Friday, March 29, 2024

क्या कोसी महासेतु बन पाएगा जनता और एनडीए के बीच वोट का पुल?

बिहार के लिए अभिशाप कही जाने वाली कोसी नदी पर तैयार सेतु कल देश के हवाले हो गया। पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार ने वर्चुअल तरीके से इस महा सेतु का उद्घाटन कर महा चुनावी वोट का खेल भी शुरू किया है। अगर कोसी इलाके और मिथिलांचल के लोग इस सेतु के नाम पर एक होकर मोदी और नीतीश के नाम पर शंख घोष कर दिए तो महा गठबंधन की लुटिया डूब जायेगी।

एनडीए के लोगों की नजरें कोसी और मिथिलांचल के लोगों को अपने पक्ष में करने पर टिकी हैं और इसके लिए बाकायदा संघ के लोग घर -घर पहुंच भी रहे हैं। लेकिन याद रहे यह इतना आसान भी नहीं है। जदयू की कोशिश कोसी इलाके से अधिक सीटें पाने की है तो बीजेपी की कोशिश मिथिलांचल को अपने झोली में समेटने की। दोनों के अपने -अपने दांव हैं और इस दांव में बहुत सी जातियां ऐसी हैं जो लालू को भक्ति के हद तक प्यार करती हैं। कुछ कांग्रेसी हैं तो कुछ पप्पू यादव के समर्थक।

कोसी महासेतु पर मोदी का बयान

इस महासेतु के उद्घाटन के समय पीएम मोदी ने क्या कहा उसे गौर से पढ़ा जाना चाहिए। पीएम ने कहा ”अटल जी की सरकार जाने के बाद कोसी रेल परियोजना की रफ्तार भी उतनी ही धीमी हो गई। अगर मिथिलांचल और बिहार के लोगों की फिक्र केंद्र की पिछली सरकार को होती तो क्या इनके लिए काम नहीं होता। लेकिन दृढ़ निश्चय हो और नीतीश जी जैसा सहयोगी तो क्या संभव नहीं है। मिट्टी रोकने की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए काम पूरा किया गया। बाढ़ से हुए भीषण नुकसान की भी भरपाई की गई। आज कोसी महासेतु होते हुए सुपौल, आसनपुर और कुपहा के बीच ट्रेन सेवा शुरू होने से सुपौल, अररिया और सहरसा जिले के लोगों को बहुत फायदा होगा। यही नहीं इससे उत्तर-पूर्व के यात्रियों के लिए भी वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध होगा। आठ घंटे की रेल यात्रा अब आधे घंटे में पूरी हो जाएगी। ”

इस सेतु की टाइमिंग भी गजब है। साल भर पहले ही यह सेतु बनकर तैयार था। लेकिन उद्घाटन नहीं हो सका। बीजेपी और जदयू नेताओं ने मंत्रणा कर ली थी कि ठीक चुनाव से पहले इसे खोला जाएगा और बाढ़ में हुई बर्बादी को भूलकर लोग खुश हो जाएंगे। सरकार का कीर्तन गायेंगे और सारे दुःख भूलकर वोट भी देंगे। यह कहानी ठीक वैसी ही है जब 2015 में बिहार में एक और एम्स  देने की घोषणा की गई थी। इतने साल गुजर गए और अब जाकर फिर पीएम ने दरभंगा में एम्स बनाने का ऐलान किया है। मजे की बात तो यह है कि दरभंगा का एम्स 2024 में बनकर तैयार होगा तब सामने लोक सभा चुनाव होगा। कह सकते हैं कि एम्स के ऐलान पर भी चुनावी खेल और उद्घाटन पर भी चुनावी खेल। नेताओं के इस खेल को शायद बिहारी समाज समझ नहीं पाता। जब बातें समझ में आती हैं तब तक डाका डालकर पार्टियां निकल चुकी होती हैं।

नीतीश कुमार ने क्या कहा

हर लाभ-हानि की राजनीति को भांपने वाले सीएम नीतीश कुमार ने इस मौके पर कहा कि ”कभी बिहार के दूर-दराज के इलाकों में रेल सेवा की बड़ी दिक्कत थी। लेकिन हाल के 5 सालों में इस पर बहुत काम हुआ। दशकों से विकास से वंचित लोगों को नई गति मिली। आज मिथिला और कोसी क्षेत्र को जोड़ने वाला महासेतु और सुपौल रेल लाइन बिहार वासियों को समर्पित है। 90 साल पहले आए भूकंप ने इस लाइन को तबाह कर दिया था। लेकिन ये भी संयोग है कि एक वैश्विक महामारी के बीच ही इसे चालू किया जा रहा है।”

कोसी इलाके का सच

याद रहे बिहार का कोसी इलाका काफी बड़ा है और इसमें दर्जन भर जिले हैं। इन जिलों की अलग-अलग राजनीति है और जातीय समाजशास्त्र भी। अलग -अलग दबंग नेताओं ने इस इलाके की राजनीति को धार दिया है लेकिन एक बात सबके लिए बराबर है कि कोसी का इलाका भयंकर बाढ़ पीड़ित, गरीबी, बेरोजगारी और बीमारी से त्रस्त रहा है। पलायन इस इलाके की नियति है और बाहर से भेजे गए पैसे से ही इन इलाकों की जिंदगी कटती है। पूरी तरह ये इलाका  मनीऑर्डर इकॉनमी पर टिका है।

पिछले विधान सभा चुनाव में इस इलाके से राजद और नीतीश की पार्टी को काफी सीटें मिले थीं। महागठबंधन की सरकार बनाने में इसी कोसी बेल्ट की भूमिका थी। फिर लोकसभा चुनाव में भी इस बेल्ट ने नीतीश और बीजेपी को खूब वोट दिया था। इस बार यह बेल्ट फिर से राजनीतिक दलों के रडार पर है। यहां जदयू की निगाहें तो लगी ही हैं बीजेपी को भी लग रहा है कि जिस तरह से लोकसभा चुनाव में इस बेल्ट ने साथ दिया, इस बार भी साथ देगा। उधर महागठबंधन की नजरें भी इसी इलाके पर हैं। सच यही है कि जिस पार्टी को कोसी इलाका जिताएगा उसी पार्टी या गठबंधन की पटना में सरकार बनेगी।

कोसी -मिथिला का मिलान

कोसी महासेतु के उद्घाटन पर नीतीश कुमार ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने मुझे रेलमंत्री बनाया था। उस समय जून, 2003 में ही कोसी महासेतु का शिलान्यास किया था। साथ ही तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी ने मैथिली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने का आश्वासन दिया था, जिसे शामिल कर लिया गया है। आज पूर्व पीएम अटल जी का कोसी महासेतु का सपना साकार हुआ है। याद रखिये नीतीश कुमार की ये बातें काफी महत्वपूर्ण हैं और इसका लाभ मिलना तय है। कोसी और मिथिला का मिलान कोई मामूली बात नहीं। अगर इस दोनों इलाकों का राजनीतिक मिलान हो जाए तो सत्ता बन भी जाए और बिगड़ भी जाए।

बता दें कि 1934 के भूकंप ने बिहार के कोसी क्षेत्र को मिथिलांचल से अलग कर दिया। एक संस्कृति बंट गई। अब बीजेपी नेताओं ने इसे प्रचारित करना भी शुरू कर दिया है। 90 साल बाद मिथिला और कोसी की एकता नीतीश और मोदी सरकार में संभव। यह कोई मामूली खेल नहीं है। जनता जाग गई और भावना पर चली गई तो बीजेपी और जदयू को लाभ मिलेगा ही। लेकिन यह भी सच है कि बिहार का मिजाज एक जैसा नहीं रहता।

(अखिलेश अखिल वरिष्ठ पत्रकार हैं। और बिहार की राजनीति पर गहरी पकड़ रखते हैं।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles