाने पर जेल प्रशासन को नोटिस जारी किया है। उमर खालिद पर पूर्वोतर दिल्ली के संबंध में यूएपीए के तहत केस दर्ज है। उमर खालिद को गुरुवार को हथकड़ी में दिल्ली की एक अदालत में लाया गया। जबकि कोर्ट ने पुलिस को ऐसा करने से परहेज करने के लिए कहा था। कोर्ट ने मामले में अब महानिदेशक (कारागार) को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्या जेल अधिकारियों ने उन्हें हथकड़ी लगाने के आदेश दिए थे। अतिरिक्त सत्र न्यायधीश अमिताभ रावत ने कहा कि दिल्ली पुलिस आयुक्त किसी जिम्मेदार वरिष्ठ अधिकारी के माध्यम से जांच के बाद रिपोर्ट दर्ज कर सकता है। क्या आरोपी उमर खालिद को आज हथकड़ी में लाया गया और अगर हां तो किस आधार पर, किसके आदेश पर ऐसा किया गया। कानून के अनुसार, किसी विशेष आदेश के बिना किसी आरोपी को हथकड़ी नहीं लगाई जा सकती।

दिल्ली कारागार विभाग में तैनात एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि हम जांच कर रहे हैं कि क्या वास्तव में उमर खालिद को हथकड़ी लगी थी। कारण जानने के लिए जांच कराई जाएगी। हम ये जांचने के लिए भी कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे कि क्या किसी वरिष्ठ अधिकारी ने हथकड़ी लगाने का आदेश दिया था और पिछली अदालत की शर्तों पर भी जांच होगी। उमर खालिद को गुरुवार सुबह एएसजे रावत के सामने पेश होना था। कोर्ट छुट्टी पर था, कोर्ट के रीडर ने वकील और आरोपियों की उपस्थिति पर ध्यान दिया और लिंक जज और किसी अन्य न्यायिक अधिकारी के समक्ष कोई पेश नहीं किया गया था।

अतिरिक्त सत्र न्यायधीश रावत ने शाम को जांच आदेश जारी किया जब उमर के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिदीप पेस ने उन्हें सूचित किया कि पुलिस ने इस कोर्ट से कोई आदेश नहीं होने पर भी दो कोर्ट द्वारा परित आदेश के बावजूद उन्हें हथकड़ी में पेश किया। पेस ने अदालत से कहा कि ये आरोपी के अधिकारों का उल्लंघन है और दोषी पुलिस अधिकारियों के साथ गलती खोजने के लिए जांच की जानी चाहिए। एएसजे रावत ने कहा कि इस बात को दोहराने की कोई आवश्यकता नहीं है कि एक विचाराधीन व्यक्ति पूरी कार्रवाई के दौरान कोर्ट की हिरासत में रहता है और बेड़ियों/ हथकड़ी लगाने जैसे किसी भी कदम, जो कि चरम कदम हैं, सिर्फ कोर्ट द्वारा अनुरोध या आवेदन पर अनुमति देने के बाद ही लिया जा सकता है ।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रावत ने आदेश की एक प्रति पुलिस आयुक्त को भेजने का निर्देश दिया है। पुलिस आयुक्त को एक जिम्मेदार वरिष्ठ अधिकारी द्वारा इस बात की जांच कराकर रिपोर्ट देनी होगी कि खालिद को गुरुवार को हथकड़ी लगाकर लाया गया था या नहीं। यदि, हां तो किस आदेश पर। अदालत ने खालिद के वकील द्वारा दायर एक अर्जी पर यह आदेश पारित किया।

इसके पहले 7 जून, 21 को दिल्ली की एक अदालत ने पुलिस की उस अपील को खारिज कर दिया है, जिसमें पुलिस ने दिल्ली दंगों के आरोपी जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र उमर खालिद व खालिद सैफी को हथकड़ी में पेश करने की अपील की थी। हथकड़ी लगाकर निचली कोर्टों में पेश करने की अनुमति देने की पुलिस की याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि वे गैंगस्टर नहीं हैं।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव के समक्ष सुनवाई के लिये पेश की गई इस याचिका में 2020 के दिल्ली दंगों के आरोपियों खालिद और सैफी को पीछे की ओर से दोनों हाथों में हथकड़ी लगाने की अनुमति मांगी गई थी। याचिका में कहा गया कि वे उच्च जोखिम वाले कैदी हैं। इस पर न्यायाधीश ने याचिका खारिज करते हुए इसे आधार रहित करार दिया। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस और जेल प्राधिकरण के उच्च अधिकारियों ने बिना प्रक्रिया अपनाए और दिमाग लगाए यह आवेदन दाखिल किया है।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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