मणिपुर के कई जिलों में जनजातीय समूहों द्वारा रैलियां निकालने के बाद बिगड़ती कानून-व्यवस्था की स्थिति से निपटने के लिए राज्य सरकार ने पांच दिनों के लिए मोबाइल इंटरनेट बंद कर दिया है। बड़ी सभाओं पर प्रतिबंध के साथ-साथ राज्य के कई जिलों में रात का कर्फ्यू भी लगाया गया है। सेना और असम राइफल्स को हालात को काबू में करने के लिए तैनात किया गया है। स्थिति को देखते हुए गैर-जनजातीय बहुल इंफाल पश्चिम, काकचिंग, थौबल, जिरीबाम, और बिष्णुपुर जिलों और जनजातीय बहुल चुराचंदपुर, कांगपोकपी और तेंगनौपाल जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। राज्य भर में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को तत्काल प्रभाव से पांच दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया है लेकिन ब्रॉडबैंड सेवाएं चालू हैं।
जहां तक वर्तमान स्थिति का संबंध है, राज्य में दो मुद्दों ने तनाव को जन्म दिया है।
1) जंगल की रक्षा के लिए सीएम बीरेन सिंह के कदम को अप्रवासियों और ड्रग कार्टेलों के प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है।
2) एसटी में मेइतेई को शामिल करने पर विचार करने के लिए राज्य सरकार को मणिपुर उच्च न्यायालय के हाल के निर्देश ने जनजातीय समुदायों को नाराज कर दिया है जो एसटी हैं।
ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर (एटीएसयूएम) द्वारा चुराचांदपुर जिले के तोरबंग इलाके में बुलाए गए ‘जनजातीय एकजुटता मार्च’ के दौरान इंफाल घाटी में गैर-जनजातीय मेइतेई को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में हिंसा भड़क गई।
हजारों जनजातीय लोग जुलूसों में शामिल हुए, तख्तियां लहराईं और मेइतेई को एसटी दर्जे का विरोध करते हुए नारे लगाए,जो राज्य की आबादी का लगभग 40 प्रतिशत हैं।
मेइतेई, जो राज्य की आबादी का 53 प्रतिशत हिस्सा हैं, घाटी में रहते हैं, जो पूर्व रियासत के भूमि क्षेत्र का लगभग दसवां हिस्सा है। उनका दावा है कि वे म्यांमार और बांग्लादेशियों द्वारा बड़े पैमाने पर अवैध आप्रवासन के मद्देनजर समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
अनुसूचित जनजाति मांग समिति मणिपुर (एसटीडीसीएम), जो एसटी श्रेणी में मेइतेई को शामिल करने के लिए आंदोलन की अगुवाई कर रही है, ने कहा कि केवल नौकरियों, शैक्षणिक संस्थानों और कर राहत में आरक्षण की मांग नहीं की जा रही है बल्कि “हमारे पूर्वजों की भूमि, संस्कृति और पहचान की रक्षा के लिए यह मांग की जा रही है।”
कांग्रेस ने गुरुवार को कहा कि मणिपुर में दो समुदायों के बीच हिंसक टकराव के लिए भाजपा की नफरत की राजनीति जिम्मेदार है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मणिपुर के लोगों से संयम बरतने और राज्य में शांति कायम रहने देने की अपील की। “मणिपुर जल रहा है,” खड़गे ने ट्विटर पर कहा, “बीजेपी ने समुदायों के बीच दरार पैदा कर दी है और एक सुंदर राज्य की शांति को नष्ट कर दिया है। भाजपा की नफरत, बंटवारे की राजनीति और सत्ता का लालच इस हिंसा के लिए जिम्मेदार है,” उन्होंने कहा, “हम सभी पक्षों के लोगों से संयम बरतने और शांति को एक मौका देने की अपील करते हैं।”
सेना ने कहा है कि लगभग 4000 लोगों को सेना, असम राइफल्स और राज्य सरकार के परिसरों में आश्रय दिया गया है जबकि अन्य लोगों को हिंसा प्रभावित क्षेत्रों से स्थानांतरित किया जा रहा है।
ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर, जिसने विरोध का नेतृत्व किया और बंद लागू किया, ने आरोपों से इनकार किया है कि इसके एकजुटता मार्च में भाग लेने वाले प्रदर्शनकारी हिंसा में शामिल थे।
ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर के अध्यक्ष पाओटिनथांग लुफेंग ने आरोप लगाया कि इंफाल और अन्य जगहों पर जनजातीय लोगों के घरों और चर्चों को जलाया जा रहा है। लुफेंग ने पुलिस पर निष्क्रियता का आरोप लगाया।
लुफेंग ने स्थिति को “बहुत अस्थिर” कहा और कहा कि इसमें केंद्र सरकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
3 मई की रात मणिपुर के कई हिस्सों में हिंसक झड़पों के बाद मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने कहा कि घटनाएं “दो समुदायों के बीच मौजूदा गलतफहमी” का परिणाम थीं और उन्होंने राज्य के लोगों से कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए सरकार के साथ सहयोग करने की अपील की।
“हम अपने सभी लोगों के जीवन और संपत्ति की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।” सिंह ने 4 मई को जारी एक वीडियो बयान में कहा है, विभिन्न समुदायों की दीर्घकालिक शिकायतों को भी लोगों और उनके प्रतिनिधियों के परामर्श से उचित समय पर संबोधित किया जाएगा।
सिंह ने कहा कि इंफाल, चुराचंदपुर, बिष्णुपुर, कांगपोकपी और मोरेह से तोड़फोड़ और आगजनी की सूचना मिली है। उन्होंने कहा कि लोगों की जान गई है और संपत्ति को नुकसान पहुंचा है।
सिंह ने नुकसान का जिक्र नहीं करते हुए कहा कि पुलिस और केंद्रीय बलों को कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैनात किया गया है और हिंसा में शामिल किसी भी व्यक्ति से सख्ती से निपटा जाएगा। उन्होंने कहा कि अतिरिक्त केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की मांग की गई है।
मणिपुर सरकार ने एक बयान जारी कर कहा है, “युवाओं और विभिन्न समुदायों के लोगों के बीच झड़प की घटनाओं के बीच मणिपुर में पांच दिनों के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं है, क्योंकि अखिल जनजातीय छात्र संघ (एटीएसयू) मणिपुर द्वारा एसटी श्रेणी में मेइतेई को शामिल किए जाने की मांग के विरोध में एक रैली का आयोजन किया गया था।”
( दिनकर कुमार वरिष्ठ पत्रकार हैं।)