Tuesday, March 19, 2024

श्री करतारपुर साहिब कॉरिडोर खोलने के प्रस्ताव के पीछे आखिर क्या है पाकिस्तान की मंशा?

बेशक भारत ने करतारपुर गलियारा खोलने की पाकिस्तान की पेशकश को ठुकरा दिया है लेकिन तय साजिश के तहत पाकिस्तान ने यह कदम उठाया। एकबारगी फिर साफ हो गया है कि पाकिस्तान, भारत को दिक्कत में डालने का कोई भी मौका नहीं छोड़ता। पाकिस्तान 29 जून को शेर-ए-पंजाब महाराजा रंजीत सिंह की पुण्यतिथि के मौके पर करतारपुर गलियारा खोलना चाहता है और इसके लिए महज 2 दिन पहले भारत सरकार को सूचित किया गया है। 

जबकि द्विपक्षीय करार के अनुसार यात्रा की तारीख से सात दिन पहले दोनों देशों को एक-दूसरे को सूचित करना अनिवार्य है ताकि पंजीकरण की प्रक्रिया सुचारू रूप से शुरू हो सके। पाकिस्तान ने फिलहाल तक वादे के मुताबिक रावी नदी पर बाढ़ की आशंका के मद्देनजर पुल भी नहीं बनाया है। मानसून सिर पर है और उस पार जा रहे भारतीयों की सुरक्षा खतरे में है।             

गलियारा खोलने की घोषणा को दुनिया भर के कट्टरपंथी सिख संगठन भारत सरकार के खिलाफ एक हथियार बना सकते हैं। शातिर पाकिस्तान बखूबी इस पहलू से वाकिफ है। करतारपुर साहिब कॉरिडोर पाकिस्तान की ओर से खुलने के बाद भारत सरकार पर दबाव रहेगा कि वह डेरा बाबा नानक से इस रास्ते को खोले, ताकि सिख श्रद्धालु दर्शनार्थ जा सकें। कोरोना वायरस के पंजाब में हो रहे जबरदस्त फैलाव के चलते यह फौरी तौर पर नामुमकिन है। लॉकडाउन और कर्फ्यू के चलते सिखों के सर्वोच्च धार्मिक स्थल अमृतसर स्थित श्री हरमंदिर साहिब के कपाट भी आम श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए गए थे और अब भी वहां जाने वालों की तादाद बहुत कम है। बाबा बकाला में बहुत सारे श्रद्धालु दूरबीन के जरिए गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब के दर्शन करते हैं लेकिन इन दिनों यह सिलसिला भी रुका हुआ है। एक अधिकारी ने बताया कि पहले की अपेक्षा न के बराबर श्रद्धालु बाबा बकाला आ रहे हैं।     

पाकिस्तान के विदेश मंत्री महमूद कुरैशी ने ट्वीट में यह जानकारी दी कि उनका मुल्क करतारपुर गलियारा खोलने जा रहा है, इसलिए भी कि दुनिया भर के पूजा स्थल खुल गए हैं। 29 जून को महाराजा रंजीत सिंह की पुण्यतिथि है और श्रद्धालु आ सकते हैं।  पाकिस्तान के विदेश मंत्री की घोषणा के बावजूद गुरुद्वारा करतारपुर साहिब की अग्रिम बुकिंग के लिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की वेबसाइट बंद है। 

एसजीपीसी हर साल महाराजा रंजीत सिंह की बरसी पर पाकिस्तान श्रद्धालुओं के जत्थे भेजती रही है। कोविड-19 की वजह से एसजीपीसी ने इस बार जत्थे पाकिस्तान नहीं भेजने का फैसला किया था। बरसी मनाने के लिए एसजीपीसी की ओर से अमृतसर मे अखंड पाठ चल रहे हैं। भारत और पाकिस्तान दोनों ही कोरोना वायरस के गंभीर हालात के दरपेश हैं। दोनों सरकारों ने अंतर्राष्ट्रीय सीमा अटारी-वाघा पर स्थित प्रवेश रास्तों को बंद कर दिया था। दोनों देशों ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर होने वाली रिट्रीट सेरेमनी भी आम दर्शकों के लिए बंद की हुई है। तभी से करतारपुर कॉरीडोर भी बंद है लेकिन एकतरफा तौर पर उसे खोलने की घोषणा करने वाला पाकिस्तान कहीं न कहीं आग में घी डाल रहा है।                

गौरतलब है कि करतारपुर गलियारा खोलने से पहले दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय समझौता हुआ था। इसके तहत दोनों देशों को 7 दिन पहले श्रद्धालुओं की सूची जारी करनी होती है। भारत सरकार की ओर से भेजी गई इस सूची के बाद पाकिस्तान श्रद्धालुओं की स्क्रीनिंग करके एक हफ्ते के बाद गुरुद्वारा साहिब के दर्शन की अनुमति देता है। अहम सवाल यह है कि किस आधार पर पाकिस्तान सरकार 27 जून को करतारपुर गलियारा खोलने की घोषणा करती है? महज दो दिन में श्रद्धालुओं की रजिस्ट्रेशन कैसे होगी और शेष औपचारिकताएं कैसे पूरी होंगी? शीशे की मानिंद साफ है कि पाकिस्तान की नीयत में खोट है। भारत सरकार को कॉरिडोर खोलने की बाबत ‘आकस्मिक सूचित’ किया गया है, विश्वास में नहीं लिया गया और समझौते के अनुसार परामर्श तक नहीं किया गया।             

एसजीपीसी के मुख्य सचिव डॉक्टर रूप सिंह कहते हैं, “शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी इस संबंध में भारत सरकार का फैसला मानेगी। पाकिस्तान का नहीं।”           

इस रिपोर्ट को फाइल करने तक पंजाब सरकार और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का औपचारिक पक्ष ज्ञात नहीं हो पाया है लेकिन मुख्यमंत्री के करीबी कुछ सूत्रों के मुताबिक वह इन हालात में श्री करतारपुर साहिब गलियारा खोलने के हक में नहीं हैं। वैसे भी, 27 जून को कैप्टन अमरिंदर सिंह कह चुके हैं कि कोरोना की स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो सूबे में सख्त लॉक डाउन लागू होगा।

(पंजाब के वरिष्ठ पत्रकार अमरीक सिंह की रिपोर्ट।)  

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles