चुनावी भंवर में फंस गए हैं योगी साहब के कृषि मंत्री

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उत्तर प्रदेश के योगी सरकार के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही एक बार फिर से चुनावी मैदान में हैं। गोरखपुर मंडल के अंतर्गत देवरिया जनपद की पथरदेवा सीट से कृषि मंत्री भाग्य आजमा रहे हैं। उनके सामने चुनौती दे रहे हैं अखिलेश सरकार में पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे ब्रम्हाशंकर त्रिपाठी। आमने-सामने के इस मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश सपा सरकार में ही मंत्री रहे मरहूम शाकीर अली के बेटे आफताब आलम कर रहे हैं, जो बसपा के सिंबल पर चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में मुकाबला रोचक होना स्वाभाविक है।

इन सबके बावजूद इस चुनावी समर में खास बात यह है कि सपा व भाजपा के कड़े संघर्ष को मतदाताओं की चुप्पी जटिल बनाती जा रही है। यूपी के पूर्वांचल का हिस्सा कहा जानेवाला यह इलाका देश में सर्वाधिक बेरोजगारी व मजदूरों के पलायन को लेकर जाना जाता है। लंबे समय से इसका दंश झेल रहे लोगों ने कोरोना काल में इसकी सबसे बुरी मार को झेला था। सैकड़ों मील पैदल चल कर अपने घर पहुंचने से लेकर कई दिनों तक भूखे-प्यासे भटकने व कोरोना की दूसरी लहर में आक्सीजन के बिना दम तोड़ती जिंदगी की कहानी यहां के लोगों के जुबान पर आज भी मौजूद है। इसके बावजूद ऐन चुनाव के मौके पर मतदाताओं की खामोशी एक साथ कई सवाल खड़े कर रही है। मुस्लिम अल्पसंख्यकों की बड़ी आबादी वाले इस पथरदेवा के इलाके के लोगों की जब जनचौक के संवाददाता ने नब्ज टटोलनी चाही तो, कमोबेश ज्यादातर लोग मुखर स्वर में अपनी बात रखने को तैयार नहीं दिखे।

भाजपा प्रत्याशी सूर्य प्रताप शाही के गांव पकहा के निवासी राजीव शर्मा का इस बारे में कहना था “विगत पांच वर्षों में अपेक्षित विकास नहीं हुआ। धान क्रय केंद्र के नाम पर मात्र दिखावा होता रहा। समय से तौल व भुगतान न होने से लोगों ने धान की फसल को बिचैलियों के हाथों बेचना ही बेहतर समझा। स्वास्थ्य इंतजाम के अभाव में कोरोना की दूसरी लहर में पांच लोगों ने आक्सीजन के अभाव में दम तोड़ दिया।” इसके बाद भी वे गांव का प्रत्याशी होने के कारण भाजपा के प्रति ही अपना समर्थन जताने की बात करते हैं। मुख्य मुकाबले के सवाल पर राजीव कहते हैं कि ‘भाजपा व सपा के बीच की सीधी लड़ाई को बसपा से आफताब आलम के मैदान में आ जाने से त्रिकोणीय मुकाबला हो जाने की संभावना बन गई है।”

बंजरिया निवासी वृजेश शुक्ल भाजपा की जीत को तय मानते हैं। इसके पीछे उनकी  दलील है कि “हिंदुत्व व माफियागिरी व गुंडागर्दी को रोकने के लिए हम भाजपा की एक बार फिर सरकार चाहते हैं।” विकास के सवाल पर चर्चा करते ही वृजेश का कहना है कि “सड़कों का निर्माण व बंजरिया में आईटीआई की स्थापना प्रमुख उपलब्धि है।” हालांकि बसडीला मैनुददीन गांव के श्रीप्रसाद गुप्ता भाजपा सरकार के पांच वर्ष के कार्यकाल में विकास के दावे को गलत मानते हैं। उनका कहना है कि “कोई विकास कार्य यहां धरातल पर नहीं दिखा। अधिकांश सड़कें जर्जर हैं।” कोरोना काल में गांव के एक युवक की मौत के बाद भी परिजनों को कोई मुआवजा न मिलने की बात कही।

अमवा दूबे के उग्रसेन  दूबे से पथरदेवा बाजार में मुलाकात हुई। उन्होंने विधान सभा क्षेत्र के चुनावी मिजाज के संबंध में पूछे जाने पर कहा कि सपा व भाजपा की सीधी लड़ाई है। भाजपा सरकार के विकास करने की बात पूछने पर वे कह पड़े,  “अगर विकास हुआ होता तो लड़ाई ही क्यों होती। निर्णय भाजपा के पक्ष में एकतरफा होता।” कृषि मंत्री के क्षेत्र में धान क्रय की स्थिति पर पूछने पर कहा कि, “इस बार खरीददारी बेहतर रही। हालांकि पूर्व के चार वर्षों में इंतजाम बदहाल रहा। चुनावी वर्ष होने के कारण सुधार दिखा।” मेंहदीपटटी के सुभाष यादव ने कहा कि “हम लोग कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं हैं। मतदान के दिन अपने मत का प्रयोग कर देंगे। हम राजनीतिक व्यक्ति नहीं हैं।”

विधान सभा क्षेत्र के प्रमुख बाजार बघौचघाट बिहार की सीमा से कुछ ही दूरी पर है। यहां पकहां के निवासी व पेशे से अधिवक्ता रूद्र प्रताप शाही से मुलाकात हुई। उनके मुताबिक, “यहां तो भाजपा की लहर चल रही है। हालांकि कृषि मंत्री के इलाके में धान खरीद की व्यवस्था काफी खराब रही।” फिर कुछ देर ठहर कर कहते हैं, “सड़क निर्माण, कानून व्यवस्था की स्थिति बेहतर है। किसानों के प्रति कृषि मंत्री का सद्भाव दिखता है।” चुनावी समीकरण के सवाल पर कहते हैं कि मुख्य मुकाबला सपा से है। 40 प्रतिशत मुसलमान मतदाता हैं। बसपा से मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। लेकिन उनकी इलाके में पहचान कम है।

बघौचघाट बाजार निवासी रामपति प्रसाद कहते हैं कि “चुनाव में यहां कोई मुद्दा नहीं है। दलों के परंपरागत जातीय आधार पर ही मतदान होगा। सपा व भाजपा के बीच में नतीजा किसी के भी पक्ष में जा सकता है।” विकास के सवाल पर सड़क निर्माण व कानून व्यवस्था की बात कहते हुए संतुष्टि जताते हैं। बघौचघाट के ही रामविलास यादव कहते हैं कि “इस बार लोगों ने सपा को जिताने का मन बना लिया है। कृषि मंत्री के क्षेत्र में पांच वर्ष में कोई विकास कार्य नहीं हुआ है। मंहगाई व बेरोजगारी से लोग तंग आ चुके हैं। जिससे निजात पाने के लिए भाजपा से मुक्ति चाहते हैं।” इस बाजार में ही स्थानीय निवासी संदीप  से मुलाकात होती है। वे कहते हैं कि क्षेत्र में पिछले पांच वर्षों में विकास नहीं हुआ। इसके बाद भी मैं वोट भाजपा को ही दूंगा। इसके पीछे उनका कहना है कि भाजपा प्रत्याशी मेरे विरादरी के हैं, इसलिए मेरा वोट उन्हीं को जाएगा।

कमोबेश इस चुनावी संग्राम में अधिकांश लोगों की चुप्पी साफ दिखी। मुददे के सवाल पर भी लोग मुखर होते नहीं दिखे। लेकिन सबने कहा कि यहां चुनावी लड़ाई सपा व भाजपा के बीच है। नतीजा किसी के भी पक्ष में आ सकता है। महंगाई व बेरोजगारी तथा किसानों की बदहाली की बात तो लोग मानते हैं, पर वोट देने के सवाल पर सबका अलग- अलग तर्क है। जिससे एक बात साफ है कि छठे चरण में अभी यहां चुनाव होने हैं। ऐसे में मतदान की तारीख करीब होने पर ही मतदाताओं का रूझान साफ हो पाएगा। 

(पत्रकार जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट।)

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