Saturday, April 20, 2024

क्या भारत की चुनाव प्रक्रिया में भी हुआ था हेरफेर? गार्जियन की रिपोर्ट से उठ सकता है बवंडर

पत्रकारों के एक अंतर्राष्ट्रीय कंसोर्टियम की एक खोजी रिपोर्ट आने वाले दिनों में भारतीय राजनीति में भूचाल ला सकती है। द गार्जियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक इज़रायल की एक जासूसी फर्म ने 30 से ज्यादा देशों के चुनाव को मैनिपुलेट किया है।

इस रिपोर्ट में भारत के बारे में कोई सटीक जानकारी नहीं दी गई है लेकिन इसमें दिखाए गए एक वीडियो से इस बात की आशंका बढ़ गई है कि भारत उन देशों की लिस्ट में हो सकता है जहां चुनाव के नतीजों को मैनिपुलेट किया गया।

आरोपों के घेरे में आई इज़रायल की जासूसी फर्म को रिपोर्ट में बतौर ‘टीम जॉर्ज’ दिखाया गया है। आरोप है कि इस फर्म ने साइबर टूल्स का गलत इस्तेमाल कर चुनाव के नतीजे प्रभावित किए हैं और इसके लिए हैकिंग से लेकर सोशल मीडिया पर गलत जानकारी फैलाने तक का काम किया गया है।

‘टीम जॉर्ज’ नाम का ये ग्रुप ताल हनान नाम का शख्स चलाता है जो पहले इज़रायली स्पेशल फोर्स का हिस्सा रह चुका है। ताल हनान ऑपरेशन्स के लिए ‘जॉर्ज’ नाम का इस्तेमाल करता है।

हालांकि इस पूरी खबर को एक स्टिंग ऑपरेशन की मदद से दुनिया के सामने लाया गया है। इसमें तीन अंडरकवर रिपोर्टरों ने खुद को बतौर क्लाइंट दिखाया और टीम से संपर्क किया। पिछले साल जुलाई से लेकर दिसंबर तक के दौरान इन रिपोर्टरों ने
‘जॉर्ज’ के साथ कई मीटिंग्स की। इनमें से ज्यादातर ऑनलाइन बैठकें थीं और एक बैठक उसके इज़रायल वाले दफ्तर में भी की गई।

इन मीटिंग्स को खुफिया कैमरे से रिकॉर्ड किया गया। इन रिकॉर्डिंग्स में दिखाया गया है कि ये तीनों लोग तेल अवीव के नजदीक किसी जगह पर मौजूद जॉर्ज’ के दफ्तर में आमने सामने बैठे हैं। रिकॉर्डिंग्स में ‘जॉर्ज’ को ये कहते दिखाया गया है कि वो अपनी आइडेंटिटी को छुपा कर काम करता है।

ये पूरी रिकॉर्डिंग 6 घंटे की है। फुटेज में इस शख्स ने दावा किया है कि उनकी टीम साइबर सिक्युरिटी, स्पेशल ऑपरेशंस, इंटेलीजेंस, हैकिंग और दूसरे माध्यमों से संवेदनशील जानकारी निकालने में माहिर है।

‘टीम जॉर्ज’ के संचालक ताल हनान

‘जॉर्ज’ ने ये भी कहा है कि उसने 33 देशों के राष्ट्रीय चुनावों को मैनिपुलेट करने की कोशिश की जिसमें से 27 में वो कामयाब भी रहे हैं।

इन रिकॉर्डिग्स से ये साफ होता है कि कैसे ये क्लाइंट्स के विरोधियों की सीक्रेट जानकारी इकट्ठा करते हैं। कैसे जीमेल और टेलीग्राम अकाउंट्स तक पहुंचने के लिए हैकिंग टेकनीक का इस्तेमाल किया गया है। दरअसल इतने बड़े लेवल की हैकिंग के लिए जिस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल हो रहा था वो है एडवांस्ड इंपैक्ट, मीडिया सॉल्यूशन यानी AIMS।

बताया गया कि इस बॉट के ज़रिए कई तरह की फेक सोशल मीडिया आर्मीज़ को कंट्रोल किया जा सकता है, जिनमें फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, जीमेल और एमेज़न और एयरबीएनबी भी शामिल हैं। इनका दावा है कि टीम के पास 30 हज़ार बॉट अकाउंट्स है, जिनका इस्तेमाल वो गलत जानकारी और फेक न्यूज़ फैलाने के लिए करते हैं।

‘जॉर्ज’ ने बताया कि AIMS बॉट को एसएमएस लिंक्ड फोन नंबर्स और क्रेडिट कार्ड्स के साथ जोड़ा गया है।

हालांकि इस रिपोर्ट में ये बात भी ज़ाहिर हुई कि चुनाव के अलावा इनके काम में कैलिफोर्निया में न्यूक्लियर पावर विवाद, कनाडा में मीटू विवाद, फ्रांस में यूएन अधिकारी रॉजर नॉर्जिया से जुड़ा विवाद भी रहा है।

अपने एक लीक हुए ईमेल में इन्होंने अपनी फीस 4000,000-600,000 डॉलर प्रति महीना बताई ।

खास बात ये है कि इस स्टिंग ऑपरेशन को फ्रांस की एनजीओ फॉरबिडन स्टोरीज़ के सहयोग से अंजाम दिया गया। इस संस्था का मिशन मारे गए, धमकी दिए गए या जेल में बंद पत्रकारों के काम को आगे बढ़ाना है, एनजीओ 55 साल की पत्रकार गौरी लंकेश के काम को अपनी प्रेरणा बताता है।

बता दें कि गौरी लंकेश को 2017 में बेंगलुरु में उनके घर में ही गोली मारी गई थी । द गार्जियन के मुताबिक हत्या के कुछ घंटे पहले गौरी लंकेश इन द एज ऑफ फॉल्स न्यूज़ नाम को फाइनल टच दे रही थीं। ये रिपोर्ट इस बात को लेकर थी कि
कैसे देश में तथाकथित फेक इनफॉरमेशन फैलाई जा रही थी।

गार्जियन के खुलासे को लेकर अब विपक्ष ने भी तीखे तेवर दिखाना शुरू कर दिया है। कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार से पूछा कि क्या वो इस मामले की जांच करना चाहेगी। क्या सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इसकी जांच होगी।

उन्होंने कहा कि विदेशी कंपनियां भारत में चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश कर रही हैं। हालांकि अब सबकी नजर इस रिपोर्ट के दूसरे खुलासे पर लगी है।

उम्मीद की जा रही है कि उसके बाद इस स्टिंग ऑपरेशन और चुनाव मैनिपुलेशन की सारी कहानी ज्यादा साफ हो पाएगी। और अगर भारत में चुनाव मैनिपुलेशन की खबर पुख्ता तरीके से सामने आती है तो ये सरकार के लिए बड़ी चिंता का सबब बन सकती है।

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