नई दिल्ली। कैफे काफी डे के मालिक वीजी सिद्धार्थ की खुदकुशी महज एक घटना नहीं बल्कि कारपोरेट वर्ल्ड में चल रही बड़ी हलचल का एक संकेत भर है। सिद्धार्थ ने अपनी परेशानियों को लेकर प्रतिक्रिया का जो तरीका अपनाया उसे किसी भी रूप में सही नहीं करार दिया जा सकता है। लेकिन इस हिस्से के बुहत सारे लोग कुछ इसी तरह की स्थितियों से गुजर रहे हैं। और अब उनका गुस्सा धीरे-धीरे सार्वजनिक भी होने लगा है।
इस कड़ी में नया नाम राहुल बजाज का है। बजाज ग्रुप के मालिक राहुल बजाज ने कंपनी की वार्षिक बैठक में सरकार के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली। उन्होंने आटोमोबाइल इंडस्ट्री में कम बिक्री के लिए सीधे तौर पर सरकार को जिम्मेदार ठहराया।
बैठक में बजाज ने कहा कि “कोई मांग नहीं है और न ही निजी निवेश है। ऐसे में ग्रोथ कहां से आएगी? यह आसमान से तो गिरेगी नहीं। आटो उद्योग बेहद कठिन दौर से गुजर रहा है। कार, कामर्शियल वेहिकल और टू ह्वीलर बेहद कठिन दौर में हैं।”
यहां तक कि बजट ने भी उसमें कोई सहयोग नहीं किया। सरकार ने सुपर अमीर लोगों पर टैक्स लगा दिया इसके अलावा बिजनेस स्टैंडर्ड ने रिपोर्ट किया था कि फारेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर के लिए सेबी ने अलग से रजिस्ट्रेशन का प्रावधान कर दिया है। इन नियमों के खिलाफ गुस्सा बढ़ता जा रहा है।
आर्थिक ग्रोथ की धीमी दर और उसकी साख भी बहुत ज्यादा मदद नहीं कर रही है। अभी तक कारपोरेट के बड़े घराने ग्रोथ की साख संबंधी बहस से बाहर रहे हैं। जैसा कि 108 अर्थशास्त्रियों और 131 चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ने उसमें हिस्सा लिया था।
राहुल बजाज ने कहा कि “सरकार इसको कहे चाहे न कहे लेकिन आईएमएफ और विश्वबैंक की तरफ से इस मामले को बिल्कुल साफ तौर पर चिन्हित किया गया है जो दिखाता है कि पिछले तीन से चार सालों के बीच ग्रोथ दर में गिरावट आय़ी है। किसी भी सरकार की तरह वो एक प्रसन्न चेहरा दिखाना पंसद जरूर करेंगे लेकिन सच्चाई तो सच्चाई है।”
इस बीच उनके पुत्र राजीव बजाज ने कहा था कि इलेक्ट्रिक गाड़ियों को लेकर सरकार की नीति ने सबको भ्रम में डाल दिया है।
इस मामले में बजाज अकेले नहीं हैं। गोदरेज ग्रुप के चेयरमैन आदि गोदरेज ने भी कहा कि निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किया गया बजट ग्रोथ के हिसाब से अच्छा नहीं है। इसके साथ ही गोदरेज ने एक संवेदनशील क्षेत्र को भी छुआ उन्होंने कहा कि बढ़ती असहिष्णुता देश की ग्रोथ रेट को प्रभावित कर रही है।
इन्वेस्टर और आथर बसंत माहेश्वरी ने अभी हाल में एक ट्वीट के जरिये कहा था कि “जीएसटी और इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर दूसरे चार्जेज को कम करना मांग को बढ़ावा नहीं देगा। वहां कोई इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है। लोग इसलिए अपनी प्राथमिकताएं नहीं बदल देंगे क्योंकि इलेक्ट्रानिक गाड़ियां सस्ती हैं। हालांकि यह निश्चित तौर पर नामचीन आटो की बिक्री पर असर डालेगा।”
कारपोरेट की तरफ से यह बिल्कुल एक अनअपेक्षित पहल है क्योंकि यह हिस्सा 2016 की नोटबंदी तक में सरकार की आलोचना से दूर रहा था। बिल्कुल साफ तरीके से एक विपरीत दौर में चीजें पहंच गयी हैं।
इक्विटी इंटेलिजेंस के सीईओ पोरिंजु वेलियाथ ने बजट के बाद कहा था कि भारत 5 ट्रिलियन इकोनामी का ख्वाब देखता है, 2025 तक ग्राफ्ट फ्री, डबल डिजिट, फ्री मार्केट संचालित, नियम आधारित और उदार अर्थव्यवस्था! यह निश्चित तौर पर किया जा सकता है लेकिन मैं बजट के एक हिस्से से बहुत डरा हुआ हूं- यह जो दिशा दिखाता है उससे ग्रोथ रेट 4 फीसदी पर जा सकती है।