Thursday, March 28, 2024

ऑटो कंपनी बेलसोनिका में मजदूरों की छंटनी के खिलाफ यूनियन का ऐलान, लड़ेंगे आर-पार की लड़ाई

जंतर-मंतर, नई दिल्ली। ऑटो कंपनी बेलसोनिका की मजदूर यूनियन ने ठेका प्रथा खत्म करने, यूनियन पर हो रहे हमले रोकने, निलंबित व बर्खास्त मजदूरों की कार्य बहाली, फर्जी दस्तावेजों के नाम पर छिपी छंटनी पर रोक लगाने और चार मजदूर विरोधी लेबर कोड्स को रद्द करने की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रेस वार्ता की। यूनियन ने बताया कि बेलसोनिका फैक्ट्री प्रबंधन पिछले 2 वर्षों से 10-15 साल से कार्य कर रहे स्थाई श्रमिकों व सात-आठ साल से कार्य कर रहे ठेका श्रमिकों को फर्जी दस्तावेजों का हवाला देकर काम से निकालना चाहता है। प्रबंधन ने करीब 30 परमानेंट श्रमिकों तथा चार ठेका श्रमिकों को फर्जी दस्तावेजों का हवाला देकर आरोप पत्र जारी किया तथा उनकी जांच कार्रवाई पूरी कर “सेवा बर्खास्तगी के प्रस्ताव” सहित द्वितीय कारण बताओ नोटिस भी जारी कर दिया।

यूनियन ने कहा कि केवल बेलसोनिका प्रबंधन ही नहीं अपितु गुरुग्राम, मानेसर, बावल, धारूहेड़ा की कई फैक्ट्रियों का प्रबंधन इस तरह की प्रक्रिया अपना रहा है। हाई लेक्स, बजाज, सनबीम आदि फैक्ट्रियों का प्रबंधन यही प्रक्रिया अपनाकर श्रमिकों को वीआरएस दे चुका है। लुमैक्स के फैक्ट्री प्रबंधन ने 11 मजदूरों को फर्जी दस्तावेजों का हवाला देकर सस्पेंड कर चुका है तथा उनके खिलाफ घरेलू जांच की कार्रवाई की जा रही है। फर्जी दस्तावेजों के नाम पर यह गुडगांव-औद्योगिक इलाके में छिपी छंटनी कर बची-खुची मजदूर यूनियनों को कमजोर करने तथा तोड़ने की एक साजिश की जा रही है। ताकि श्रमिकों के “सामूहिक समझौते” की ताकत को खत्म किया जा सके।

गुड़गांव औद्योगिक इलाके की बहुत कम फैक्ट्रियों में यूनियने हैं और वो भी उन फैक्ट्रियों में कार्य करने वाले मजदूरों की संख्या की दृष्टि से बहुत छोटी हैं। क्योंकि तमाम फैक्ट्रियों में ठेके पर कार्य करने वाले श्रमिकों की एक बड़ी संख्या कार्यरत है। परमानेंट मजदूरों की तादाद बहुत कम या फिर नाम मात्र की है। अगर मारुति सुजुकी जैसी मदर फैक्ट्री की बात करें तो उसके गुड़गांव-मानेसर में तीन प्लांट हैं, जिसमें कुल लगभग 35,000 मजदूर कार्यरत हैं। जिनमें मात्र 5500-6000 मजदूर ही परमानेंट हैं। जोकि कुल मजदूरों का 15% से 17% ही बनता है। मारुति की वेंडर फैक्ट्रियों में परमानेंट मजदूरों की यह तादाद 2% से 5% तक बनती है। अगर बात करे बेलसोनिका फैक्ट्री की तो यहां पर लगभग 50% परमानेंट मजदूर हैं।

पुराने श्रम कानूनों में स्थाई प्रवृत्ति के कार्य पर स्थाई मजदूरों से कार्य करवाने का प्रावधान है और समान काम-समान वेतन का आदेश तो देश की सर्वोच्च न्यायालय का फैसला है। फैक्ट्री मालिक ना तो स्थाई कार्य पर स्थाई मजदूर के कानूनी प्रावधान को लागू करते हैं और ना ही समान कार्य-समान वेतन के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को लागू करते हैं। अगर फैक्ट्रियों में श्रम कानूनों की पालना की बात करें तो यह केवल किताबी बातें रह गई हैं। जिन फैक्ट्रियों में यूनियनें नहीं हैं या फिर जिन फैक्ट्रियों में ठेका मजदूर हैं, उन फैक्ट्रियों में मजदूरों के हालात बहुत दयनीय ही नहीं बल्कि गुलामों जैसे हैं। उनको तो इंसान ही नहीं समझा जाता। उन मजदूरों को दिन-प्रतिदिन फैक्ट्री मालिकों द्वारा अपमान व गाली-गलौच झेलना पड़ता है कि मशीन की क्षमता अनुसार कार्य क्यों नहीं किया?

असल में उदारीकरण-निजीकरण की नीतियों को जो आज मोदी सरकार ने प्रकाष्ठा पर पहुंचा दिया है। हर फैक्ट्री का मालिक चाहता है कि परमानेंट मजदूरों को बाहर कर सस्ते से सस्ते मजदूरों को फैक्ट्री में भर्ती कर अधिक से अधिक मुनाफा कमाया जाए। हर फैक्ट्री में मालिकों के बीच यही होड़-प्रतियोगिता लगी हुई है। इसलिए मजदूरों की परमानेंट नौकरियों को कभी फर्जी दस्तावेजों के नाम पर तो कभी वीआरएस के नाम पर तो कभी अनुशासनहीनता के नाम पर छिपी छंटनी को अंजाम दिया जा रहा है।

बेलसोनिका यूनियन ने स्थाई कार्य पर स्थाई मजदूर तथा समान कार्य के लिए समान वेतन के कानूनी प्रावधान को लागू करवाने के लिए एक सामूहिक मांग पत्र दिनांक 12.11. 2021 श्रम विभाग में दायर किया। आज करीब डेढ़ वर्ष का समय बीत जाने के बाद उस सामूहिक मांग पत्र को संयुक्त श्रम सचिव ने एक तरह से कानून में ही उलझा कर लेबर कोर्ट में भेज दिया है। श्रम विभाग मजदूरों की उन कानूनी मांगों को भी लागू नहीं करवा पा रहा है जो श्रम कानूनों में निहित हैं। यह श्रम विभाग का, मालिकों के साथ गठजोड़ को दर्शाता है। इस सामूहिक मांग पत्र को हल कराने के लिए तथा श्रम निरीक्षक के फैक्ट्री में निरीक्षण कर रिपोर्ट को सार्वजनिक करने को लेकर यूनियन ने कई दफा उपायुक्त गुरुग्राम को ज्ञापन भी दिए। लेकिन आज तक कोई समाधान नहीं हुआ।

यूनियन द्वारा एक ठेका श्रमिक को यूनियन की सदस्यता दिए जाने पर ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार हरियाणा ने यूनियन के इस फैसले को गैर कानूनी कार्य करार देते हुए “कारण बताओ नोटिस” जारी कर दिया कि यूनियन ने गैर कानूनी तरीके से एक ठेका मजदूर को यूनियन की सदस्यता दी है इसलिए “क्यों न आपके यूनियन के पंजीकरण को रद्द किया जाए”। इस मुद्दे पर फैक्ट्री प्रबंधन व ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार हरियाणा, दोनों एक साथ यूनियन के खिलाफ खड़े दिखाई दिए। फैक्ट्री प्रबंधन नहीं चाहता कि एक फैक्ट्री में कार्य करने वाले परमानेंट व ठेका मजदूर एक साथ एक यूनियन में शामिल होकर फैक्ट्री प्रबंधन से सामूहिक समझौते की अपनी ताकत को बढ़ाएं। प्रबंधन चाहता है कि मजदूर परमानेंट व ठेका में अलग-अलग बंटे रहें।

बेलसोनिका प्रबंधन ने फर्जी दस्तावेजों के नाम पर शुरू की इस छिपी छंटनी को परवान चढ़ाने, मजदूरों को प्रताड़ित करने तथा मजदूरों को उकसाने-भड़काने के लिए तरह तरह से फैक्ट्री के भीतर कार्रवाईयों को अंजाम दिया। पिछले वर्ष की भीषण गर्मी में प्रबंधन ने मजदूरों के पंखे (एयर वॉशर) बंद कर दिए तथा मजदूरों को मिलने वाले नींबू पानी में नींबू की कटौती कर दी। अनुशासनहीनता के नाम पर श्रमिकों को कारण बताओ नोटिस, आरोप पत्र, निलंबन इत्यादि की कार्रवाई बेलसोनिका प्रबंधन द्वारा की गई।

श्रमिकों को प्रतिदिन एक मशीन से हटाकर दूसरी मशीन पर परेशान करने के उद्देश्य से भेजा जाने लगा। कैंटीन के खाने की गुणवत्ता में गिरावट की गई। प्रबंधन की उकसावेपूर्ण कार्रवाई केवल मजदूरों को उकसाने-भड़काने के लिए की गई थी। ताकि मजदूर किसी अप्रिय घटना को अंजाम दें और फैक्ट्री प्रबंधन बड़े पैमाने पर परमानेंट मजदूरों की छंटनी कर सके। बेलसोनिका प्रबंधन ने तो अब लगभग एक शिफ्ट में ठेका मजदूरों को लाइनों पर लगा दिया है। प्रबंधन द्वारा की गई तमाम उकसावेपूर्ण कार्रवाई, जिसमें एयर वॉशर बंद करना, कैंटीन के खाने की गुणवत्ता में कटौती करना, श्रमिकों को सस्पेंड करना इत्यादि पर यूनियन ने शिकायत व ज्ञापन भी दिए। लेकिन आज तक प्रबंधन कि इन उकसावेपूर्ण कार्रवाईयों के ऊपर रोक नहीं लगी है।

कोरोना काल के दौरान, जो श्रमिक सार्वजनिक परिवहन के वाहन ना चलने के कारण समय पर फैक्ट्री नहीं पहुंच पाए थे, उन श्रमिकों को बेलसोनिका प्रबंधन द्वारा आरोप पत्र दिए गए हैं। लगभग 4 श्रमिकों के खिलाफ कोरोना काल के दौरान आरोप पत्र देकर जांच की कार्रवाई की गई। कोरोना काल की भीषण त्रासदी का भी बेलसोनिका प्रबंधन ने फायदा उठाकर दिनांक 21 अक्टूबर 2022 को एक श्रमिक तथा 23 दिसंबर 2022 को छुट्टियों तथा फर्जी दस्तावेजों के नाम पर दो अन्य श्रमिकों को नौकरी से बर्खास्त कर चुका है।

जंतर-मंतर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस

बेलसोनिका प्रबंधन ने फर्जी दस्तावेजों के नाम पर श्रमिकों को निकालने की प्रक्रिया को फरवरी-मार्च माह में तेज करना शुरू कर दिया था। प्रबंधन ने 25-27 फरवरी को फैक्ट्री में लगभग ढाई सौ ठेका मजदूरों को भर्ती कर अपना इरादा जाहिर कर दिया था। यूनियन ने प्रबंधन की मंशा को भांपते हुए दिनांक 1 मार्च 2023 को सुबह 7:30 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक टूल डाउन कर काम रोक दिया। सभी मजदूरों- ठेका, अप्रेंटिस, नीम ने मशीनें बंद कर, प्रबंधन की मजदूर विरोधी मंशा का विरोध किया और कहा कि फर्जी दस्तावेजों के नाम पर आप जो परमानेंट मजदूरों व पुराने ठेका मजदूरों की छंटनी करना चाहते हो उसको बंद किया जाए तथा नौकरी से बर्खास्त किए गए तीन मजदूरों को काम पर वापस लिया जाए।

प्रबंधन ने पुलिस प्रशासन व श्रम विभाग को हड़ताल खुलवाने के लिए बुलाया लेकिन मजदूर एकता के सामने पुलिस प्रशासन व श्रम विभाग को भी यूनियन व प्रबंधन के बीच बातचीत कर फर्जी दस्तावेज के नाम पर शुरू की गई छंटनी पर रोक लगाने के लिए मजबूर किया गया। श्रम विभाग ने 10 दिनों में बर्खास्त किए गए तीन मजदूरों को काम पर वापस लेने, फर्जी दस्तावेजों के नाम पर शुरू की गई छंटनी की प्रक्रिया पर रोक लगाने व समाधान करने की प्रोसीडिंग कर आगामी 3 मार्च 2023 को प्रबंधन व यूनियन की समाधान वार्ता बुलाई। उसके बाद यूनियन ने हड़ताल खोल दी। परंतु श्रम विभाग की उस प्रोसीडिंग पर प्रबंधन ने अपनी असहमति जताई।

दिनांक 3 मार्च 2023 को प्रबंधक पक्ष अपने अड़ियल रुख पर कायम रहा और सहायक श्रम आयुक्त ने भी प्रबंधन को इस पर रोक लगाने के लिए दृढ़ता से नहीं कहा। मामले की गंभीरता को देखते हुए सहायक श्रम आयुक्त ने दोनों पक्षों को यथास्थिति तथा शांति बनाए रखने के लिखित आदेश दिनांक 03.03.2023 को पारित कर दिए। दिनांक 13 मार्च और 15 मार्च की वार्ताओं में भी प्रबंधन का रवैया अड़ियल रहा तथा उसने तीन बर्खास्त श्रमिकों को वापस लेने से मना कर दिया और फर्जी दस्तावेजों के नाम पर की जा रही छंटनी पर रोक लगाने से भी मना कर दिया। श्रम अधिकारी ने दोनों पक्षों को यथास्थिति व शांति बनाए रखने के निर्देश दिए।

दिनांक 17 मार्च 2023 को प्रबंधन ने यूनियन के तीन पदाधिकारियों- यूनियन के प्रधान मोहिंदर कपूर, यूनियन के महासचिव अजीत सिंह व यूनियन के संगठन सचिव सुनील कुमार को पुलिस बल लगाकर निलंबित कर दिया गया। आंदोलन को तोड़ने के लिए प्रबंधन ने पूरी योजना बनाकर यूनियन प्रतिनिधियों को सस्पेंड किया। दिनांक 18 मार्च 2023 को जब यूनियन प्रतिनिधि कंपनी में यूनियन कार्यालय गए तो प्रबंधन ने यूनियन प्रतिनिधियों को गेट पर रोकने के प्रयास किया। लेकिन मजदूरों ने एकजुट होकर कंपनी का गेट खोल दिया और यूनियन प्रतिनिधियों को यूनियन कार्यालय लेकर आए।

प्रबंधन ने पुलिस को बुला लिया और पुलिस ने यूनियन ऑफिस में आकर यूनियन पदाधिकारियों से बातचीत की। दिनांक 20 मार्च को बेलसोनिका प्रबंधन ने फैक्ट्री को छावनी में तब्दील कर दिया। प्रबंधन ने बड़ी संख्या में पुलिस को फैक्ट्री में तैनात कर दिया तथा बाउंसरो के रूप में असामाजिक व अराजक तत्वों को भर्ती कर फैक्ट्री में तैनात कर दिया। इसके साथ ही बाउंसर फैक्ट्री के भीतर श्रमिकों के कार्य स्थल पर जाकर श्रमिकों को डराने घूरने लगे।

दिनांक 8 अप्रैल 2023 तक यह प्रेस बयान लिखे जाने तक भी बाउंसर व पुलिस फैक्ट्री के अंदर तैनात है। दिनांक 21 मार्च 2023 को अतिरिक्त उपायुक्त गुरुग्राम के कार्यालय में समाधान वार्ता बुलाई गई। अतिरिक्त उपायुक्त ने दोनों पक्षों से मामले का विवरण समझा। अतिरिक्त उपायुक्त ने प्रबंधन से कहा कि क्या फैक्ट्री प्रबंधन के पास मजदूरों को फैक्ट्री में भर्ती करने का कोई क्राइटेरिया या मापदंड है? कोई नोटिफिकेशन या विज्ञापन है। अगर है तो प्रबंधन उसे दिनांक 24 मार्च 2023 की वार्ता में पेश करे। इसके साथ ही अतिरिक्त उपायुक्त ने प्रबंधन को यह भी कहा कि जनवरी, फरवरी और मार्च माह में प्रबंधन ने जितने भी ठेका श्रमिकों की फैक्ट्री में भर्ती की है उनका नाम सहित विवरण पेश किया जाए। दोनों पक्षों को शांति बनाए रखने के निर्देश उपायुक्त ने दिए।

इसके साथ ही प्रबंधन ने अतिरिक्त उपायुक्त को उस वार्ता में यह भी बताया कि यह यूनियन एक्टिव यूनियन है। यह ठेका मजदूरों को यूनियन की सदस्यता देती है। यह यूनियन अन्य मजदूरों के संघर्षों में शामिल होती है। यह मार्क्ससिस्ट हैं। यह जेएनयू जाते हैं। जिस पर प्रशासनिक अधिकारी ने चुप्पी साध ली। दिनांक 24 मार्च, 27 मार्च और 29 मार्च को अतिरिक्त उपायुक्त के पास समाधान वार्ता नहीं हो पाई। इसी बीच प्रबंधन ने दिनांक 28 मार्च 2023 को दो श्रमिकों को आरोप पत्र दे दिया तथा दिनांक 29 मार्च 2023 को यूनियन के दो प्रतिनिधियों को भी आरोप पत्र दे दिया।

श्रम विभाग व प्रशासनिक अधिकारी जब यथास्थिति व शांति बनाए रखने के आदेश/निर्देश दोनों पक्षों को दे रहे हैं तो उसके बावजूद भी प्रबंधन ने तीन यूनियन पदाधिकारियों को निलंबित क्यों कर दिया और चार श्रमिकों को आरोप पत्र क्यों दे दिया? दूसरी ओर बाउंसरों को तैनात कर प्रबंधन ने फैक्ट्री में डर व भय का माहौल बना दिया। दिनांक 30 मार्च 2023 को प्रबंधन ने 10 श्रमिकों को और सस्पेंड कर दिया। प्रबंधन ने 13 श्रमिकों को सस्पेंड कर तथा चार श्रमिकों को आरोप पत्र देकर अपनी मंशा जाहिर कर दी है कि प्रबंधन छंटनी की अपनी मंशा को त्यागने को तैयार नहीं है। वहीं दूसरी ओर श्रम विभाग व प्रशासनिक अधिकारी कंपनी प्रबंधन को शह दे रहे हैं। फैक्ट्री प्रबंधन श्रम विभाग व प्रशासनिक अधिकारी की यथास्थिति व शांति के निर्देशों को ठेंगा दिखा दिया।

5 अप्रैल 2023 की समाधान वार्ता में भी प्रबंधन का रुख अड़ियल रहा तथा वह फर्जी दस्तावेजों के नाम पर तथा यूनियन कार्रवाइयों में भाग ले रहे श्रमिकों को सहायक श्रम आयुक्त के सामने निकालने की बात करता रहा। प्रबंधन ने वार्ता में यह भी कहा कि जब सभी फैक्ट्रियों में, जिनमें यूनियने भी हैं, में फर्जी दस्तावेजों के नाम पर परमानेंट मजदूरों को निकाला जा रहा है तो यह यूनियन हमें श्रमिकों को क्यों नहीं निकालने दे रही है। इस पर भी सहायक श्रम आयुक्त चुप रहे। प्रबंधन की असल पीड़ा यही है कि जब गुरुग्राम औद्योगिक इलाके की अन्य फैक्ट्रियों में भी परमानेंट मजदूरों को छिपी छंटनी के रूप में निकाला जा रहा है तो वह पीछे क्यों रहें। बेलसोनिका फैक्ट्री में 693 स्थाई श्रमिक हैं। प्रबंधन इन स्थाई श्रमिकों की छंटनी कर, इस संख्या को 300 से कम करना चाहता है और बड़े पैमाने पर ठेका मजदूरों की भर्ती कर श्रम की खुली लूट करना चाहता है।

असल में यह सब उदारीकरण की उन्हीं नीतियों का परिणाम है जिसके तहत मोदी सरकार ने 44 केंद्रीय श्रम कानूनों को खत्म कर मजदूर विरोधी चार लेबर कोड्स बनाए हैं। बेलसोनिका प्रबंधन के साथ-साथ पूरे देश में परमानेंट मजदूरों को निकालकर ठेके के तहत तथा कौशल विकास के नाम पर सस्ते व अधिकार विहीन मजदूरों को भर्ती कर पूंजीपति वर्ग श्रम की खुली लूट करना चाहता है। लेबर कोड्स में मजदूरों को संगठित होने के अधिकार को कठिन कर दिया गया है। स्थाई कार्य पर स्थाई मजदूरों के स्थान पर अस्थाई मजदूरों को नियुक्त करने का अधिकार मालिकों को दे दिया गया है। गैर कानूनी हड़ताल करने पर जुर्माने व सजा के प्रावधान मजदूरों व मजदूर यूनियन के ऊपर कर दिए गए हैं।

इसके साथ ही हड़ताली मजदूरों का समर्थन करने वाले संगठनों-व्यक्तियों पर भी जुर्माने व सजा के प्रावधान इन लेबर कोड्स में किए गए हैं। यहां तक की महिलाओं के रात्रि पाली में खतरनाक उद्योगों में कार्य करने तक के प्रावधान किए गए हैं। बेलसोनिका प्रबंधन इन्हीं मजदूर विरोधी लेबर कोड्स से ऊर्जा लेकर परमानेंट मजदूरों की छंटनी करना चाहता है। बेलसोनिका यूनियन पिछले 2 वर्षों से प्रबंधन की इस छिपी छंटनी के खिलाफ संघर्ष कर रही है।

बेलसोनिका प्रबंधन ने दिनांक 07 अप्रैल 2023 को 3 पुराने ठेका मजदूरों को और नौकरी से बर्खास्त कर दिया। इन श्रमिकों को प्रबंधन ने फर्जी दस्तावेजों का हवाला देकर बर्खास्त किया है। इन तीनों ठेका श्रमिकों को वर्ष 2022 में यूनियन की सदस्यता दी गई थी और इन तीनों श्रमिकों का यूनियन की सदस्यता को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में मामला मामला लंबित चल रहा था। ठेका मजदूर यूनियन का सदस्य न बने इसके लिए प्रबंधन ने इस मामले को तिलांजलि देने के लिए नोकरी से बर्खास्त कर दिया।

बेलसोनिका यूनियन ने 8 अप्रैल 2023 को प्रेस वार्ता कर बेलसोनिका प्रबंधन द्वारा की जा रही तानाशाही के साथ-साथ पूरे मजदूर वर्ग पर हो रहे हमलों, लेबर कोड्स व ठेका प्रथा पर सवाल उठाए हैं। तथा मजदूर वर्ग पर हो रहे इन हमलों के खिलाफ मजदूरों की वर्गीय एकता बनाकर लड़ने का आह्वान किया है। मजदूर वर्ग को इन हमलों के खिलाफ अपनी क्षेत्रीय एकता से लेकर राष्ट्रीय एकता बनाकर संघर्ष को व्यापक बनाना होगा। बेलसोनिका यूनियन ने सभी मजदूर यूनियनों, मजदूर संगठनों, किसान संगठनों, इंसाफ पसंद जनता से इस संघर्ष में एकजुट होकर लड़ने का आह्वान किया है।

(विज्ञप्ति पर आधारित)

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