Saturday, April 20, 2024

योगी की मनमौजी: चिकित्सा विभाग में डॉक्टरों के पद भरे होने के बावजूद 256 पदों के लिए निकाले गए विज्ञापन

लखनऊ। उत्तर प्रदेश  श्रम विभाग के अंतर्गत कर्मचारी राज्य बीमा योजना श्रम चिकित्सा सेवायें, उ.प्र. में जंगल राज चल रहा है और लगता है कि इसे कोई देखने वाला नहीं है। इससे यूपी सरकार की छवि धूमिल हो रही है। कर्मचारी राज्य बीमा योजना श्रम चिकित्सा सेवायें,उ.प्र. में चिकित्सा अधिकारियों के कुल स्वीकृत 133 पद हैं और कोई भी रिक्ति नहीं हैं फिर भी चिकित्सा अधिकारियों के 256 पदों के लिए विज्ञापन प्रकाशित कराया गया है।  

लोकसेवा आयोग के विज्ञापन सं. 1/2020 2021 दि.5/9/20 द्वारा U.P.EMPLYEES STATE INSURANCE LABOUR MEDICAL SERVICE में 256 चिकित्सा अधिकारी (एलोपैथ) की भर्ती हेतु विज्ञापन जारी किया गया है।

उ.प्र. सरकार के श्रम अनुभाग-6 द्वारा महामहिम राज्यपाल के स्वीकृति से जारी शासनादेश सं.-973/36-6-2011-4(18)/11 दि.23 दिस.2011 द्वारा संवर्गीय पुनर्गठन करते हुए चिकित्सा अधिकारी और विशेषज्ञ की सीधी भर्ती हेतु अलग-अलग 2 संवर्ग बनाया गया है। और उसी के अनुरूप चिकित्साधिकारियों के लिए पूर्व में स्वीकृत 386 को कम करके 133 कर दिया गया है और विशेषज्ञ की सीधी भर्ती हेतु 216 पद सृजित/ स्वीकृत किया गया है। वर्तमान में विभाग में स्वीकृत 133 पदों के सापेक्ष उक्त से अधिक चिकित्सा अधिकारी कार्यरत हैं। इस प्रकार विभाग में इस समय चिकित्सा अधिकारी (एलोपैथ) का कोई भी स्वीकृत पद रिक्त नहीं है।

यह भी तथ्य है कि उपरोक्त शासनादेश दि.23 दिस.2011 में निहित निर्देशानुसार संशोधित सेवा नियमावली निर्मित कर उस पर उ.प्र. लोक सेवा आयोग के पत्र 31 अगस्त, 2018 द्वारा आयोग की सहमति भी प्राप्त कर ली गई थी। दरअसल श्रम विभाग ने उपरोक्त अधियाचन वर्तमान में सर्वथा अप्रासंगिक हो चुके पूर्व सेवा नियमावली-1996 के आधार पर प्रस्तुत किया है।

विभागीय सूत्रों का कहना है कि इस तरह की गंभीर अनियमितता कोई लिपिकीय त्रुटि अथवा भूल नहीं है क्योंकि सूचना के अधिकार के अधीन प्राप्त सूचना के अनुसार उक्त दोनों पत्र प्रमुख सचिव, श्रम को ही आवश्यक कार्यवाही हेतु भेज दिये गये थे। इस प्रकार प्रमुख सचिव,श्रम सहित पूरे श्रम विभाग को उपरोक्त अनियमितता की पूर्ण जानकारी काफ़ी पहले से थी।

जो पद 2011में समाप्त, उस पर 28 अधिकारियों की प्रोन्नति, कर्मचारी राज्य बीमा  योजना श्रम चिकित्सा सेवायें का मामला

 इसके पहले जो पद वर्ष 2011 मन समाप्त कर दिए गये थे उन पर वर्ष 2019 में लगभग ढाई दर्ज़न अधिकारियों की प्रोन्नति इस विभाग में की गयी थी। प्रमुख सचिव द्वारा श्रम कर्मचारी राज्य बीमा योजना श्रम चिकित्सा सेवा,उ.प्र. के 28 चिकित्साधिकारियों की पदोन्नति वर्ष 2011 में समाप्त कर दिये गये प्रथम श्रेणी प्रमुख सचिव के पदों पर कर दिया गया था।  

 उ. प्र. शासन, श्रम अनुभाग-6 के कार्यालय-आदेश सं.-1777/36-6-2019-6(सा०)/19 दि.04 नवम्बर, 2019 के द्वारा कर्मचारी राज्य बीमा योजना श्रम चिकित्सा सेवायें, उ.प्र. के क्रमशः 4,2,एवं 22एलोपैथिक चिकित्सा अधिकारियों को क्रमशः सहायक निदेशक, चिकित्सा अधीक्षक एवं विशेषज्ञ पदनाम के पद पर प्रोन्नति किया गया है, जबकि महामहिम राज्यपाल की स्वीकृति से जारी शासनादेश सं. 973/36-6-2011-4(18)/11 दि. 23 दिसम्बर.2011 द्वारा सहायक निदेशक व चिकित्सा अधीक्षक का पद समाप्त कर दिया गया था और विशेषज्ञ के पद को प्रोन्नति के बजाय सीधी भर्ती का पद रखा गया था ।

कर्मचारी राज्य बीमा श्रम चिकित्सा सेवा (प्रथम संशोधन) नियमावली-1996 के द्वारा चिकित्सा अधिकारियों के प्रोन्नति हेतु प्रथम श्रेणी संवर्ग में सहायक निदेशक के 4,चिकित्सा अधीक्षक के 3 व विशेषज्ञ के कुल 72 पद स्वीकृत थे जिसे संवर्ग संरचना संबंधित उपरोक्त शासनादेश दि.23 दिसम्बर 2011 द्वारा समाप्त/ संशोधित करके प्रथम श्रेणी संवर्ग में वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी के 40 व वरिष्ठ विशेषज्ञ के 65 पद स्वीकृत किये गये। इस प्रकार पैरवी/ प्रलोभन के बल पर बिना वरिष्ठता को कोई महत्व दिये कुछ विशेष चिकित्सा अधिकारियों को प्रोन्नति देने हेतु उपरोक्त अति-महत्वपूर्ण/ नीतिगत शासनादेश दि. 23 दिसम्बर 2011 की पूर्ण उपेक्षा की गई।

श्रम अनुभाग-6 द्वारा निर्गत शासनादेश संख्या-862/छत्तीस-6-2017-5(171)/92 टी०सी० दिनांक 29 जून 2017के द्वारा कर्मचारी राज्य बीमा योजना श्रम चिकित्सा सेवायें,उ.प्र. के चिकिसा अधिकारीयों कि अधिवर्षता आयु 60 वर्ष से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी गई थी।

शासनादेश संख्या-2047/36-6-2019-5(171)/92 दि. 17 जनवरी 2020 द्वारा उपरोक्त शासनादेश का स्पष्टीकरण जारी करते हुये अवगत कराया गया कि उक्त अधिवर्षता आयु में बृद्धि को न तो नियमित सेवा में जोड़ा जायेगा और न ही उक्त अतिरिक्त सेवा का लाभ भविष्य में पेंशन आदि के लिये अनुमन्य होगा। साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया गया कि सेवानिवृत्ति लाभ 60 वर्ष की अधिवर्षता आयु तक ही देय होगा। इससे यह स्पष्ट है कि उक्त अधिवर्षता आयु 60 वर्ष से 62 वर्ष किये जाने का आशय सम्बंधित चिकित्साधिकारियों को मात्र नियत वेतन पर सेवा विस्तार देना था। सेवानिवृत्ति लाभों हेतु उनकी अधिवर्षता आयु 60 वर्ष ही रहेगी। शासकीय नियमों के तहत विस्तारित सेवा पर कार्यरत कर्मी को नियमित सेवक के भांति प्रोन्नति नहीं दिया जा सकता।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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