Tuesday, March 19, 2024

यूपी में तीन दशक लंबा वनवास खत्म करने की जद्दोजहद में जुटी कांग्रेस

विधानसभा चुनाव की तैयारियों में पूरे दम खम से जुटी कांग्रेस क्या अपने तीन दशक के वनवास को खत्म कर पाएगी… क्या ये चुनाव कांग्रेस के लिए संजीवनी बूटी साबित हो पाएगा….  क्या यह चुनाव कांग्रेस के लिए केंद्र की सत्ता तक पहुंचने का भी रास्ता साफ कर पाएगा…… और सबसे अहम सवाल क्या प्रियंका गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस यूपी में अपना खो चुकी जनाधार वापस हासिल कर पाएगी…..ये तमाम वे सवाल हैं जो इन दिनों उत्तर प्रदेश की राजनीति में अहम बने हुए हैं और क्या आम क्या खास सबकी जुबां पर हैं। इसमें दो मत नहीं कि उत्तर प्रदेश में अपना सब कुछ गंवा चुकी कांग्रेस के लिए अगले साल होने वाला विधानसभा चुनाव किसी  जीवनदायिनी बूटी से कम नहीं। इसलिए कांग्रेस तैयारियों में कोई कोर कसर छोड़ती नजर नहीं आ रही और न ही इसमें भी दो मत है कि इस चुनावी समर में न केवल कांग्रेस बल्कि उत्तर प्रदेश से ही  अपनी सक्रिय राजनीति की शुरुआत करने वाली कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी की भी साख दांव पर लगी है, इसलिए चुनाव के मद्देनजर पार्टी के द्वारा प्रदेश में चलाए जा रहे हर अभियानों, कार्यक्रमों, पर बारीकी से नजर भी बनाए हुईं हैं।
 
कांग्रेस इन दिनों बड़े पैमाने पर शहर, गांव, कस्बे  स्तर पर “प्रशिक्षण से पराक्रम महाभियान” चलाकर जमीनी स्तर पर खुद को मजबूत करने में जुटी है। महाभियान का पहला चरण समाप्त हो चुका है और दूसरा चरण शुरू हो चुका है। इस प्रशिक्षण शिविर में पांच विभिन्न विषयों पर कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग दी जा रही है। इसमें जिन विषयों पर चर्चा की जाएगी, उनमें बूथ प्रबंधन, सोशल मीडिया का बेहतर उपयोग, कांग्रेस की विचारधारा पर ध्यान केंद्रित करना, बीजेपी-आरएसएस का असली चेहरा उजागर करना  और उत्तर प्रदेश के विकास को पटरी से उतारने में सत्ता में रहीं विभिन्न पार्टियों की भूमिका पर चर्चा प्रमुख है। पहले चरण में कार्यकर्ताओं को सोशल मीडिया संचालन और भाजपा पर तीखे हमले के लिए प्रशिक्षित करने के बाद अब दूसरे चरण में 30 हजार पदाधिकारियों को प्रशिक्षित करेगी और 100 ट्रेनिंग कैंप आयोजित करेगी। पिछले दिनों हुए प्रियंका गांधी के तीन दिवसीय दौरे के बाद दूसरे चरण का प्रशिक्षण अभियान शुरू किया गया।

यूपी कांग्रेस के संगठन मंत्री अनिल यादव के मुताबिक जुलाई से ही एक विशेष ट्रेनिंग टास्क फोर्स का गठन किया गया है जो लगातार प्रशिक्षण कार्य को अंजाम दे रही है। 11 दिनों तक जिलावार चले इस अभियान के पहले चरण में 40 सदस्यीय सात मास्टर ट्रेनर टीमों ने यूपी के सभी जिलों में जिला और शहर कमेटियों के पदाधिकारियों के साथ ब्लाक अध्यक्षों, वार्ड अध्यक्षों और न्याय पंचायत अध्यक्षों को प्रशिक्षित किया। अब  दूसरे चरण में यह अभियान विधानसभा वार शुरू किया गया है। यह प्रशिक्षण महाभियान चार चरणों में पूरा होगा।
इस महाभियान  के तहत कांग्रेस ने 700 प्रशिक्षण शिविरों के जरिए 2 लाख पदाधिकारियों को प्रशिक्षित करने का महाभियान शुरू किया है। यह महाभियान चार चरणों में पूरा होगा। किसने बिगाड़ा यूपी के अंतर्गत भाजपा के अलावा सपा-बसपा राज की कमियों को उजागर करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।

पार्टी ने विधानसभा चुनाव से पहले ‘हम वचन निभाएंगे’ टैगलाइन के साथ ‘कांग्रेस प्रतिज्ञा यात्रा’ निकालने का भी फैसला किया है। हाल ही में तीन दिवसीय दौरे में यूपी आई प्रियंका गांधी के मुताबिक यह यात्रा 12,000 किलोमीटर की दूरी तय करेगी और सभी प्रमुख गांवों और कस्बों से होकर गुजरेगी। यात्रा की तारीख अभी तय नहीं है, माना जा रहा है कि यह यात्रा  2 अक्टूबर को गांधी जयंती से शुरू हो सकती है। तो वहीं इस ओर भी अटकलें तेज है कि विधानसभा चुनाव से पहले, कांग्रेस उच्च जाति समुदाय के वोटबैंक को देखते हुए राज्य इकाई में बदलाव पर विचार कर रही है क्योंकि ओबीसी समुदाय पर भाजपा और समाजवादी पार्टी का पहले से ही कब्जा है। पार्टी का विचार ब्राह्मणों को लुभाने के लिए है क्योंकि माना जा रहा है कि यह समुदाय राज्य में भाजपा से नाखुश है और सत्ताधारी दल सहित सभी दल उनका समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं।

जहां तक रही बात चुनावी गठबन्धन की तो फिलहाल कांग्रेस ने अभी तक इस पर अपनी स्पष्ट राय रखने से बच रही है हालांकि प्रियंका गांधी उस सवाल पर कह चुकी है कि उनका गठबन्धन को लेकर उनका ज़हन खुला है लेकिन पार्टी के मूल्यों को लेकर कांग्रेस कोई समझौता नहीं करेगी तो वहीं अटकलें यह लगाई जा रही है कि कांग्रेस और शिवसेना का गठबन्धन हो सकता है। दरअसल शिव सेना ने भी यूपी चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।
शिवसेना सांसद संजय राउत  ने यूपी की 403 सीटों में से करीब 100 पर चुनाव लड़ने का दावा किया है। शिवसेना के इस फैसले के बाद से सवाल उठ रहा है कि यूपी में बीजेपी का सामना करने के लिए क्या कांग्रेस और शिवसेना का गठबन्धन होगा?

माना जा रहा है कि अगर यूपी चुनाव के लिए शिवसेना और कांग्रेस  एक साथ आती हैं तो भाजपा और सपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। फिलहाल पार्टी या किसी नेता की ओर से इस संबंध में अभी तक कोई जानकारी नहीं दी गई है।

कुल मिलाकर इस विधानसभा चुनाव के जरिए उत्तर प्रदेश में पुनः अपने को स्थापित करने और एक सम्मानजनक स्थान पाने के लिए कांग्रेस कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती क्योंकि वह जानती है कि यदि वह इस बार खुद को नए जोश और कलेवर में जनता के समक्ष पेश नहीं करेगी तो उसे दोबारा एक लंबा वनवास झेलना पड़ सकता है।

(लखनऊ से स्वतंत्र पत्रकार सरोजिनी बिष्ट की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles