Thursday, April 25, 2024

सरकार का अहंकार, पत्रकार हुआ गिरफ्तार

यूपी के संभल में एक पत्रकार को योगी सरकार में मंत्री गुलाब देवी से विकास के कामों पर सवाल करना भारी पड़ गया। उसके खिलाफ पहले एफआईआर लिखी गई, उसके बाद सोमवार रात उसे गिरफ्तार कर लिया गया। मंगलवार को हथकड़ी लगाकर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया। हालांकि बाद में चंदौसी उप जिला मजिस्ट्रेट ने उसे ज़मानत दे दी।

दरअसल ये सारा मामला 11 मार्च का है। यूपी सरकार की माध्यमिक शिक्षा मंत्री और संभल जिले की चंदौसी सीट से एमएलए गुलाब देवी अपने विधानसभा क्षेत्र के गांव बुद्ध नगर खंडवा में चेक डैम के उद्घाटन में शामिल होने गई थीं।

उसी वक्त सोशल मीडिया पर दिख रहे एक वीडियो के मुताबिक संजय राणा ने उनसे पूछा कि ”चुनाव से पहले आपने हम सभी से वादा किया था, मंदिर में शपथ ली थी कि यह गांव आपका है, यहां हर कोई आपका गोद लिया हुआ बच्चा है, आपने यह भी कहा था कि अगर आप चुनाव जीत गईं तो इस गांव में दुबारा आएंगी, लेकिन इसके बावजूद आप कभी वापस नहीं आईं।”

इसके साथ ही यूट्यूब के पत्रकार ने सवाल पूछते हुए कहा, “आपने कहा था कि आप मंदिर से यहां तक सड़क बनवा देंगी, लेकिन सड़क अभी भी इतनी कच्ची है कि लोगों को चलने में कठिनाई होती है। आपने यह भी विशेष रूप से कहा था कि आप गांव के मंदिर के चारों ओर एक चाहरदीवारी बनाएंगी। इस पर कोई काम शुरू नहीं हुआ है। इन सभी कामों के लिए ग्रामीण आपके कार्यालय तक गए, लेकिन आपने कभी उनकी बात नहीं सुनी।”

हालांकि उन्होंने राणा के सवालों के जवाब भी दिए गए। गुलाब देवी ने कहा, “ये सब बातें जो आपने कही हैं, सही हैं, लेकिन अभी समय बाकी है। यह मत भूलिए कि कुंदनपुर गांव और बुध नगर खंडवा मेरी जिम्मेदारी है। जो मैंने वादा किया है, वह पूरा किया जायेगा।”

गुलाब देवी ये कहना भी नहीं भूलीं कि वो संजय राणा को पहले से ही देख रही थीं। वो बोलीं- मैं बहुत देर से तेरी निगाहें देखकर पहचान गई थी।

इस घटना के बाद बीजेपी के स्थानीय नेता शुभम राघव ने संजय राणा के खिलाफ चंदौसी थाने में सरकारी काम में बाधा डालने का मामला दर्ज कराया और जिसके बाद पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी कर ली थी।

इस गिरफ्तारी के बाद यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा कि “विदेशी धरती पर भारत में लोकतंत्र की स्थिति पर बयान देने पर बवाल मचाने वाली भाजपा उप्र के संभल में इस पत्रकार की हालत भी देख ले, जिसे विकास कार्यों पर भाजपाई मंत्री से पूछे गए सवाल के कारण हिरासत में ले लिया गया है। ये है भाजपा सरकार में लोकतंत्र व अभिव्यक्ति की आज़ादी की तस्वीर।”

समाजवादी पार्टी ने योगी सरकार को घेरते हुए इसे अघोषित इमरजेंसी करार दिया। पार्टी की ओर से राणा के वीडियो वाले ट्वीट को रिट्वीट किया गया। हालांकि मंत्री गुलाब देवी ने कहा कि बीजेपी नेता से विवाद के बाद ये गिरफ्तारी हुई। सवाल पूछे जाने का गिरफ्तारी से कोई संबंध नहीं है।

अब इस पूरे प्रकरण से एक बात साफ हो गई है कि यूपी में पत्रकार कितने आज़ाद हैं? सवाल पूछने के लिए और ग्राउंड रिपोर्ट करने के लिए। हाल के समय में यूपी में पत्रकारिता करना जोखिम भरा काम हो गया है। कई पत्रकारों को सिर्फ अपना काम करने के लिए एफआईआर झेलनी पड़ती हैं या गिरफ्तारियां देखनी हैं।

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