बलिया। बलिया शहर से 8 किमी दूर शिवपुर नई बस्ती गांव में बलिया पुलिस के तांडव के बाद अब राजनीति भी तेज हो चली है। गांव के लोग अभी भी सहमे हाल में हैं। दुबहड़ थाना क्षेत्र के बयासी ढाले पर 6 जनवरी की रात ट्रक से कुचलकर युवक विश्वकर्मा पासवान की मौत हो गई थी। उसके बाद आक्रोशित गांव के लोग मुआवजे की मांग को लेकर सड़क पर नारेबाजी करने लगे। कुछ ही देर के बाद मामला इतना बढ़ गया कि पुलिस और पब्लिक आमने-सामने हो गई। पथराव भी शुरू हो गया। घटना में पुलिस और पब्लिक दोनों तरफ से लोग घायल हुए लेकिन उसके बाद पुलिस ने गांव में जाकर जो किया वह भी बलिया में शायद ही कभी हुआ हो। गांव में आधी रात को कई थानों की पुलिस ने जाकर अंग्रेजी शासन की तरह गांव के लोगों पर अपना कहर बरपाया। महिलाओं तक को बरहमी से पीटा। इस घटना को लेकर अब माहौल पूरी तरह गर्म हो गया है।
गांव की महिलाएं बताती हैं कि सड़क पर हुए टकराव के बाद आधी रात को गांव में पहुंची पुलिस ने सामने जो भी मिला उसे बेरहमी से पीटा। कई महिलाओं को डंडे से मारा। दरवाजे के सामान को क्षतिग्रस्त किया। पुलिस किसी से कुछ भी नहीं पूछ रही थी। इस घटना में जो लोग शामिल नहीं थे, उनका क्या दोष था। गांव की महिलाएं पुलिस से कौन सा जंग लड़ने गई थीं। इन सवालों का उचित जवाब कोई भी जिम्मेदार अधिकारी नहीं दे रहा है। इस घटना में पुलिस की ओर से आधा दर्जन लोगों के घायल होने की बात कही जा रही है। पुलिस के तांडव के बाद गांव की नहीं घटना की चर्चा पूरे जनपद में हो रही है। घटना के बाद तहसीलदार गुलाब चंद्रा की तहरीर पर 22 नामजद, 30-40 अज्ञात व दुबहर थाना प्रभारी निरीक्षक अनिल चंद्र तिवारी की तहरीर पर 39 नामजद व 40-50 अज्ञात लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया था। उनमें से 17 गिरफ्तार हुए हैं, वहीं अन्य कई राजनीतिक दलों के प्रतिनिधिमंडल गांव में घटना की जानकारी लेने पहुंचने लगा है। गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने छापेमारी तेज कर दी है।
घटना के बाद उठ रहे कई सवाल
शिवपुर नई बस्ती गांव में पुलिस के भय से अभी भी पुरूष वर्ग गायब है। आसपास गांव के लोगों ने बताया कि इस घटना के बाद गांव के लोग आक्रोशित थे लेकिन पुलिस ने भी विवेकपूर्ण तरीके से कोई काम नहीं किया। ट्रक से कुचलकर युवक की मौत के बाद गांव के लोग मुआवजे की मांग के साथ डटे थे। सड़क पर अचानक माहौल कैसे गर्म हो गया? ट्रक से कुचल कर युवक की मौत हुई, उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? यूपी में हर दिन सड़क पर बड़े-बड़े हादसे हो रहे हैं, इन हादसों को राकने की जिम्मेदारी किसकी है? इस तरह के और भी कई सवाल बवाल के बाद उठने लगे हैं। गांव के बुद्धिजीवी वर्ग का कहना है कि किसी भी बवाल के बाद बलिया के बड़े अधिकारियों को विवेकपूर्ण तरीके से माहौल को शांत करने का प्रयास करना चाहिए। देश में कोई अंग्रेजी शासन नहीं चल रहा है कि गलती कोई और करे, प्रशासन उसकी सजा घर की महिलाओं को दे। घटना में जिन लोगों ने पथराव किया, उनके कदम भी गलत थे लेकिन पुलिस ने गांव में जिस तरह कहर बरपाया वह भी अंग्रेजी शासन से कम नहीं है। कई महिलाएं तो सड़क पर हुए टकराव के विषय में कुछ नहीं जानती थीं लेकिन पुलिस ने उन्हें भी मारा-पीटा।
सपा नेताओं ने गांव में लिया घटना का जायजा
पूर्व कैबिनेट मंत्री, सपा नेता नारद राय ने सैकड़ों सपा कार्यकर्ताओं के साथ शिवपुर गांव में पहुंच कर घटना का जयजा लिया। गांव के लोगों और महिलाओं से बात की। उन्होंने कहा कि दुर्घटना के बाद सहानुभूति पूर्वक आम नागरिक पीड़ित परिवार के साथ होते हैं लेकिन ईट-पत्थर चलाने वाले अपराधी हैं। पुलिस को दोषियों को दंडित करना चाहिए लेकिन पुलिस ऐसा न कर निर्दोष लोगों को खुलेआम सजा दे रही है। इस कदम को सराहा नहीं जा सकता। गांव में पुलिस के अत्याचार से सभी लोग सहमे हुए हैं। पुलिस यदि अपनी कार्यशैली नहीं सुधारती तो सपा के लोग जिला प्रशासन के विरूद्ध आंदोलन को बाध्य होंगे। उन्होंने कहा कि शिवपुर दीयर नई बस्ती में नारी का ही उत्पीड़न हो रहा है जो रिंकी सिंह पत्नी अर्जुन सिंह व इंद्रावती मिश्रा पत्नी सुनील मिश्रा के साथ हुआ है वह असहनीय है। पुलिस ने इनके घरों में घुसकर गाली गलौज करने के साथ तोड़फोड़ भी किया। घर के वस्त्र तक जला डाले, यह सरासर अन्याय है।
(एलके सिंह, बलिया के वरिष्ठ पत्रकार हैं।)