क्या खोरी में कल हो पाएगी महापंचायत, घुस पाएंगे किसान नेता चढ़ूनी?

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फ़रीदाबाद। खोरी में तनाव बढ़ रहा है। बुधवार को खोरी में क्या होगा, कोई नहीं जानता। खोरी गाँव में बसे यूपी-बिहार के प्रवासी लोगों ने कल खोरी के आंबेडकर पार्क में महापंचायत बुलाई है। चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात है।

 सरकार और प्रशासन ने इस महापंचायत को किसी तरह की अनुमति नहीं दी है। खोरी में धारा 144 पहले से ही लगी हुई है। महापंचायत को संबोधित करने किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी आ रहे हैं। खोरी के लोगों ने मज़दूर आवास संघर्ष समिति का गठन किया है, उसी के बैनर तले यह महापंचायत बुलाई गई है। संघर्ष समिति का पोस्टर देर शाम को जारी किया गया। हालांकि किसान नेता के एक हफ़्ता पहले ही आने की घोषणा की गई थी, तब इस पर प्रशासन ने तवज्जो नहीं दिया था।

इस संबंध में आज शाम को फ़रीदाबाद पुलिस से जब पूछा गया तो उसके एक अधिकारी ने कहा कि हम क़ानून व्यवस्था हर हालत में बरकरार रखेंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या पुलिस और प्रशासन कल इस महापंचायत को होने देगी, अधिकारी ने कहा कि यह आप ज़िला प्रशासन से पूछिए। ज़िला प्रशासन के अफ़सर इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं।

दरअसल, तमाम राजनीतिक दल खोरी के मुद्दे की आड़ में यहाँ घुसपैठ की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन किसान नेताओं का मामला अलग है। सबसे पहले यहाँ आम आदमी पार्टी ने खोरी के लोगों की सहानुभूति बटोरने के नाम पर यहाँ तमाशा किया। ‘आप’ के नेताओं ने खोरी के हक़ में बयान देकर माहौल बनाने की कोशिश की। फिर पार्टी के हरियाणा प्रभारी और राज्यसभा सांसद डॉ सुशील गुप्ता ने यहाँ का दौरा किया। प्रेस कॉन्फ़्रेंस की और पिछले 22 जून को खोरी के लोगों के साथ प्रधानमंत्री निवास तक मार्च का ऐलान कर दिया। 

22 जून को सुशील गुप्ता दिल्ली फ़रीदाबाद सीमा के पास सरायख्वाजा पहुंचे और वहां खोरी के लोगों का इंतजार करने लगे, ताकि दिल्ली कूच किया जा सके। लेकिन वहां खोरी से कोई नहीं पहुंचा। सुशील गुप्ता ने आप ज़िला अध्यक्ष धर्मवीर भड़ाना के जरिए मीडिया को बुलाया और पुलिस वालों के सामने कहा कि पुलिस खोरी के लोगों को पीएम निवास कूच करने के लिए सरायख्वाजा आने नहीं दे रही है, इसलिए वे गिरफ्तारी दे रहे हैं। सुशील गुप्ता के इस बयान पर साइड में खड़े पुलिस वाले भी हंसते रहे। खैर पुलिस ने उनको गिरफ्तार करने की औपचारिकता पूरी की। कुछ देर बाद धर्मवीर भड़ाना को सूरजकुंड पुलिस ने गिरफ्तार करने की रस्म अदा की। आम आदमी पार्टी इस मामले में मीडिया कवरेज चाहती थी जो उसे मिल गई। आप इसके बाद खोरी के लोगों को उनके हाल पर छोड़कर वहाँ से खिसक गई है। आप सुप्रीमो अरविन्द केजरीवाल एक बार भी खोरी नहीं आए।

बसपा भी तलाश रही ज़मीन 

बसपा सुप्रीमो मायावती ने पिछले बुधवार को खोरी के मुद्दे पर ट्वीट करके हलचल पैदा करने की कोशिश की। मायावती ने अपने ट्वीट के जरिए कहा है कि सरकार खोरी के लोगों को उजाड़ने से पहले उनके पुनर्वास का इंतजाम करे। मायावती ने लिखा- जनहित, जनसुरक्षा व जनकल्याण को संवैधानिक दायित्व स्वीकारते हुए हरियाणा सरकार को फरीदाबाद के खोरी गाँव में वर्षों से बसे लोगों को उजाड़ने से पहले उनके पुनर्वास की भी जिम्मेदारी निभानी चाहिए, बीएसपी की यह सलाह व माँग। हालांकि इसी मुद्दे पर मायावती से भी पहले भीम आर्मी के अध्यक्ष चन्द्रशेखर रावण ने कहा था – सरकार दिल्ली-फरीदाबाद की सीमा पर बसे खोरी गांव में हजारों घरों को हटाने के फिराक में है। लोगों की जिंदगी खतरे में है। 

पर, राजनीतिक दलों को जिस तरह संगठित होकर आंदोलन चलाना चाहिए वह खोरी के मामले में दिखाई नहीं दे रहा। इसलिए यहाँ के एक लाख लोगों को अब कुंडली बॉर्डर पर बैठे किसान नेताओं से ही कुछ उम्मीद है।

इस तरह कल पहली बार खोरी गाँव के लोग और प्रशासन आमने सामने होगा। सुप्रीम कोर्ट ने खोरी गाँव के अतिक्रमण को हटाने के लिए डेढ़ महीने का समय दिया है। जिसमें से दो हफ़्ते निकल चुके हैं।

अरावली की पहाड़ियों में बसा हुआ खोरी गांव कोई नया गांव नहीं है। बल्कि 50 साल पुराना असंगठित क्षेत्र के मजदूर परिवारों का गांव है। 1970 के आसपास में बसा हुआ यह गांव धीरे-धीरे बढ़ता गया और आज 2021 में गांव की आबादी एक लाख तक पहुंच गई। इस गांव में 10,000 घर बने हुए हैं इन घरों में अधिकतम लोग अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति एवं अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। 

2016 में पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने खोरी गांव के लोगों का पुनर्वास करने के संबंध में फैसला सुनाया। इसके बाद फरीदाबाद नगर निगम ने 2017 में इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया।

7 जून 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने खोरी गांव के मजदूर परिवार के घरों को 6 सप्ताह में बेदखल करने का फैसला सुनाया। प्रशासन ने खोरी गांव की बिजली एवं पानी की सुविधा को रोक दिया। लगातार लोग आत्महत्या कर रहे हैं। लोगों को कोरोना की महामारी की वजह से कहीं पर भी किराए पर घर नहीं मिल रहा है। अगर कहीं मिल भी जाता तो आर्थिक तंगी एवं कमजोरी के कारण ले नहीं पा रहे हैं और ना ही लोगों को गांव में कहीं रहने की सुविधा है। जिससे वह गांव भी नहीं जा सकते हैं। ऐसे दौर में मजदूर दुविधा की स्थिति में पड़ा हुआ है। खोरी गांव की छाती पर पुलिस बल तैनात है जिससे लोगों में डर एवं खौफ पैदा हो गया है। कोरोना महामारी की तीसरी लहर की वजह से बच्चे एवं गर्भवती महिलाएं तथा सिंगल महिला संकट की स्थिति में है। 

खोरी के लोगों ने आज कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी का नारा था 2022 तक सबको घर मिलेगा। लेकिन यहां घर छीने जा रहे हैं। जहां झुग्गी वहीं मकान का नारा इस जन्म में क्या साकार होगा ?

खोरी गांव का हर मजदूर परिवार हरियाणा सरकार से पुनर्वास की मांग कर रहा है। कल की महापंचायत में यही माँग फिर से उठेगी। गाँव के एक युवक ने कहा,  हम सब मिलकर इस महापंचायत में तय करेंगे की हम अब इस महामारी में कहा जाएँगे? साथ ही रोज शाम को 6 बजे अपने अपने घर की छत या दरवाजे से थाली बजाकर हरियाणा सरकार एवं केंद्र सरकार से पुनर्वास की मांग करेंगे। अहिंसा के दम पर लड़ेंगे और जीतेंगे। 

(यूसुफ किरमानी वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं।)

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