Friday, April 19, 2024

उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा मंत्री के भाई ने सहायक प्रोफेसर पद से इस्तीफा दिया

“मंत्री का भाई होना अपराध और ब्राह्मण का बेटा होना अभिशाप हो गया” –  प्रेस कांफ्रेंस में उपरोक्त टिप्पणी के साथ बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. सतीश द्विवेदी के भाई डॉ. अरुण कुमार द्विवेदी ने कल बुधवार को असिस्टेंट प्रोफेसर के पद से इस्तीफा दे दिया। प्रेस कांफ्रेंस सिद्धार्थनगर जिला मुख्यालय पर आयोजित किया गया था। जिसमें मंत्री के भाई ने अपने इस्तीफे की जानकारी देने किए लिये आयोजित किया था। 

वहीं इस मामले में निशाने पर रहे सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के कुलपति सुरेंद्र दुबे ने डॉ. अरुण कुमार द्विवेदी के त्यागपत्र को कार्य परिषद के अनुमोदन की प्रत्याशा में तत्काल प्रभाव से स्वीकार भी कर लिया। 

गौरतलब है कि ईडब्ल्यूएस कोटे से हुई मंत्री के भाई की नियुक्ति की ख़बर सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। विवाद के साथ ही कई गंभीर सवाल खड़े हो गये थे और इस नियुक्ति में मंत्री के भाई और विश्वविद्यालय के कुलपति की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे थे। सवाल राज्य की योगी सरकार पर भी उठ रहा था। बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के छोटे भाई की ईडब्ल्यूएस कोटे से नियुक्ति को लेकर राज्यपाल से शिकायत की गई थी और राज्यपाल ने सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र दुबे से जवाब भी मांगा था। 

ईडब्ल्यूएस कोटे से नियुक्ति पर हुये विवाद और मंत्री का भाई होने की पहुंच, और फर्जी कागजों के बल पर हुयी नियुक्ति के कलंक को इस्तीफे से धोने की कोशिश में मंत्री के भाई अरुण कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सहायक प्रोफेसर के पद से त्यागपत्र देने की घोषणा करते हुए कहा कि उन्हें 21 मई को सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में योग्यता के आधार पर मनोविज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर चयनित किया गया था और वे एमए गोल्ड मेडलिस्ट, पीएचडी, डीआईपीआर-डीआरडीओ से जेआरएफ एवं एसआरएफ हैं तथा 17 पुस्तकों-पत्रिकाओं के प्रकाशन व संपादन की उपलब्धि उनके हिस्से में है। 

मंत्री के भाई अरुण द्विवेदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में आगे कहा कि ‘मेरी नियुक्ति योग्यता के आधार पर निर्धारित प्रक्रिया के तहत हुई लेकिन कार्यभार ग्रहण करने के बाद से ही मेरे बड़े भाई और प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश चंद्र द्विवेदी को इस नियुक्ति से जोड़कर उन पर निरर्थक, निराधार और अपमानजनक आरोप लगाकर उनकी छवि को धूमिल किया जा रहा है। यह आरोप मेरे लिए असहनीय है और इससे मैं मानसिक संत्रास की स्थिति से गुज़र रहा हूं। बड़े भाई, परिवार के सामाजिक, राजनीतिक सम्मान से ज्यादा अहमियत और किसी चीज की नहीं है। ऐसे में असिस्टेंट प्रोफेसर पद से इस्तीफा देना ही बेहतर समझा। 

बता दें कि वर्ष 2019 में सिद्धार्थ विश्वविद्यालय द्वारा प्रोफेसर के 22, एसोसिएट प्रोफेसर के 21 और असिस्टेंट प्रोफेसर के 40 पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया था, जहां मनोविज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के दो पद विज्ञापित थे जिसमें एक ओबीसी कोटे में और एक ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत आरक्षित था। 

वहीं नियुक्ति पर विवाद होने और मामले में अपना नाम घसीटे जाने पर कुलपति प्रो. सुरेंद्र दुबे ने मीडिया को बताया था कि डॉ. अरुण कुमार द्विवेदी की नियुक्ति मेरिट पर हुई है और वे नहीं जानते कि मंत्री डॉ. सतीश द्विवेदी के भाई हैं। सोशल मीडिया के जरिये ही उन्हें भी पता चला कि अरण कुमार बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के छोटे भाई हैं।

उन्होंने बताया था कि मनोविज्ञान विभाग के सहायक प्रवक्ता के लिए 150 आवेदन आए थे, जिसमें से मेरिट के आधार पर दस अभ्यर्थी शॉर्टलिस्ट किए गए थे। इनमें से दो पदों पर नियुक्ति हुई। ओबीसी कोटे में डॉ. हरेंद्र शर्मा और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग सामान्य के कोटे में अरुण कुमार साक्षात्कार में सबसे योग्य पाए गए और उनका चयन किया गया था। 

बता दें कि सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में नियुक्ति के पहले डॉ. अरुण कुमार द्विवेदी ने राजस्थान के वनस्थली विद्यापीठ में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में कार्य किया था। उनका विवाह दिसंबर 2020 में हुआ और उनकी जीवन संगिनी बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के एक कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। इस आधार पर देखा जाये तो वे कहीं से ईडब्ल्यूएस कोटे में नहीं आते। 

गौरतलब है कि ईडब्ल्यूएस कोटे के लिए अभ्यर्थी के परिवार की आय आठ लाख रुपये सालाना से कम होनी चाहिए। साथ ही उसके पास 100 वर्ग फीट का आवासीय भवन, नोटिफाइड म्युनिसिपल्टी में 100 वर्ग यार्ड या नोटिफाइड म्युनिसिपल्टी से दूसरी जगह 200 वर्ग यार्ड भूमि नहीं होनी चाहिए। 

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 100% ईवीएम-वीवीपीएटी सत्यापन की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने EVM और VVPAT डेटा के 100% सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर निर्णय सुरक्षित रखा। याचिका में सभी VVPAT पर्चियों के सत्यापन और मतदान की पवित्रता सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया। मतदान की विश्वसनीयता और गोपनीयता पर भी चर्चा हुई।

Related Articles

AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 100% ईवीएम-वीवीपीएटी सत्यापन की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने EVM और VVPAT डेटा के 100% सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर निर्णय सुरक्षित रखा। याचिका में सभी VVPAT पर्चियों के सत्यापन और मतदान की पवित्रता सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया। मतदान की विश्वसनीयता और गोपनीयता पर भी चर्चा हुई।