ग्राउंड रिपोर्ट: आखिर क्यों गुस्से में हैं खेत गिरवी रख कर कुश्ती में नाम कमाने वाले बनारस के पहलवान?

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वाराणसी, उत्तर प्रदेश। बनारस का खानपान, बोली, पानी और पहलवानी दुनिया के कोने-कोने में मशहूर है। कहा जाता है कि जिसका जोड़ कहीं नहीं मिलता, वह बनारस में मिलता है। कुश्ती को लेकर जो दीवानगी बनारस में देखने को मिलती है, वह देश के अन्य हिस्सों में मिलनी दुर्लभ है। कुश्ती को लेकर समर्पण और दीवानगी का आलम यह है कि धूप और बारिश के खलल डालने की वजह से युवाओं ने अभ्यास के लिए अखाड़े को सुरक्षित करने और मैट रूम बनाने के लिए गांव से चंदा जुटाया, लेकिन उतनी धनराशि की व्यवस्था नहीं हो सकी, कि पहलवानी के दांव-पेंच सीखने के लिए मुकम्मल व्यवस्था हो सके।

इस अभियान को पिछड़ता देख एक युवा पहलवान ने अपनी आठ बीघे खेती की जमीन में से दो बीघा जमीन गिरवी रख दी, और उससे मिले पैसे से गांव के उत्तर-पश्चिमी कोने में गुरु दल श्रृंगार अखाड़ा का काम पूरा कराया।

अदमापुर गांव स्थित गुरु दल श्रृंगार अखाड़ा।

दल श्रृंगार अखाड़े की पहली खेप के पहलवान भारतीय सेना, उत्तर प्रदेश पुलिस, सीआरपीएफ, बीएसएफ और इंडियन रेलवे में सेवाएं दे रहे हैं। वहीं, दूसरी खेप अखाड़े की सोंधी मिट्टी में जिला, मंडल, केसरी और राज्य स्तर के खिलाड़ी, विरोधियों को आसमान दिखाने की तैयारी में जुटे हैं। यूं तो अखाड़े की नींव करीब चार दशक पहले ही पड़ चुकी थी, लेकिन पहलवानों के लिए प्रैक्टिस के पूरे संसाधनों का इंतजाम साल 2014-15 के आसपास हुआ। इन दिनों यहां 40 से अधिक लड़के-लड़कियां पहलवानी के गुर सीखने आते हैं। इन्हें ट्रेंड करते हैं 1987 में पहलवानी के ऑल इंडिया चैंपियन रहे उस्ताद दल श्रृंगार यादव। 

दिल्ली के जंतर-मंतर पर 23 अप्रैल से, कुश्ती में देश के लिए मेडल जीतने वाली, महिला पहलवान धरने पर बैठी हैं। इनका आरोप है कि भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद पर काबिज़ भाजपा सांसद बृज भूषण शरण सिंह ने नाबालिग सहित कई खिलाड़ियों का यौन उत्पीड़न और शोषण किया है। इस मुद्दे को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर आंदोलनरत महिला पहलवानों के समर्थन में यूपी के बनारस से आवाज उठने लगी है।

जंतर-मंतर पर धरने में बैठी महिला पहलवान

बनारस पीएम नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र भी है। महिला पहलवानों के समर्थन और पुलिसिया कार्रवाई के खिलाफ काशी हिंदू विश्वविद्यालय, विश्वनाथ मंदिर के पास, अंबेडकर पार्क और नागेपुर में बड़ी तादाद में महिलाओं, छात्राओं और पहलवानों ने तीखा प्रदर्शन किया। वहीं, बनारस के ही आदमपुर (महनाग) गांव के पहलवान द्वारा पीएम मोदी को लिखा गया पत्र इन दिनों सुर्ख़ियों में है।

परिस्थितियों को चित कर आगे बढ़ रहे खिलाड़ी

वाराणसी जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर सेवापुरी विकासखंड में स्थित अदमापुर (महनाग) गांव के लोग और यहां के पहलवानों ने अपने सांसद नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर महिला रेसलर से यौन शोषण के आरोपी बृजभूषण शरण सिंह पर कानून का डंडा चलाने की मांग की है। पीएम मोदी को पत्र लिखने वाले (कुश्ती की खातिर अपनी जमीन गिरवी रखने वाले) 28 वर्षीय कोच सूबेदार यादव का कहना है कि “खेल के शीर्ष पदों पर किसी दबंग, अपराधी, बाहुबली और जातिवादी व्यक्ति का होना देश के खिलाड़ियों के लिए अच्छी बात नहीं है। यौन शोषण और पॉक्सो एक्ट का मुक़दमा कायम होने के बाद भी उसे सीखचों के पीछे नहीं धकेला जा सका है।”

पहलवान सूबेदार यादव।

सूबेदार यादव आगे कहते हैं कि “देश के लोग और पहलवान यह सब कुछ देख रहे हैं कि कैसे धनबल-बाहुबल और राजनीतिक रसूख के आगे कानून ने सिर झुकाया हुआ है। इससे गांव और जनपदों में परिस्थितियों से लोहा लेकर आगे बढ़ने वाले खिलाड़ियों में भय व्याप्त हो रहा है और साथ ही उनका मनोबल धराशायी हो रहा है। लिहाजा, जल्द ही कोई ठोस कार्रवाई की जाए। अन्यथा सैकड़ों की तादात में दिल्ली कूच कर महिला पहलवानों की न्याय की लड़ाई को आगे बढ़ाया जाएगा।”

महनाग अखाड़े पर असर

बनारस का अदमापुर (महनाग) गांव। दिन सोमवार। यह गांव भी पूर्वांचल के अन्य गांवों की तरह पिछड़ा हुआ है। इसकी आबादी लगभग 3,000 है, जिसमें पटेल, यादव, राजभर, सोनकर, विश्वकर्मा और नाई जाति की संख्या अधिक है। अधिकांश लोग खेती और कृषि कार्य से जुड़े हैं। यहां कक्षा आठ तक ही सरकारी स्कूल है। हाईस्कूल और इंटर की पढ़ाई के लिए छात्र-छात्राओं को महनाग से दस किमी दूर मिर्जामुराद जाना पड़ता है। आंगनबाड़ी तो है लेकिन अस्पताल नहीं होने से ग्रामीणों को इलाज के लिए 12 किमी दूर सेवापुरी जाना पड़ता है। अर्थात यह गांव देश के पहले आदर्श ब्लॉक सेवापुरी में शामिल जरूर है, लेकिन आधुनिक विकास के मानकों पर कोसों दूर खड़ा है।

अदमापुर गांव का सरकारी स्कूल।

गांव की सूरत बदलने और कुश्ती को आधार बनाकर आगे बढ़ने की स्थानीय युवाओं की रणनीति गांव में सकारात्मक बदलाव ला रही है। लेकिन, जब से महिला पहलवानों के साथ यौन दुर्व्यवहार, शोषण और मानसिक प्रताड़ना का मामला सामने आया है और आरोपी भाजपा सांसद पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है, इससे खिलाड़ियों का मनोबल दरक रहा है और इसका असर महनाग अखाड़े पर भी देखने को मिल रहा है। यहां कुश्ती सीखने वाली लड़कियों की संख्या घट गई है और पुरुष खिलाड़ी अपनी तैयारी पर उतना फोकस नहीं कर पा रहे हैं, जितना होना चाहिए था। 

बृजभूषण कांड से कुश्ती को बहुत बड़ा नुकसान

एक सवाल के जवाब में उस्ताद दल श्रृंगार बताते हैं कि “खेल और खिलाड़ी समाज के लिए बहुत संजीदा विषय होते हैं। हम लोग तो गांव में हैं, गांव के अधिकतर लोगों की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। कई मजदूर हैं, कुछ पावरलूम चलाते हैं। शेष खेती करते हैं। कहने का मतलब यह है कि गरीबी, तंगी और अभावों को पटखनी देकर ये बच्चे कुछ कर गुजरने का हौसला पाले हुए हैं। सभी पहलवान धोबी पछाड़ के उस्ताद हैं। ऐसे में जब ऊपर से ही यह संदेश आएगा कि महिला खिलाड़ियों का यौन शोषण, बलात्कार और पुरुष पहलवानों का मानसिक टार्चर किया जा रहा है तो ग्राउंड पर इसका क्या असर पड़ेगा? इसकी कल्पना करना कठिन काम नहीं है। कई कठिनाइयों को पीछ छोड़ कुश्ती या अन्य खेलों में आगे बढ़ने की लालसा को धक्का लग रहा है।”

उदीयमान कुश्ती खिलाड़ियों के साथ उस्ताद दल श्रृंगार।

वह आगे कहते हैं कि “समाचारों से मालूम हुआ है कि भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद पर काबिज़ भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने कई नाबालिग खिलाड़ियों का यौन उत्पीड़न किया है, तो उन्हें प्रायश्चित भी करना चाहिए। यह काम कानून को बड़े ही साफगोई से अब तक पूरा कर लेना चाहिए था, लेकिन अब तक आरोपी की गिरफ्तारी न होना लापरवाही की ओर इशारा करता है। एक बात और हाल के एक दशक में भारत में खेलों की स्थिति में काफी हद तक सुधार हुआ है, लेकिन बृज भूषण पर लटकती कार्रवाई से खिलाड़ी और खेल को बड़ा नुकसान हो रहा है। विशेषकर कुश्ती का बेड़ा गर्क होने जैसा लग रहा है।”

आर्थिक मदद की दरकार

कुश्ती के उस्ताद दल श्रृंगार मुफ्त में खिलाड़ियों को कुश्ती का प्रशिक्षण देते हैं। उनकी माली हालत ठीक नहीं है। उनका कच्चा घर जब-तब ढहने के कगार पर जा पहुंचा है। मकान की एक दीवार बारिश में भीगकर बाहर की तरफ आ गई है। जिसे मरम्मत की दरकार है। अपनी माली हालत पर दल श्रृंगार कहते हैं कि “अखाड़े में भुजाएं फड़कती थीं। जब तक विरोधी को चित नहीं कर लेता था, तब तक वह रेत की तरह आंखों में गड़ता था। जहां गया बनारस का झंडा गाड़ आया, लेकिन ढलती उम्र के साथ जिम्मेदारियों और परिस्थितियों ने मुझे घेर लिया है। प्रशासन व खेल विभाग मेरी कुछ आर्थिक मदद करती तो जीवन थोड़ा आसान हो जाता।” 

कुश्ती उस्ताद दल श्रृंगार अपने क्षतिग्रस्त मकान को देखते हुए।

मंच पर पहलवान को थप्पड़

साल 2019 में 45 किलोग्राम भार वर्ग में स्टेट चैंपियन सत्रह वर्षीय अभय राजभर को भी इंतजार है कि कुश्ती को बदनाम करने वाले आरोपी पर जल्द से जल्द कार्रवाई हो। वह अपनी पढ़ाई जारी रखे हुए हैं और 12 वीं दर्जे में हैं। राजभर कहते हैं कि “मेरे पिता पावरलूम पर काम करते हैं। हर महीने सात-आठ हजार रुपये कमा पाते हैं। हम लोगों के पास कोई जमीन नहीं है। मेरी खुराक के लिए कैसे दूध, दाल और रोटी की व्यवस्था हो पाती है, वो तो हम लोगों को ही पता है।”

अभय आगे कहते हैं कि “तमाम विपरीत परिस्थितियों के बाद भी मैं कुश्ती को निखारने में जुटा हूं कि राष्ट्रीय भी खेलने का मौका मिले। यहां तो अंदरखाने महिला पहलवानों का यौन शोषण किया जा रहा है। सांसद नए पहलवान को भीड़ के सामने मंच पर थप्पड़ मार रहा है। ऐसा तो पहले कभी नहीं देखा गया था। मैं मोदी सर से कहना चाहता हूं कि खेल भावना से खेलने वाले आरोपी पर तत्काल कठोर कार्रवाई करें।”

राज्य स्तरीय कुश्ती खिलाड़ी अभय राजभर।

ब्लॉक में नंबर वन

महनाग गांव के अखाड़े में अदमापुर, कतवारूपुर, भीषमपुर, भीखमपुर, मटुका, करधना, सेवापुरी और मिर्जामुराद के क्षेत्रों से पुरुष और महिला खिलाड़ी कुश्ती सीखने के लिए आते हैं। दल श्रृंगार अखाड़े की पहली खेप के खिलाड़ी कमला प्रसाद भारतीय सेना में सूबेदार मेजर पद से सेवा निवृत्त हुए हैं। इन दिनों कमला अपने गांव में रहते हैं और पुराने दिनों को इन शब्दों में याद करते हैं-

“इस अखाड़े के निर्माण के लिए खेत-खेत घूमकर अनाज, लोगों से आर्थिक चंदा, ईंट भट्ठा वालों से ईंट, व्यापारियों से छड़-गिट्टी और सामान के लिए कई सालों तक अभियान चलता रहा। गांव के खिलाड़ी और नागरिकों ने अपना श्रम भी दिया, जिसके दम पर आज अखाड़ा पूरे ब्लॉक में नंबर एक पर काम कर रहा है। आसपास के गांवों में युवा आवारागर्दी करते नहीं दिखेंगे। पढ़ाई और लड़ाई (पहलवानी या अन्य कोई खेल) में लगे हुए हैं, जबकि पास के ही अन्य गांवों में युवाओं में नशाखोरी और नाकारापन आम है।”

पूर्व सूबेदार मेजर कमला प्रसाद।

छीने जाएं रिश्तेदारों के पद

पूर्व सूबेदार मेजर कमला आगे कहते हैं कि “सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि खिलाड़ी त्याग और परिश्रम से अपने हुनर को निखरता है। यदि उसे ईमानदार प्रतिस्पर्धा नहीं मिलेगी तो उसका भविष्य क्या होगा? महिला पहलवानों की चुनौतियां सबने देखी हैं। बच्चियां बड़ी मुश्किल से पहलवानी में आगे बढ़ती हैं। देश का मान-सम्मान बढ़ाती हैं। लेकिन यहां तो उनके साथ बलात्कार और यौन शोषण किया जा रहा है। कहां जा रहा है देश? किसी को फ़िक्र है?”

वो कहते हैं कि “आरोपी बृजभूषण शरण को गिरफ्तार किया जाना चाहिए। वह कानून से ऊपर नहीं है। उसके रिश्तेदारों को दिए गए सभी पद छीन लिए जाने चाहिए। जूनियर रेसलिंग कैंप का आयोजन समय पर और प्रत्येक मंडल में होना चाहिए। इससे अधिक से अधिक प्रतिभा निकल कर सामने आएंगी।”

संसाधनों की कमी का सामना कर रहे कुश्ती खिलाड़ी, (फटे जूते में एक कुश्ती खिलाड़ी)।

राजनीतिक खेती की चिंता अधिक: बनारस केसरी

अखाड़े के उदीयमान पहलवान और बनारस केसरी शैलेश यादव भी खेल में राजनीतिक हस्तक्षेप को गलत ठहराते हैं। वह कहते हैं कि “खिलाड़ियों का काम है अपने हुनर को निखारना। इसके लिए नियमित अभ्यास करना पड़ता है। ऐसे में यदि कोई कुश्ती संघ में गलत और गैर क़ानूनी आचरण प्रस्तुत कर रहा है तो उस पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है? आरोपी पर पुलिस की मेहरबानी समझ से परे है? महीनों से महिला और पुरुष पहलवान धरने पर हैं। आप ही सोचिये यह कुश्ती का भला हो रहा?”

शैलेश कहते हैं कि “कई महिला खिलाड़ी जब कह रही हैं कि उनका बलात्कार और यौन शोषण किया गया है तो इसकी जांच की जानी चाहिए। जब तक जांच चल रही है बृजभूषण को पद से हटा देना चाहिए। आरोपी पर कार्रवाई होने से देश के खिलाड़ियों में संदेश जाएगा कि सरकार कुछ कर रही है, अन्यथा सरकार खेल पर ध्यान नहीं दे रही है, उसे अपनी राजनीतिक खेती की चिंता अधिक है। इस घटना से देश भर में खेल और खिलाड़ियों के बीच माहौल बिगड़ रहा है। कुछ खिलाड़ी मन से तैयारी नहीं कर रहे हैं। अभ्यास में पिछड़ने से हम लोगों को आशंका है कि लक्ष्य तक पहुंचने में अधिक साल खर्च करने पड़ेंगे।”

बनारस केसरी पहलवान शैलेश यादव।

खिलाड़ियों में पैदा हो रहा भय

कोच सूबेदार यादव ने “जनचौक” को बताया कि “हमारे यहां लगभग सभी व्यवस्थाएं हैं। 40 की संख्या में महिला-पुरुष खिलाड़ी कुश्ती सीखने आते हैं। बच्चों में बहुत उत्साह है। कई खिलाड़ी राज्यस्तरीय कुश्ती मुकाबला जीतकर राष्ट्रीय मुकाबले की तैयारी में जुटे हुए हैं। कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पर अपने ही महिला खिलाड़ियों का यौन शोषण करने से देशभर में गंदा संदेश जा रहा है। जब हाई लेवल पर इस तरह का स्कैंडल चल रहा तो जूनियर लेवल पर क्या होगा? इनकी सुनवाई कहां होगी? कौन करेगा?”

वो कहते हैं कि “इसको लेकर हम लोगों ने अपने सांसद और देश के प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर पीड़ित पहलवानों को न्याय देने की मांग की है। मुझे तो लगता है कि इनकी कथनी और करनी में बड़ा फर्क है। हाथरस केस को देख लीजिये। आरोपी बृजभूषण पर कार्रवाई नहीं होने से खिलाड़ियों में भय पैदा हो रहा है। जल्द से जल्द कार्रवाई की जाए अन्यथा दिल्ली तक जाकर हम लोग प्रदर्शन करेंगे।”

वाराणसी के पहलवानों द्वारा लिखी गई सासंद नरेंद्र मोदी को चिट्ठी।

आरोपी बृजभूषण को क्यों बचा रही सरकार?

महिला पहलवानों के यौन शोषण के आरोप और बिगड़ते खेल के माहौल पर वरिष्ठ पत्रकार स्वेता रश्मि “जनचौक” से कहती हैं कि “पहले से ही भारत महिला हिंसा के मामले में दुनिया में बहुत ऊंचे पायदान पर है। वहीं, खेलों में महिला खिलाडियों की संख्या और भागीदारी सीमित है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा चलाया गया “बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ” अभियान अपने ही लोगों के बीच घिर सा गया है। आरोपी बृज भूषण शरण सिंह पर कई धाराओं में क्रिमिनल केस दर्ज है। पॉक्सो जैसी गंभीर धारा भी लगी है, जिसमें फ़ौरन गिरफ्तारी का प्रावधान है, लेकिन अभी तक आरोपी की गिरफ़्तारी नहीं हुई है।”

वो कहती हैं कि “आखिर क्या वजह है कि आरोपी को बचाने में सरकार जुटी है। दूसरी बात- एक अपराधी और बलात्कारी को बचाने के लिए पार्टी से जुड़े हुए लोग जाति से जुड़ी मुहिम समाज और सोशल मीडिया पर चला रहे हैं। क्या हमारे समाज में पहले इस तरह की स्वीकार्यता थी कि समाज एक रेपिस्ट को बचाने के लिए इस तरह का समर्थन करे?”

जंतर-मंतर पर धरने पर बैठीं महिला पहलवान।

महिला अधिकार हाशिये पर

रश्मि आगे कहती हैं कि “वैश्विक पटल पर भारत का नाम रोशन करने वाली महिला पहलवान धरने पर बैठी हैं। इनकी कायदे से सुनवाई नहीं हो रही है। इससे देश में खेल का माहौल बिगड़ रहा है। सरकार की यह कारगुजारी दुनिया भी देख रही है। सरकार की चुप्पी से देश की सम्मानित बेटियों को तकलीफ उठानी पड़ रही है। वे न्याय के लिए प्रैक्टिस छोड़कर धूप-बारिश में धरना दे रही हैं। यह देश और खेल जगत के लिए चिंताजनक बात है।”

वो कहती हैं कि “महिला पहलवानों के समर्थन में या फिर न्याय की लड़ाई में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और निर्मला सीतारमण का कोई भी बयान अब तक नहीं आया है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि बीजेपी महिलाओं को सिर्फ सजावट की वस्तु समझती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में आठ विधानसभा सीटें हैं, इनमें एक भी महिला विधायक नहीं है। यह उदाहरण हमें बताता है कि महिला अधिकार और हिस्सेदारी इनके लिए कोई मायने नहीं रखती है? बहरहाल, जल्द से जल्द आरोपी पर कार्रवाई हो ताकि, देश में खेल का माहौल बरकरार रहे और खिलाड़ियों का हौसला बना रहे।”

जंतर-मंतर पर काला दिवस मनाते खिलाड़ी

21 मई तक अल्टीमेटम

इधर, भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर देश के कई पहलवान 23 अप्रैल से दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दे रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के प्रवक्ता राकेश टिकैत पिछले दिनों पहलवानों का समर्थन करने दिल्ली के जंतर-मंतर पहुंचे और कहा कि “अगर डब्ल्यूएफआई प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह को 21 मई तक गिरफ्तार नहीं किया जाता है तो खाप पंचायतें और किसान संगठन महत्वपूर्ण फैसला लेंगे। पहलवानों की समिति आंदोलन संचालित करेगी और हम बाहर से पहलवानों का समर्थन करेंगे। 21 मई को बैठक निर्धारित की गई है।”

(वाराणसी से पवन कुमार मौर्य की रिपोर्ट।)

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