भारत में हिन्दू राष्ट्र कायम करने के लिए साम्प्रदायिक-फासीवादी सियासी ताकतों की लगातार बढ़ती चुनौतियों के खिलाफ सभी वामपंथी दलों की कारगर एकता के तात्कालिक लक्ष्य और कम्युनिस्ट पार्टियों के एकीकरण के दीर्घकालिक रणनीतिक उद्देश्य के वास्ते कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया मार्कसिस्ट (सीपीएम) यानि माकपा की उत्तरी केरल के मनोरम कन्नूर नगर में 6 अप्रैल से शुरू हुई 23वीं कांग्रेस (सम्मेलन) का पहला दिन कुल मिलाकर अच्छा माना जा सकता है। इस कांग्रेस के उद्घाटन के मौके पर आमंत्रित कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) यानि भाकपा के महासचिव और पूर्व राज्यसभा सदस्य दोरायसामी राजा (डी राजा), तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) नेता एम के स्टालिन खुद आए , कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया मार्कसिस्ट लेनिनिस्ट लिबरेशन (सीपीआईएमएल-लिबेरेशन) यानि भाकपा माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य , ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के मनोज भट्टाचार्य और रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) समेत तमाम वामपंथी दलों ने लिखित शुभकामना संदेश भेजे। पार्टी कांग्रेस हर तीन बरस पर आयोजित किये जाते हैं। पिछली पार्टी कांग्रेस तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में हुई थी। कन्नूर में पहली बार पार्टी कांग्रेस हो रही है। वैसे इसे मिलाकर केरल में पार्टी कांग्रेस का यह चौथा अवसर है।
माकपा के इस सम्मेलन के तहत शनिवार को ‘ केंद्र-राज्य संबंध ‘ विषय पर सेमिनार में कांग्रेस के दिग्गज प्रांतीय नेता के वी थॉमस और तिरुवनंथपुरम से लोक सभा सदस्य शशि थरूर को भी आमंत्रित किया गया। बताया जाता है कि इसमें भाग नहीं लेने की कांग्रेस आलाकमान की हिदायत पर थरूर ने आमंत्रण अस्वीकार कर दिया है। लेकिन केवी थॉमस ने इसमें वक्ताओं के रूप में भाग लेने या न लेने पर अभी अंतिम निर्णय नहीं किया है। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन सेमिनार का उद्घाटन करेंगे।
सीपीएम सेंट्रल कमेटी के सदस्य रहे और नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में शिक्षित 70+ वर्षीय सिद्धांतकार सुनीत चोपड़ा सात अप्रैल की सुबह फेसबुक पर अतिसंक्षिप्त पोस्ट में अंग्रेजी में लिखा : वेल बिगन इज हाफ डन। बहरहाल, उन्होंने रूस में जारशाही के विरुद्ध 1917 की सफल जन क्रांति के जनक व्लादीमिर इल्यिच उल्यानोव लेनिन 22 अप्रैल 1870 से 21 जनवरी 1924 की प्रसिद्ध पुस्तक के शीर्षक से प्रेरित इस सवाल का जवाब तत्काल नहीं दिया है कि , बट नाऊ व्हाट इज टू बी डन ?
माकपा कांग्रेस के पहले दिन पार्टी के आला नेताओं और वक्ताओं ने भारत के पिछले करीब आठ बरस से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को अलग-थलग कर उसकी चुनावी पराजय सुनिश्चित करने के लिए देश में वामपंथी , धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक सियासी ताकतों की एकता पर जोर दिया। यह बात माकपा के राजनीतिक प्रस्ताव के ड्राफ्ट में भी फिर से उकेरी गई है। लेकिन इस तरह की किसी भी एकता में कॉंग्रेस की भूमिका के बारे में ड्राफ्ट पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है। ये ड्राफ्ट रिपोर्ट माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने ही पेश किया। खबर है कि पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच बहस के लिए पहले से पेश इस ड्राफ्ट में संशोधन लाने के लिए करीब चार हजार प्रस्ताव पेश किये गए हैं।
हालांकि , सीताराम येचुरी ने पार्टी कांग्रेस के उद्घाटन भाषण में इस एकता में कांग्रेस समेत सभी सियासी दलों के साथ आने का खुला आह्वान किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और कुछेक क्षेत्रीय दलों को भारत गण राज्य के धर्म निरपेक्ष लोकतांत्रिक चरित्र की हिफाजत के लिए अपने-अपने संगठन को चाक चौबंद करना होगा। इसमें किसी भी तरह के मझौतापरस्त वैचारिक विचलन और लापरवाही इन दलों से सांप्रदायिक फासीवादी सियासी ताकतों की तरफ पलायन ही होगा, जैसा पहले भी हो चुका है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार पेट्रोल और डीजल के दाम दैनिक आधार पर बढ़ाकर लोगों पर आर्थिक बोझ डाल रही है। लोगों को पहले से बेरोजगारी, गरीबी और भूख की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ( आरएसएस ) और भाजपा लोगों के बीच हिन्दुत्व की अस्मिता थोपने में सफल रही है। वे भारतीय समाज में धार्मिक आधार पर घृणा और हिंसा से ध्रुवीकरण बढ़ा रहे हैं। ये ध्रुवीकरण ही उनकी चुनावी रणनीति का मुख्य आधार है। ऐसे में हम अकेले ही आरएसएस- भाजपा को चुनावों में अलग-थलग नहीं कर सकते हैं।
सीताराम येचुरी की यह लाइन माकपा की केरल इकाई की उस लाइन से अलग है जिसमें कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने से साफ इनकार कर दिया गया है। पार्टी काँग्रेस की आयोजन कमेटी के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने इसमें भाग लेने देश भर से आए अतिथियों, डेलीगेटों और ऑब्जर्वर के स्वागत भाषण में जोर देकर कहा कि भाजपा और कांग्रेस एक समान नीतियों पर ही चल रही हैं। माकपा की यह कांग्रेस केरल में पिनराई विजयन सरकार के दूसरे कार्यकाल की दूसरी वर्षगांठ पर आयोजित की गई है।
लेकिन येचुरी ने जोर देकर ये भी कहा कि हमें वैचारिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक क्षेत्रों में सतत प्रयासों से आगे बढ़ना होगा। हमारा प्राथमिक लक्ष्य सीपीएम की स्वतंत्र ताकत में वृद्धि लाना और उसकी हस्तक्षेपकारी क्षमताएं बढ़ाना है। केरल की वाम सरकार ने नवउदारवादी नीतियों के खिलाफ धर्म, जाति , जेंडर और भाषा में भेदभाव किये बगैर सभी लोगों के लिए समतापूर्ण समाज विकसित करने का एक रास्ता दिखाया है।
सीपीएम पोलितब्यूरो सदस्य एम ए बेबी ने कांग्रेस से सांप्रदायिकता के खिलाफ साफ स्टैन्ड लेने का आग्रह करते हुए कहा कि “ हम भाजपा की पराजय सुनिश्चित करने के लिए शैतान से भी हाथ मिलाने के लिए तैयार हैं।“
त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री और सीपीएम पोलित ब्यूरो सदस्य माणिक सरकार की अध्यक्षता में संचालित उद्घाटन सत्र को भाकपा महासचिव डी राजा ने भी संबोधित कर देश में वामपंथी,धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक सियासी ताकतों की एकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि वक्त का तकाजा है कि समाज की सभी प्रगतिशील , धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताकतें संयुक्त मोर्चा बनाएं।
(सीपी नाम से चर्चित पत्रकार,यूनाईटेड न्यूज ऑफ इंडिया के मुम्बई ब्यूरो के विशेष संवाददाता पद से दिसंबर 2017 में रिटायर होने के बाद बिहार के अपने गांव में खेतीबाड़ी करने और स्कूल चलाने के अलावा स्वतंत्र पत्रकारिता करते हैं।)