Friday, March 24, 2023

राज्यसभा में विपक्ष का हंगामा, 13 मार्च तक के लिए सदन स्थगित

Janchowk
Follow us:

ज़रूर पढ़े

नई दिल्ली। संसद में विपक्षी दल अडानी समूह पर लगे आरोपों की जांच की मांग से पीछे नहीं हटे हैं। सोमवार को राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी नेताओं ने फिर अडानी मुद्दे की जांच की मांग को रखा, लेकिन उनकी मांग नहीं मानी गई। विपक्षी सांसदों के हंगामे के कारण राज्यसभा की कार्यवाही 13 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी गई।

इसके साथ ही राज्यसभा के संसदीय बजट सत्र का पहला भाग समाप्त हो गया है। सदन अब बजट सत्र के दूसरे भाग के लिए मार्च में फिर से शुरू होगा।

बता दें कि आज सुबह राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होने के कुछ देर बाद ही कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के भाषण के कुछ हिस्सों को सभापति जगदीप धनखड़ द्वारा हटा दिए जाने के बाद अराजकता फैल गई। राज्यसभा में एलओपी मल्लिकार्जुन खड़गे के भाषण के कुछ अंश रिकॉर्ड से निकाले जाने को लेकर विपक्षी दलों के सांसद भड़क गए और सभापति के आसन के पास पहुंच गए। जिसके बाद राज्यसभा की कार्यवाही को 13 मार्च तक स्थगित कर दिया गया।

सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि “एलओपी, आपने अपने शब्दों में संकेत दिया है कि सभापति दबाव में काम कर रहे हैं। इन शब्दों को हटा दिया गया है। आप सदन के पटल पर बने रहने का अधिकार खो रहे हैं। हर बार आप कह रहे हैं कि सभापति दबाव में काम कर रहे हैं।

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि विपक्ष जानबूझकर अड़ंगा लगा रहा है और यह सदन चलाने का तरीका नहीं है। उन्होंने कहा कि हम पहले ही काफी समय बर्बाद कर चुके हैं। यदि सदन में ऐसा ही चलता रहा तो वो लोगों की अपेक्षा के अनुसार कार्य करने के लिए मजबूर हो जाएंगे।

राज्यसभा के सभापति ने सांसद राघव चड्ढा, संजय सिंह, इमरान प्रतापगढ़ी, शक्ति सिंह गोहिल, संदीप पाठक और कुमार केतकर सहित अन्य नेताओं को वेल में घुसने को लेकर चेतावनी दी।

सदन स्थगित होने के बाद बीजेपी नेता प्रल्हाद जोशी और पीयूष गोयल ने संसद के कामकाज में कथित रूप से बाधा डालने के लिए विपक्षी नेताओं से माफी की मांग की है।

इसके पहले राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले, समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों के नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की।

दोनों सदनों में कांग्रेस के नेतृत्व वाला विपक्ष अडानी ग्रुप के खिलाफ धोखाधड़ी और स्टॉक हेरफेर के आरोपों की जांच या तो सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति या संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) या भारत के मुख्य न्यायाधीश की निगरानी में जांच की मांग कर रहा है।

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of

guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest News

भारत में मानवाधिकार के हालात पर अमेरिका की वार्षिक रिपोर्ट, मनमानी गिरफ्तारियों और बुलडोजर न्याय पर सवाल

अमेरिकी विदेश विभाग की 2022 में भारत में मानवाधिकार की स्थिति पर जारी एक वार्षिक रिपोर्ट में मनमानी गिरफ़्तारियों,...

सम्बंधित ख़बरें