Friday, March 29, 2024

उत्तराखंड में पुलिसिया राज! ह्वाट्सएप टिप्पणी पर महिला थानेदार ने सरेबाजार दी एक छात्रनेता को देख लेने की धमकी

जनचौक ब्यूरो

(उत्तराखंड में बीजेपी ने पूरी सत्ता लगता है पुलिस के हवाले कर दी है। ऋषिकेश में महान पर्यावरणविद प्रो. जीडी अग्रवाल के साथ उसके अपमानजनक व्यवहार को कल पूरे देश ने देखा। उनके अनशन के प्रति पुलिस-प्रशासन के उसी आपराधिक रवैये का नतीजा है कि आज वो हमारे बीच नहीं रहे। ये कहानी किसी एक जगह की नहीं बल्कि उत्तराखंड के हर जिले का सच बन गयी है। पौड़ी जिले के श्रीनगर शहर में भी कुछ इसी तरह का एक वाकया सामने आया है। जिसमें एक महिला थानेदार ने हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय की लोकप्रिय और चर्चित छात्र नेता शिवानी पांडेय को सरेबाजार मुकदमा ठोक देने और देख लेने की धमकी दी है। 

जबकि मामला कुछ ऐसा था नहीं। शिवानी ने सड़क पर उनके नेतृत्व में वाहन चेकिंग के दौरान पुलिस द्वारा किए जा रहे नियमों के उल्लंघन पर एक ह्वाट्सएप ग्रुप में टिप्पणी भर कर दी थी। जिसको देखकर महिला थानेदार अपने हत्थे से उखड़ गयीं। और बाजार में मिलने पर उन्होंने शिवानी को ये धमकी दी। उसके बाद शिवानी ने सूबे के पुलिस महानिदेशक और पौड़ी जिले के एसएसपी को पत्र लिखकर घटना की पूरी जानकारी दी है और थानेदार नीरजा यादव के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। पेश है शिवानी का पूरा पत्र- संपादक) 

प्रति,

श्रीमान पुलिस महानिदेशक, उत्तराखंड/

श्रीमान वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक,

पौड़ी(गढ़वाल)

महोदय,

मैं शिवानी पाण्डेय, हे.न.ब. गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर (गढ़वाल) के छात्र संघ में प्रथम निर्वाचित छात्रा प्रतिनिधि हूं। वर्तमान में मैं विश्वविद्यालय में शोधरत हूं। समाज के एक जागरूक नागरिक के तौर पर मैं समाज में घटने वाली तमाम हलचलों पर नजर रखती हूं। और समाज की बेहतरी के लिए उनके संबंध में अपनी राय भी जाहिर करती हूं।

लेकिन कल दिनांक 10 अक्टूबर 2018 को श्रीनगर (गढ़वाल) के महिला थाने की थानाध्यक्ष श्रीमती नीरजा यादव द्वारा मेरे साथ जिस तरह का धमकी भरा सलूक किया गया, उससे मैं हतप्रभ हूं। महिला थानाध्यक्ष श्रीमती नीरजा यादव द्वारा मुझे मुकदमें में फंसाने की धमकी दी गयी और वह भी इसलिए कि मैंने व्हाट्स ऐप के एक ग्रुप में एक फोटो के साथ संक्षिप्त टिप्पणी लिखी।

महोदय,वाकया यह है कि महिला थानाध्यक्ष श्रीमती नीरजा यादव के नेतृत्व में विश्वविद्यालय गेट के समीप हेलमेट के बिना वाहन चलाने वालों की चेकिंग की जा रही थी। लेकिन यह काम जिस जगह पर किया जा रहा था,वह वाहनों के आवागमन के लिहाज से बेहद व्यस्त जगह है. व्यस्त ट्रेफिक वाले स्थान पर सड़क के बड़े हिस्से में पुलिस की गाड़ी पार्क करके,महिला थानाध्यक्ष श्रीमती नीरजा यादव की अगुवाई में पुलिस कर्मी बाकी बची सड़क को घेर कर बिना हेलमेट वाले दो पहिया वाहनों को रोक रही थी,जो दुर्घटनाओं को न्यौता देने जैसा ही था। प्रश्न यह भी है कि क्या महिला थानाध्यक्ष को यह अधिकार है कि वे व्यस्त यातायात वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर अपने सरकारी वाहन को सड़क में खड़ा करें ? अगर हेलमेट के बिना दो पहिया वाहन चलाना गैरकानूनी है तो क्या महिला थाना अध्यक्ष द्वारा अपना वाहन राष्ट्रीय राजमार्ग को घेर कर खड़ा करना कानून-सम्मत है ?

महोदय,

इसी बात पर सड़क में खड़े पुलिस वाहन की फोटो सहित एक संक्षिप्त टिप्पणी, “शहर संदेश” नामक व्हाट्स ऐप ग्रुप में मैंने लिखी। अपनी टिप्पणी में मैंने लिखा कि “ये पुलिस की गाड़ी यातायात के नियमों का पालन करने के लिए उल्टी तरफ खड़ी कर के नियम न मानने वालों के खिलाफ चालान कटवा रही है। इनकी इस तरह गाड़ी खड़ी करने से जाम लग रहा है. पुलिस नियमों का खुद पालन नहीं कर रही है और जनता से नियमों का पालन करने के लिए चालान ……”

ह्वाट्सएप टिप्पणी।

महोदय, यह एक संक्षिप्त टिप्पणी है,जिसमें कुछ भी अभद्र या आपत्तिजनक नहीं है। लेकिन शाम को बाजार में जब महिला थानाध्यक्ष श्रीमती नीरजा यादव ने मुझे देखा तो उन्होंने,मुझे बुला कर धमकाते हुए कहा, “आपने मेरा फोटो खींचा,आपने बिना मेरी अनुमति के मेरा पर्सनल फोटो कैसे खींच दिया ? आप पर मुकदमा ठोक दूंगी।”

महोदय, अव्वल तो मेरे द्वारा महिला थानाध्यक्ष का कोई व्यक्तिगत फोटो नहीं खींचा गया। मेरे द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग के एक हिस्से को घेर कर खड़े,उनके सरकारी वाहन का फोटो खींचा गया। जो टिप्पणी मैंने व्हाट्स ऐप के ग्रुप में भी पोस्ट की,उसमें भी उनका उल्लेख नहीं है। पर फर्ज कीजिये कि पुलिस की वर्दी में उनका फोटो होता भी तो क्या ये उनका पर्सनल फोटो होता ? मेरी अधिकतम जानकारी और समझ के हिसाब से वर्दी तो सरकारी है,वह कम से कम अभी तक किसी की पर्सनल यानि निजी मिल्कियत नहीं हुई है। 

लेकिन महोदय,महिला थानाध्यक्ष श्रीमती नीरजा यादव द्वारा व्हाट्स ऐप में डाले गए एक फोटो और एक संक्षिप्त टिप्पणी के लिए सरेबाजार मुकदमा ठोक देने की धमकी देना बेहद आपत्तिजनक है और यह कानून सम्मत कृत्य भी नहीं है। यह सीधे-सीधे धमकाने और भयभीत करने वाला कारनामा है और भारत का कानून किसी पुलिस अधिकारी को यह अधिकार नहीं देता कि वह वर्दी का रौब गांठते हुए, किसी सामान्य नागरिक को धमकाए।

महोदय,महिला पुलिस का कार्य तो यह होना चाहिए कि वह महिलाओं को समाज में सुरक्षित होने की अनुभूति प्रदान करे। पर यहां तो ठीक उल्टा परिदृश्य है कि महिला थानाध्यक्ष श्रीमती नीरजा यादव द्वारा एक छात्रा को महज एक व्हाट्स ऐप टिप्पणी के लिए मुकदमें में फँसाने की धमकी दी जा रही है ! यह तो महिला थाने के औचित्य पर ही प्रश्नचिन्ह लगाने जैसा है

महोदय,

महिला थानाध्यक्ष श्रीमती नीरजा यादव द्वारा मुकदमे में फंसाए जाने की धमकी दिये जाने से बेहद आशंकित हूँ कि वे मुझे किसी भी झूठे मामले में फंसा सकती हैं। उक्त के आलोक में मेरा आपसे निवेदन है कि यह सुनिश्चित करने की कृपा करें कि महिला थानाध्यक्ष श्रीमती नीरजा यादव अपने पद का दुरुपयोग करके मेरे खिलाफ किसी तरह की दुराग्रहपूर्ण और द्वेषपूर्ण कार्यवाही न कर सकें। साथ ही अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण करते हुए उनके विरुद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाये तो ताकि कोई भी पुलिस कर्मी,सामान्य नागरिकों को इस तरह धमका न सके।

उचित कार्रवाई की आशा में,

सहयोगाकांक्षी,

शिवानी पाण्डेय

पूर्व छात्रा प्रतिनिधि,छात्र संघ 

हे.न.ब.गढ़वाल विश्वविद्यालय 

श्रीनगर(गढ़वाल)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles