Saturday, April 20, 2024

यूपी पुलिस की लाचारी: पतियों से लगा रही है महिलाओं को धरने से उठाने की गुहार

लखनऊ। आज के टेलीग्राफ में लखनऊ की एक दिलचस्प घटना का वर्णन है। अखबार ने लिखा है कि इसकी पुष्टि नहीं हुई है और सामान्य स्थितियों में इसे प्रकाशित नहीं किया जाता पर अभी जो हाल हैं उसमें यह सच प्रतीत होता है और इसीलिए हम संबंधित लोगों का नाम नहीं दे रहे हैं क्योंकि उन्हें प्रताड़ित किया जा सकता है।

हुआ यह कि कुछ पुलिसवालों ने एक अधेड़ मुस्लिम महिला से कहा कि आप दरगाह पर धारा 144 का उल्लंघन कर रही हैं (गंज शाहिदा दरगाह, गोमती नगर, लखनऊ)। जवाब में महिला ने कहा कि आपने मेरे खिलाफ मामला तो दर्ज कर ही लिया है अब दूसरी महिलाओं के साथ तब तक धरने पर रहूंगी जब तक आप मुझे गिरफ्तार कर जेल न भेज दें।

कहानी यह है कि इसके बाद पुलिस वाले गोमतीनगर में उस महिला के घर गए और उसके पति से कहा कि अपनी पत्नी को नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ धरना देने से रोकिए। इसपर पति ने कहा कि उसने मना किया है पर उसकी पत्नी उसका कहा नहीं मानती है। इसपर पुलिस वालों ने कहा कि वह आपकी पत्नी है और आपकी बात मानेगी। पति का कहना था कि वह उसके नियंत्रण में नहीं है। पुलिस ने कहा कि उसे डांटिए, पति की तरह व्यवहार कीजिए। इसपर पति ने पूछा कि क्या मैं उसे तलाक, तलाक तलाक की धमकी दूं? इसपर पुलिस ने कहा कि आप जो चाहें कीजिए पर उसे विरोध करने से रोकिए।

पति : मुझे लगता है कि उसे तलाक दे ही देना चाहिए पर एक समस्या है। नरेन्द्र मोदी सरकार ने एक कानून बनाया है कि तीन तलाक कहना गैर कानूनी है। सजा योग्य अपराध है। आप मुझसे उसे सजा देने के लिए कह रहे हैं बाद में आप ही आएंगे मुझे हथकड़ी लगाकर जेल में डाल देंगे।

अखबार ने लिखा है कि धरना दे रही महिला यह कहानी सुनाते हुए मुस्कुरा रही थी। महिला का कहना था कि उसके पति के साथ इस बातचीत के बाद पुलिस पीछे हट गयी। उसका कहना था कि पुलिस और सरकार का मानना है कि उनके धरनों के पीछे उनके पतियों का हाथ है। हम उन्हें यह समझाने में सफल नहीं हो सकते हैं कि यह सब कुछ महिलाएं खुद कर रही हैं।

आगे उसने बताया कि ‘मेरे पति किसी से राजनीति पर बात ही नहीं करते हैं। धरने पर बैठने से पहले मैंने उनसे नहीं पूछा था।और उन्होंने भी मुझसे नहीं पूछा कि मैं ऐसा क्यों कर रही हूं। लेकिन सरकार के ये नौकर समझ ही नहीं सकते कि हम लोकतांत्रिक लोग हैं। और यह बात न केवल परिवार बल्कि देश के लिए भी सच है।’

पास बैठी एक दूसरी महिला ने कहा कि ‘हम जानते हैं कि सरकार हमारी नहीं सुनेगी।लेकिन हम यह भी जानते हैं कि अगले चुनाव में हम उन्हें सत्ता से बेदखल कर देंगे और लोकतंत्र को बचा लेंगे।’ 

शुक्रवार को गोमतीनगर के इस केंद्र पर 100 से ज्यादा महिलाएं बैठी हुई थीं।

यहां पुलिस इस बात का दुष्प्रचार कर रही है कि आजादी के नारे लगाना गैरकानूनी है और कोई भी अगर इसको लगाता पकड़ा गया तो उसे जबरन उठाकर बाहर कर दिया जाएगा।

लेकिन पुलिस और प्रशासन की इन धमकियों का कोई असर नहीं पड़ रहा है। शुक्रवार को भी महिलाओं ने हमें चाहिए आजादी, अंबेडकर वाली आजादी, गांधी वाली आजादी, भगत सिंह वाली आजादी आदि नारे लगाए। 

अखबार ने लिखा है कि संबंधित थाना इंचार्ज, अमित कुमार दुबे ने कहा कि हम उनके घरों में सिपाही नहीं भेज रहे हैं। हम ऐसे क्यों करेंगे। हमें ऐसा करने की जरूरत नहीं है।

(वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार सिंह के कुछ इनपुट के साथ।)

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