Friday, April 19, 2024

लखीमपुर खीरी हिंसा पर खामोश क्यों हैं कैप्टन?

लखीमपुर खीरी हिंसा पर पूरे देश में गैर भाजपाई दल खुल कर बोल रहे हैं। पंजाब में सियासी दल और सामाजिक संगठन सड़कों पर आकर किसान हत्याकांड का विरोध कर रहे हैं। लेकिन मुख्यमंत्री पद छोड़ने से पहले तक खुद को किसानों का मसीहा कहलाने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह इस पूरे प्रकरण पर खामोश हैं। इन पंक्तियों को लिखने तक उनका एक भी बयान लखीमपुर खीरी हिंसा पर नहीं आया है। न ही उनके किसी सलाहकार का। राज्य के सियासी गलियारों से लेकर आम लोगों तक यह सवाल शिद्दत के साथ तैर रहा है कि आखिर ऐसा क्यों है? बता दें कि मुख्यमंत्री रहते हुए कैप्टन ने कृषि अध्यादेशों का मुखर व तार्किक विरोध किया था और इनके खिलाफ उठे किसान आंदोलनों का प्रबल समर्थन। पद छोड़ने से पहले उनकी ओर से किसान आंदोलन के समर्थन में अक्सर कोई न कोई बयान आता रहता था। अब यह सिलसिला भी अचानक बंद हो गया है।

सूबे में सरगोशियां हैं कि इसकी मूल वजह दरअसल कैप्टन अमरिंदर सिंह की भाजपा के साथ अंदरुनी नज़दीकियां हैं। बेशक वह एलानिया कह चुके हैं कि भाजपा में नहीं जाएंगे लेकिन एक हफ्ते में दो बार उन्होंने भाजपा के दिग्गज नेताओं से मुलाकात की मंशा के चलते दिल्ली-यात्रा की। पहली यात्रा पर जाने से पहले उनके मीडिया सलाहकार ने ट्वीट किया था कि वह अपने कुछ करीबी दोस्तों से मिलने के लिए राष्ट्रीय राजधानी जा रहे हैं। जब वह केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से उनके घर मिले तो सामने आ गया कि अब कैप्टन के ‘करीबी दोस्त’ कौन हैं। सूत्रों की मानें तो अमित शाह चाहते थे कि कैप्टन बगैर किसी शर्त भाजपा में आएं। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री की कुछ शर्तें थीं। फिर भी शाह और कैप्टन के बीच कुछ न कुछ ऐसा जरूर तय हुआ जिससे दोनों पक्षों में संतुष्टि और सहमति है।

सियासी माहिरों का मानना है कि आने वाले चंद दिनों में कैप्टन अमरिंदर सिंह नई क्षेत्रीय पार्टी का विधिवत गठन कर लेंगे। वैसे, इस पार्टी का नाम पहले ही सामने आ चुका है, ‘पंजाब विकास पार्टी’। जो समीकरण बने हुए हैं वे बताते हैं कि कैप्टन की नई पार्टी को भाजपा समर्थन देगी। यानी शिरोमणि अकाली दल और भाजपा सरीखा गठबंधन होगा। पंजाब में फिलहाल तक भाजपा का किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं है और किसान आंदोलन के मद्देनजर भी वह पूरी तरह अलग-थलग पड़ी हुई है। भाजपा की रणनीति है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह किसी तरह नई पार्टी बना कर मध्यस्थता करें और किसान आंदोलन को खत्म करवाएं। आकस्मिक नहीं है कि दिल्ली की दोनों यात्राओं के दौरान कैप्टन की कतिपय किसान नेताओं से भी मुलाकात हुई।

लखीमपुर खीरी हिंसा पर कैप्टन खामोश इसलिए हैं कि न तो वह भाजपा को नाराज करना चाहते हैं और न किसानों को। बेशक उनकी चुप्पी भविष्य में उन्हें महंगी पड़ सकती है। कभी कैप्टन के समर्थक रहे और अब चन्नी मंत्रिमंडल में शामिल एक मंत्री का कहना है कि कैप्टन अगर मुख्यमंत्री होते तो सबसे पहले लखीमपुर खीरी जाने की कोशिश करते लेकिन अब उनका रवैया हैरान तो करता है लेकिन समझ में भी आता है कि आखिर ऐसा क्यों है?

(अमरीक सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और पंजाब में रहते हैं।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 100% ईवीएम-वीवीपीएटी सत्यापन की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने EVM और VVPAT डेटा के 100% सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर निर्णय सुरक्षित रखा। याचिका में सभी VVPAT पर्चियों के सत्यापन और मतदान की पवित्रता सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया। मतदान की विश्वसनीयता और गोपनीयता पर भी चर्चा हुई।

Related Articles

AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 100% ईवीएम-वीवीपीएटी सत्यापन की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने EVM और VVPAT डेटा के 100% सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर निर्णय सुरक्षित रखा। याचिका में सभी VVPAT पर्चियों के सत्यापन और मतदान की पवित्रता सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया। मतदान की विश्वसनीयता और गोपनीयता पर भी चर्चा हुई।